जिस तरह से नमाज़ के मुस्तहब होते है उसी तरह Wazu ke Mustahab होते है जिसको करने से वजू दुरुस्त होती है और ज्यादा सवाब मिलता है।
दोस्तों आप सभी को बखूबी मालूम होगा की वजू के बहुत सारे अरकान होते है जैसे Wazu ke Faraiz, Wazu ki Sunnat और Wazu ke Makroohat.
लेकिन सभी का मलतब अलग अलग होता है जिसमे फ़र्ज़ को करना बेहद जरुरी होता है इसके बगैर वजू दुरुस्त नहीं होता और सुन्नत वह है जो नबी सल्लल्लाहु अलैहे वसल्लम ने किया है।
उसी तरह मुस्तहब का भी एक अलग मतलब होता है जिसमे बहुत छोटे छोटे चीज़े होता है जिसको बहुत सारे लोग छोटा समझ कर ignore कर देते है।
लेकिन यही छोटी सी चीज़ को बड़ा समझ कर पूरा करते है तो बहुत ज्यादा सवाब हासिल कर सकते है और वह इसको करने में ज्यादा वक़्त नहीं लगता है।
काम वही होता है जो वजू करते वक़्त करते है यानि जो Wazu karne ka Tarika शुरू से आखिर तक करते है उसी को थोड़ा ध्यान से करने पर सवाब हासिल कर सकते है।
अब जानते है की वजू के कितने मुस्तहब होते है जिसको सभी मुस्लमान को समझना चाहिए और दुसरे को भी सीखना चाहिए।
वजू के मुस्तहब किसे कहते है?
मुस्तहब उसे कहते है जिसको करने से बहुत सवाब मिलता है जिस तरह से नमाज़ के मुस्तहब को पूरा करने से नमाज़ दुरुस्त और मुकम्मल होती है उसी तरह वजू के मुस्तहबबात को पूरा करने से वजू मुकम्मल होती है।
नमाज़ के मुस्तहब अलग होती है और वजू के मुस्तहब अलग होती है नमाज़ वाला मुस्तहब इसी वेबसाइट पर नमाज़ के केटेगरी में बताया गया है लेकिन वजू के मुस्तहब यही पर बताया गया है।
Wazu ke Mustahab Kitne Hote Hai
वजू में 29 चीज़े मुस्तहब होते है जिसको पूरा करने से बहुत ज्यादा सवाब मिलता है हम सब को चाहिए की मुस्तहब को एहतराम करे।
- उंगलियों की पीठ से गर्दन का मसह करना
- क़िबला रुख मुंह करके वजू करना
- ऊँची जगह बैठ कर वुजू करना
- वुजू का पानी पाक जगह गिराना
- अपने हाथ से वजू के पानी भरना
- दुसरे वक़्त के लिए पानी भरकर रख देना
- बिला जरुरत वुजू करने में दुसरे से मदद न लेना
- साहबे उज्र न हो तो वक़्त से पहले वुजू कर लेना
- इत्मिनान के वजू करना
- कानों के मसह के वक़्त उंगलियों कानों के सुराखों में दाखिल करना
- कपड़ो को टपकते हुए कतरात से बचना
- अगर वुजू का बर्तन लोटा हो तो बाये तरह रखे
- अगर लोटे में दस्ता वगैरा लगा हो तो दस्ता को तिन बार धो ले
- हाथ दस्ते पर रखे लोटे के मुंह पर हाथ न रखे
- हर उज्व धोने के बा’द उस पर हाथ फैर कर बूंदें टपका देना ताकि बदन या कपड़े पर न टपकें खुसूसन जब कि मस्जिद में जाना हो कि फ़र्शे मस्जिद पर वुज़ू के पानी के क़तरे गिराना मक्रूहे तहरीमी है
- हर आ’जा को धोते वक़्त दिल में वुजू की नियत का हाज़िर रहना
- हर आ’जा को धोते वक़्त बिस्मिल्लाह और दरूद शरीफ व कलीमए शहादत पढ़ना
- हर आ’जा को धोते वक़्त अलग अलग आ’जा को धोने की दुआओ को पढ़ते रहना
- वुजू के बाद अगर मकरूह वक़्त न हो तो दो रकात नफिल नमाज़ पढ़ ले इस को तहियायातुल वुजू कहते है.
