क्या आपको मालूम 3 Rakat Witr Namaz ka Tarika ईशा के बाद पढ़ा जाता है जिसे अकेले या इमाम के पीछे पढ़ा जाता है.
इमाम के पीछे वित्र की नमाज़ रमजान मुबारक के महीने में तरावीह पढ़ने के बाद पढ़ा जाता है उसके अलावा अकेले ही पढ़ना होता है.
Witr ki Namaz वाजिब है फ़र्ज़ की तरह ही जरुरी होता है इसको आप ईशा की नमाज़ के तुरंत बाद पढ़े या रात में तहज्जुद के बाद पढ़े.
यह नमाज़ तो तिन रकात होती है लेकिन तीसरा रकात पढ़ने का तरीका और नमाज़ की तरह अलग होता है जिसका सही तरीका आपको यहाँ पर मिलने वाला है.
इतना वित्र के बारे में समझ काफी है तो जानते है की वित्र की नमाज़ का सही तरीका क्या है.
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वाजिब नमाज़ क्या है?
वाजिब और फ़र्ज़ नमाज़ पढ़ना लाजिम करार दिया गया है यानि की फ़र्ज़ नमाज़ तो पढ़ना ही पढ़ना अगर कोई जानबूझ कर छोड़ता है तो वह गुनाहे कबीरा करता है.
लेकिन वाजिब नमाज़ फ़र्ज़ की तरह है इसे भी पढ़ना बहुत जरुरी है लेकिन अगर कोई जरुरी काम आ गया और नहीं पढ़ सका तो इसकी क़ज़ा जरुर पढ़े.
Witr Namaz ka Tarika क्या है
यहाँ पर जानते है ईशा की नमाज में वित्र पढ़ने का तरीका क्या है? और इसको किस तरह से पढ़ा जाता है. आप सभी मुसलमान पता ही होगा की नमाज़ बिना वजू के होगा ही नहीं इसीलिए मै समझ के चल रहा हूँ आप बावजू है.
यह नामज़ ईशा की नमाज़ के बाद पढ़ा जाता है यानि 4 रकात फ़र्ज़ के बाद इसको पढ़ सकते है.
अगर आप रात में तहज्जुद की नमाज़ पढ़ते है तो बेहतर होता है की तहज्जुद के बाद पढ़े यानि रात में कभी भी फज़र से पहले पढ़ सकते है.
लेकिन अगर आपको रात में नहीं पढ़ना है तो ईशा की फ़र्ज़ या सुन्नत के बाद पढ़ सकते है पढ़ने के लिए सबसे पहले नियत करे.
Witr Namaz ki Niyat कैसे करे
नियत दिल के इरादों का नाम है अगर आप दिल में सिर्फ आप कहे ही “मै आज ईशा के बाद 3 रकात वित्र की वाजिब नमाज़ पढ़ रहा हूँ” ये भी नियत कहलाएगा.
लेकिन आपको जुबान से नियत करना है तो यु करे:
“नियत की मैंने तीन रकआत नमाज वित्र की वाजिब वास्ते अल्लाह तआला के मुंह मेरा कआबा शरीफ की तरफ अल्लाहु अकबर”
अगर आपको पांचो वक़्त की नमाज़ की नियत जानना है तो इस लिंक पर क्लिक करे Namaz ki Niyat.
3 Rakat Witr Namaz ka Tarika
सबसे पहले आपसे एक सवाल पूछता हूँ क्या आप हमारे वेबसाइट OUTLINE ISLAM के बारे में जानते है नहीं जानते है मै आपको बता हूँ की यह वेबसाइट इस्लामिक जानकारी के लिए बनाया गया है.
3 Rakat Witr ki Namaz पढ़ने का तरीका में आपको बता दू की यहाँ पर हम अलग अलग रकात करके आपको सिखाऊंगा.
अगर आपको यहाँ तक समझ आ रहा है तो अपने सोशल मीडिया में इसे शेयर जरुर करे.
