Tayammum ka Tarika | तयम्मुम करने का तरीका सीखे हिंदी में

Tayammum ka Tarika

जब पानी नहीं होता है तो वजू और गुसल कैसे करते है उसके लिए Tayammum ka Tarika सीखना चाहिए और ये तरीका बहुत सारे लोगो को मालूम ही नहीं होता है।

आज के दुनिया में शायद ही कभी तयम्मुम करने की जरुरत पड़े क्युकी सभी जगह आसानी से पानी मिल ही जाता है फिर भी ये एक इस्लामिक जानकारी जिसको सीखना चाहिए।

आज भी कुछ जगह है जहाँ पर पानी की बहुत परेशानी होती रहती है जिसके कारण उन लोगो को गुसल और वजू करने में दिक्कत होती है तो खासकर इन जैसे लोगो को Tayammum karne ka Tarika सीखना चाहिए।

जो शख्स आज की पोस्ट को शुरू से आखिर तक पढ़ता है तो उसको तयम्मुम के हवाले से जितने भी दिल व दिमाग में सवाल आते है सभी का जवाब मिल जायेगा इन्शाल्लाह।

तयम्मुम का मतलब क्या है?

तयम्मुम एक अरबिक लफ्ज़ (Word) है जिसका मतलब होता है इरादा और नियत करना यानि पाकी हासिल करने के लिए पाक मिट्टी का इरादा करना।

तयम्मुम का हुक्म कुरान में क्या है?

अल्लाह सुबान व ता’अला कुरान शरीफ में सूरह अलमाइदा और आयत नंबर 6 में कुछ यु फरमाता है:

وَ اِنۡ کُنۡتُمۡ مَّرْضٰۤی اَوْ عَلٰی سَفَرٍ اَوْجَآءَ اَحَدٌ مِّنۡکُمۡ مِّنَ الْغَآئِطِ اَوْ لٰمَسْتُمُ النِّسَآءَ

فَلَمْ تَجِدُوۡا مَآءً فَتَیَمَّمُوۡا صَعِیۡدًا طَیِّبًا فَامْسَحُوۡا بِوُجُوۡہِکُمْ وَاَیۡدِیۡکُمۡ مِّنْہُ

तर्जुमा:- और अगर तुम बीमार या सफ़र में हो या तुम में कोई रफ़ा-ए-हाजित (Toilet) से आया या तुमने औरतों से सोहबत की और इन सूरतों में पानी न पाया तो पाक मिट्टी से तयम्मुम करो तो अपने मुँह और हाथों का उससे मसह करो। (सूरह अलमाइदा, आयत-6)

क़ुरआन पाक में दिये गये अल्लाह के इस हुक्म के मुताबिक़ जिस शख़्स का वुज़ू न हो या नहाने की ज़रूरत हो और पानी हासिल न कर सकता हो या पानी का इस्तेमाल नुक़सान करता हो तो वुज़ू और ग़ुस्ल की जगह तयम्मुम कर सकता है।

Tayammum kab karna chahiye

दोस्तों आप सभी को तयम्मुम करना कब जायज़ है इसके बारे में जानकारी होना बहुत जरुरी है क्युकी पानी रहते हुए या कुछ और मसाइल के चलते तयम्मुम कर लिए जब की वजू कर सकते थे तब आपकी तयम्मुम नहीं होगी।

तयम्मुम जिस तरह से सिखने के लिए आये है उसी तरह से अगर Wazu ka Tarika और Ghusl ka Tarika नहीं आता है तो सबसे पहले इनको सीखे.