- पानी बहाते वक्त आ’ज़ा पर हाथ फैरना
- आ जाए वुज़ू पर पहले पानी चुपड़ लेना खुसूसन सर्दियों में
- सीधे हाथ से कुल्ली करना
- सीधे हाथ से नाक में पानी चढ़ाना
- उलटे हाथ से नाक साफ़ करना
- उलटे हाथ की छंग्लिया नाक में डालना
- अंगूठी को हरकत देना जबकि ढीली हो और येह यक़ीन हो कि इस के नीचे पानी बह गया है, अगर सख़्त हो तो हरकत दे कर अंगूठी के नीचे पानी बहाना फ़र्ज़ है
- चेहरा धोते वक़्त पेशानी पर इस तरह फैला कर पानी डालना कि ऊपर का कुछ हिस्सा भी धुल जाए
- दोनों हाथों से मुंह धोना
- हाथ पाउं धोने में उंगलियों से शुरू करना
किस काम के लिये वुज़ू करना मुस्तहब है
यहाँ पर कुछ ऐसे भी काम है जिसके लिए वजू करना मुस्तहब है मतलब हम सब को मालूम है नमाज़ और कुरान पढ़ने के लिए वजू करते है लेकिन इसके अलावा बहुत सारे काम है जिसके लिए वजू को करना मुस्तहब माना जाता है।
- सोने के लिये और सोने से उठने के बाद।
- मय्यत के नहलाने या उठाने के बाद।
- सोहबत से पहले।
- जब ग़ुस्सा आ जाये उस वक़्त।
- ज़बानी क़ुरआन शरीफ़़ पढ़ने पढ़ाने के लिये।
- जुमा ईद बक़रईद के अलावा बाक़ी ख़ुतबों के लिये।
- दीनी किताबों को छूने के लिये।
- सत्रे ग़लीज़ यानि पेशाब पख़ाने की जगह को छूने के बाद।
- झूठ बोलने, गाली देने, बुरी बात कहने और ग़ीबत करने पर।
- काफ़िर से बदन छू जाने, सलीब या बुत छूने, कोढ़ी या सफ़ेद दाग़ वाले से छू जाने पर।
- बग़ल खुजाने से जबकि उसमें बदबू हो।
- क़हक़हा लगाने यानि ज़ोर से हँसने के बाद।
- बेहूदा शेर पढ़ने के बाद।
- ऊँट का गोश्त खाने के बाद।
- किसी औरत के बदन से अपना बदन बिना रुकावट के छू जाने से।
- वुज़ू होने के बावजूद नमाज़ पढ़ने के लिये।
आज क्या सिखा
दोस्तों मुझे उम्मीद है की आप सब को Wazu ke Mustahab वाली पोस्ट अच्छी लगी होगी जिसमे बताया गया है की 29 चीज़े ऐसे है जिनको करने से हमारी वजू दुरुस्त होती है और सवाब भी मिलता है।
इसके अलावा सिखने को मिला की कितने ऐसे काम है जिसके के लिए वजू करना मुस्तहब माना जाता है।
लेकिन दोस्तों आप बिलकुल नहीं समझना की wazu ke mustahab को करना बेहद जरुरी है नहीं करने पर वजू मुकम्मल नहीं होगी ऐसा बिलकुल नहीं है यानि ऊपर जितने भी मुस्तहब बताया गया है उसको नहीं भी करेंगे तो वजू हो जायेगा लेकिन सवाब नहीं मिलेगा।
इसी तरह का इस्लामिक जानकारी लेना चाहते है तो इस पोस्ट अपने दोस्तों और फॅमिली के साथ जरुर शेयर करे जिससे उनको भी Wazu ke Mustahabat के बारे में मालूम चल सके।