पहली रकात
- नियत करे
- सना पढ़े (सुबहानका अल्लाहुम्मा व बिहम्दीका व तबारका इस्मुका व त’आला जद्दुका वाला इलाहा गैरुका)
- आउज़ बिल्लाहे मिन्नस सैतानिर्रजिम पढ़े
- बिस्मिल्लाहिर रहमानिर रहीम पढ़े
- सुरह फातिहा (अलहम्दो लिल्लाहे) पढ़े
- आमीन पढ़े
- बिस्मिल्लाहिर रहमानिर रहीम पढ़े
- कुरान शरीफ की कोई भी छोटा या बड़ा सुरत मिलाए यानि पढ़े
- रुकू में कम से कम 3 या 5 मर्तबा सुबहाना रब्बियल अज़ीम पढ़े
- समिल्लाहु लिमन हमीदा कहते हुए खड़े हो जाये फिर खड़े रहते हुए ही रब्बना लकल हम्द कहे
- अल्लाहु अकबर कहते हुए सजदे में जाए
- पहले सजदे में 3 या 5 मर्तबा दुसरे सजदे में 3 या 5 मर्तबा सुब्हान रब्बियल आला पढ़े
- अल्लाहु अकबर कहते हुए दुसरे रकात के लिए खड़े हो जाए
दूसरी रकात
- पहली रकात की 4 से 12 तक step को करे
- सजदे के बाद अल्लाहु अकबर कहते हुए अपने पंजो पर बैठ जाए
- अत्तहिय्यत या तशहुद पढ़े
- अल्लाहु अकबर कहते हुए तीसरी रकात के लिए खड़े हो जाए
तीसरी रकात
- पहली रकात की 4 से 8 तक step को करे
- फिर अल्लाह हुअक्बर कहते हुए कानो तक हाथ उठाए फिर हाथ बांध ले
- इसके बाद दुआ ये दुनुत पढ़े
- फिर पहली रकात की 9 से 12 step को follow करे
- सजदे के बाद अल्लाहु अकबर कहते हुए अपने पंजो पर बैठ जाए
- अत्तहिय्यत या तशहुद पढ़े
- दरुदे इब्राहीम पढ़े
- दुआ ए मशुरा पढ़े
- अस्सलामो अलैकुम वरहमतुल्लाह पहले दाएं जानिब मुंह फेरे फिर अस्सलामो अलैकुम वरहमतुल्लाह बाएं जानिब मुंह फेरें।
इस तरह से आपकी तिन रकात मग़रिब की फ़र्ज़ नमाज़ मुकम्मल हो गयी इसके बाद 33 मर्तबा सुबानाल्लाह, 33 मर्तबा अल्हम्दोलिल्लाह और 34 मर्तबा अल्लाह हुअक्बर पढ़कर अल्लाह सुभान ता’अला की बारगाह में दुआ के लिए हाथ उठाए.
Witr ki Namaz ki Dua
अल्लाहुम्मा इन्ना नस्तईनु क व नस-तग़-फिरू- क व नु’अ मिनु बि-क व न तवक्कलु अलै-क व नुस्नी अलैकल खैर * व नश कुरु-क वला नकफुरु-क व नख्लऊ व नतरुकु मैय्यफ-जुरूक * अल्लाहुम्मा इय्या का न अ बुदु व ल-क- नुसल्ली व नस्जुदु व इलै-क नस्आ व नह-फिदु व नरजू रह-म-त-क व नख्शा अज़ा-ब-क इन्ना अज़ा-ब-क बिल क़ुफ़्फ़ारि मुलहिक़ *
अगर किसी को दुआ ए क़ुनूत याद न हो ये दुआ पढ़े
रब्बना आतैना फिद दुनिया हस न तौ वाफिल आखिरति हस नतौ वाकिना अज़ाबननार
जिस आदमी को ये भी दुआ याद न हो तो ये दुआ तिन बार पढ़े
अल्लाहुम फग्फिल्ली
वित्र की नमाज़ कब जमाअत के साथ पढ़ सकते है

वित्र की नमाज़ जमाअत के साथ सिर्फ रमजान शरीफ में पढ़ी जाती है. इसके आलावा जमाअत के साथ पढ़ना मकरूह है. बलके उस मुबारक महीने में जमाअत ही से पढ़ना मुस्तहब है.