इसी तरह बहुत सारे हालत हो सकते है जब वुजू और गुसल करना बहुत मुश्किल हो जाए तो इन सूरतो में तयम्मुम की इज़ाज़त है:

  • अगर किसी शख्स को बीमारी हो और पानी इस्तेमाल करने से बीमारी बढ़ने या बीमारी देर से खत्म होने की इन्देशा हो तो ऐसी सूरत में तयम्मुम कर सकते है।
  • बीमारी में ठंडा पानी से वजू या गुसल करने पर बीमारी का खतरा हो तो गर्म पानी का इस्तेमाल करे और गरम पानी नहीं मिले तो तयम्मुम कर सकते है।
  • इनती सदिद सर्दी हो की नहाने से मर जाने या बीमार हो जाने का खतरा हो तो तयम्मुम जायज़ है।
  • अगर जंगल में कुँआ हो मगर डोल रस्सी नहीं कि पानी भरे तो तयम्मुम जाइज़ है।
  • वुज़ू करने से ज़ुहर या मग़रिब या इशा या जुमे की पिछली सुन्नतों का या चाश्त की नमाज़ का वक़्त जाता रहेगा तो तयम्मुम करके नमाज़ पढ़ ले।
  • कोई शख्स मस्जिद में सो गया और वह नापाक हो गया तो जब उसकी आँख खुले तो फौरन उसी जगह तयम्मुम करके बाहर निकल आये क्युकी नापाकी की हालत में मस्जिद में ठहरना हराम है।

Tayammum ka Tarika सिखने से पहले इन सभी को भी सीखना बहुत जरुरी है क्युकी जब किसी को मालूम ही नहीं है की उस पर कब तयम्मुम जायज़ है तो ऐसी सूरत में जानकारी लेना जरुरी है।

तयम्मुम किस चीज़ पर जायज़ है?

तयम्मुम हर उस चीज़ से हो सकता है जो ज़मीन की क़िस्म से हो जैसे:

  • पाक मिट्टी 
  • रेत 
  • पत्थर 
  • चुना 
  • मिट्टी के कच्चे बर्तन जिन में तेल ना लगा हो 
  • कच्ची, पक्की ईंटो या फिर चुने की दिवार 
  • गेरो 
  • मुल्तानी मिट्टी 

Tayammum Karne ka Sahi Tarika

अभी तक शुरू से पढ़ते हुए आ रहे है तो यहाँ से अच्छे से समझ में आ जाएगा क्युकी इससे पहले कुछ जानकारी होना चाहिए अब चले सीखते है Tayammum ka Tarika क्या है जो हदीसो में बताया गया है।

अगर किसी वजह से पानी के इस्तेमाल पर कुदरत न हो तो वुजू और गुसल दोनों के लिए तयम्मुम कर लेना जायज़ है मसलन ऐसी जगह हो की वहां चारो तरफ एक मिल तक पानी का पता न हो या दुसमन, जानवर का डर हो तो तयम्मुम कर ले।

पानी के इस्तेमाल से बीमारी के बढ़ जाने का अन्देशा और गुमान ग़ालिब हो तो इन सूरतों में बजाये वुजू और गुसल के तयम्मुम करने का एक ही तरीका है।

Tayammum Karne ka Tarika यह है की सबसे पहले “बिस्मिलाहिर रहमानिर रहीम” पढ़ कर पहले दिल में Tayammum ki Niyat करे और जुबान से भी कहे “नवैतु अन अतयम-म-म तक्र्रुबन इलल्लाही तआला”।

फिर दोनों हाथों की उँगलियों को कुशदाह कर के जमीन या दिवार पर दोनों हाथों को मारे फिर दोनों हाथों को पुरे चेहरे पर इस तरह फिराये की जहाँ तक वुजू में चेहरा धोना फ़र्ज़ है।

फिर पुरे चेहरे पर हर जगह हाथ फिर जाये और अगर बुलाक या नथ पहनी हो तो उस को हटाकर उसके निचे की खल पर हाथ फिराये।

इसके बाद दोबारा दोनों हाथों को जमीं या दिवार पर मार कर अपने दाहिने हाथ को बाये हाथ पर और बायें हाथ को अपने दाहिने हाथ पर रख कर दोनों हाथों पर कोहनियों समेत हाथ फिराये।