जिसने ईसा की फ़र्ज़ नमाज़ जमाअत के साथ नहीं पढ़ी तो वह वित्र की नमाज़ तनहा पढ़े अगर तरावीह जमाअत के साथ पढ़ी तो भी वित्र की नमाज़ तन्हा पढ़े.
Witr Namaz Related Questions (FAQs)
witr ki namaz me kya padhe
Witr Namaz सब कुछ वही पढ़ा जाता है जो बाकि की नमाजो में पढ़ा जाता है लेकिन इसमें अलग ये है की दुआ ए क़ुनूत पढ़ा जाता है, जो बहुत जरुरी होता है.
witr ki namaz kab padhna chahiye
वित्र नमाज़ ईशा की फ़र्ज़ नमाज़ के बाद पढ़ना चाहिए लेकिन अगर आप तहज्जुद की नमाज़ पढ़ते है तो उसके बाद पढ़े.
witr ki namaz mein dua qunoot kaise padhe
Dua e Qunoot कैसे पढ़े इसके लिए आप नमाज़ की हालत में ही रहे जैसे आप कियाम की सूरत में होते है और उसी हालत में ये दुआ पढ़े.
वित्र की नमाज़ कितनी रकात होती है।
वित्र की नमाज़ में रकात को लेकर बहत सारे आलिम में इख्तेलाफ़ है क्युकी बहुत सारे स्कॉलर 3 रकात पढ़ते को बोलते है तो बहुत सारे अलीम 1 रकात पढ़ने को बोलते है.
ये आपके ऊपर है अगर आप चाहे तो 1 रकात पढ़ या आपके पास टाइम है तो 3 रकात पढ़े.
क्या वित्र की नमाज़ ईशा की नमाज़ से पहले पढ़ सकते है?
वित्र की नमाज़ ईशा की नमाज़ से पहले नहीं पढ़ सकते है, अगर आप भूल कर नमाज़े वित्र ईशा से पहले पढ़ ली तो आपकी वित्र की नमाज़ मुक़म्मल हो जाएगी.
वित्र की नमाज़ का वक्त कब से कब तक रहता है?
वित्र की नमाज़ का वक़्त ईशा से लेकर फज़र से पहले तक रहता है लेकिन बेहतर ये है कि उसको Tahajjud के बाद पढ़ा जाए लेकिन अगर रात को उठने में किसी तरह की कोई शक हो तो ईशा की नमाज़ के बाद मुक़म्मल कर लेनी चाहिए.
अगर किसी से वित्र की नमाज़ छुट जाए तो क्या करे?
अगर कोई इन्सान से वित्र की नमाज़ छुट जाए तो जब उसको टाइम मिले वित्र की क़ज़ा जरुर पढ़े.
क्या वित्र की नमाज़ की क़ज़ा होती है?
हाँ Witr Namaz की क़ज़ा होती है अगर आप ईशा की नमाज़ नहीं पढ़ सके तो इसकी क़ज़ा होती है.
वित्र की नमाज़ में दुआ ए क़ुनूत नहीं पढ़ी और रुकू कर लिया तो क्या करना चाहिए?
अगर कोई इन्सान वित्र की तीसरी रकात में दुआ क़ुनूत नहीं पढ़ और रुकू कर लेने के बाद याद आया तो उको चाहिए की सजदा साहू कर ले.
आज आपने क्या सीखा
मुझे उम्मीद है आपको यह ब्लॉग Witr Namaz बहुत अच्छा लगा होगा इसके बारे में आप कमेंट में जरुर अपना राय दे.
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