और जहाँ तक वुजू में दोनों हाथों का धोना फ़र्ज़ है वहां तक हाथ के हर हिस्से पर हाथ फिर जाए और हाथों में चुरिया या कोई जेवर पहने पहने हुए हो तो जेवर को हटाकर उसके निचे खाल पर हाथ फिराये।

अगर चेहरा और दोनों हाथों पर बाल बराबर जगह पर भी हाथ नहीं फिराया तो तयम्मुम नहीं होगा इसलिए खासतौर इसका ख्याल रखना चाहिए की चेहरे और दोनों हाथों पर हर जगह हाथ फराये।

Tayammum ki Dua

दोस्तों तयम्मुम की कोई खास दुआ नहीं होता है हाँ नियत करने की दुआ होता है जिसको पढ़कर तयम्मुम शुरू करे और वह दुआ कुछ यु है “नवैतु अन अतयम-म-म तक्र्रुबन इलल्लाही तआला“।

लेकिन यही वजू कर रहे होते तो Wazu se pahle aur Wazu ke Baad ki Dua होता है जिसको पढ़ने का हुक्म आया है.

Tayammum me Kitne Farz Hai

जिस तरह से गुसल और Wazu ke Faraiz होते है जिसको करना बेहद जरुरी होता है उसी तरह Tayammum ke Faraiz भी होता है जिसमे से एक भी फ़र्ज़ छुट जाने पर तयम्मुम दुरुस्त नहीं होगा।

तयम्मुम में तिन चीज़े फ़र्ज़ है:

नियत करना:- तयम्मुम करने से पहले नियत अपने दिल में जरुर करे नियत कुछ यु कहे “या अल्लाह पाक व साफ़ होने के लिए तयम्मुम कर रहा हूँ” ये नियत दिल में या जुबान से भी कर सकते है।

मुंह पर हाथ फेरना:- जिस तरह से वजू करते वक़्त पुरे चेहरा पर पानी डालते है उसी तरह तयम्मुम में पुरे चेहरा को मिटटी वगैरह से हाथ फेरना है।

हाथों को कोहनियों समेत मसह करना:- Tayammum ke Farz में आखिरी फराइज दोनों हाथो को कोहनियों समेत मसह करना है जिस तरह से वजू करते वक़्त धोते है।

लेकिन यहाँ पर धयान देने वाली बात ये है की पुरे हाथ का मसह करना है अगर किसी जगह पर कुछ हिस्सा छुट जायेगा तो तयम्मुम नहीं होगा।

तयम्मुम किन चीजों से टूट जाता है?

वह तमाम चीज़े जो Wazu Tootne ki Wajah बनती है उन सारी चीजों से तयम्मुम भी टूट जाती है इसके लिए आपको वजू टूटने वाली चीजों से बारे में सीखना होगा।

क्या पानी मिल जाने से तयम्मुम टूट जाता है?

हाँ बिलकुल, जब पानी नहीं मिलने से तयम्मुम किया था तो जब पानी मिल जाने पर तयम्मुम टूट जाता है।

तयम्मुम में कितने फ़र्ज़ है?

तयम्मुम में तिन चीज़े फ़र्ज़ है पहला नियत करना दूसरा पुरे चेहरा का मसह करना और तीसरा दोनों हाथों समेत मसह करना।

Tayammum ka Tarika: आज क्या सिखा

मुझे उम्मीद है की आप सभी को Tayammum ka Tarika पसंद आया होगा जिसमे बहुत अच्छे तरीके से तयम्मुम का तरीका बताया गया है।

अगर कोई शख्स पानी पर कुदरत नहीं रखता है तो तयम्मुम करना जरुरी होता है इसके अलावा बहुत ऐसे कारण है जिनके वजह से तयम्मुम जायज़ हो जाता है जो ऊपर बताया गया है।

दोस्तों इसी तरह का इस्लामिक जानकारी हमेशा लेना चाहते है तो इस वेबसाइट को अपने दोस्त और फॅमिली के साथ सोशल मीडिया पर जरुर शेयर करे।

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