अगर किसी ने आज की पूरी पोस्ट पढ़ लिया तो उसने Salatul Tasbeeh ki Namaz ka Tarika सीख लिया और अपने गुनाहों की माफ़ी भी इसके जरिये करवा सकता है.
Salat ul Tasbeeh एक नफिल नमाज़ है, ये पांच वक्तों की नमाज़ में शामिल नहीं है और इस नमाज़ की बड़ी फ़ज़ीलत है। हुजुर अकरम सल्लाहू अलैहे व सल्लम ने अपने चाचा हजरत अब्बास रजी अल्लाह ता’अल अन्हो को इस नमाज़ की तरगीब फरमाई. इस नमाज़ के पढने से अल्लाह ता’अला पढ़ने वाले के अगले पिछले, नए पुराने, गलती से और जान बुझ कर किए हुए, छोटे बड़े और जाहिरी और पुशिदाह गुनाह बख्स दिया जाता है यानि माफ़ कर दिया जाता है.
और आप ने इन्हें फ़रमाया के अगर हर रोज एक बार पढ़ सको तो हर रोज़ पढ़ ले और अगर हर रोज़ नहीं पढ़ सके तो हर जुम्मा में एक मर्तबा पढ़ ले और अगर हर जुम्मा में भी न पढ़ सके तो हर महीने में एक मर्तबा पढ़ ले और अगर ये भी न कर सके तो हर साल में एक मर्तबा पढ़ ले और अगर ये भी न कर सके तो तमाम उम्र में एक मर्तबा जरुर पढ़ ले
किसी इन्सान से काम करवाना है या अल्लाह ता’अला से अपनी खावाहिस पूरा करवाना है तो Salatul Hajat ki Namaz ka Tarika सीखना चाहिए.
सलातुल तस्बीह क्या है?
सलात का मतलब नमाज़ होता है और तस्बीह का मतलब कोई आयात का विरद करना और यह नमाज़ बाकि नमाजो से बिलकुल अलग है क्युकी इसमें नमाज़ के साथ तस्बीह पढ़ा जाता है इसीलिए इसको सलातुल तस्बीह के नाम से जाता है.
यह नमाज़ नबी सल्लाहू अलैहे वसल्लम ने हम लोगो को खुद पढने के लिए बोला है इस हिसाब से इसकी बहुत बड़ी फ़ज़ीलत है और जो सख्स इस नमाज़ को पढ़ता है तो उसका पिछला और अगला सारी गुनाह माफ़ हो जाता है.
Salatul Tasbeeh ki Namaz ka Time
सलातुल तस्बीह एक नफिल नमाज़ है और नफिल इबादत के लिए कोई भी मुकरर वक़्त नहीं होता है लेकिन इस नमाज़ के लिए बेहतर वक़्त जोहर से पहले होता है.
मगर मकरूह वक्तो में यह नमाज़ पढने से परहेज़ करे क्युकी इन मकरूह वक्तो में नफिल इबादत ही नहीं कोई भी इबादत नहीं करना चाहिए.
सूरज निकलते वक़्त, जवाल के समय यानि 11:30 से 12:30 तक, सूरज डूबता वक़्त ये तीनो टाइम पढना मकरूह है. इसके अलावा आप इस नमाज़ को रात हो या दिन हो जब आपका समय मिले आप पढ़ सकते है.
Salatul Tasbeeh Namaz ki Niyat
अब यहाँ पर नियत करने का तरीका जानते है वैसे हम सब को मालूम है की किसी भी नमाज़ पढ़ने से पहले नियत करते है और ये जरुरी होता है.
ये भी मालूम होना चाहिए की हर Namaz ki Niyat अलग अलग होती है वैसे ही नफिल नमाज़ का भी नियत अलग होती है क्युकी नियत से ही मालूम होता है की कौन सा नमाज़ पढ़ रहे है.
Tasbeeh ki Niyat in Arabic:- نَوَايْتُ اَنْ اُصَلِّىَ لِلَّهِ تَعَالَى ارْبَعَ رَكَعَاتِ صَلَوةِ التَّسْبِيْحِ سُنَّةُ رَسُوْلِ اللَّهِ تَعَالَى مُتَوَجِّهًا اِلَى جِهَةِ الْكَعْبَةِ الشَّرِيْفَةِ اَللَّهُ اَكْبَرُ
Salatul Tasbeeh ki Niyat in URDU:- نیت کی میں نے چار رکعت صلوٰۃ التسبیح کی، واسطے اللہ تعالیٰ کے منھ میرا کعبہ شریف کی طرف۔
Salat ul Tasbeeh ki Niyat in Hindi:- नियत करता हूं मैं 4 रकात नमाज सलातुल तस्बीह की नफिल वास्ते अल्लाह ताआला के रुख मेरा काबा शरीफ की तरफ अल्लाहू अकबर

Salatul Tasbeeh ki Namaz ki Rakat
सलातुल तस्बीह नमाज़ में चार रकात होती है और एक सलाम के साथ पढ़ा जाता है जैसे आप बाकि नमाजो में पढ़ते है. मसलन 2 रकात के बाद सलाम नहीं फेरते और तीसरी रकात के लिए खड़े हो जाते है.
इस नमाज़ को पढने का तरीका वही है तो फजर से ईशा तक की नमाज़ का होता है लेकिन इस नमाज़ अलग इसलिए बनाता है क्युकी इसमें 300 मर्तबा तस्बीह पढ़ा जाता है जिसका तरीका निचे बताया गया है.
Salatul Tasbeeh Dua
यहाँ पर सलातुल तस्बीह की दुआ दिया जा रहा है आप सभी इसको याद कर ले और नमाज़ के अन्दर पढ़े या किसी को तीसरा कलमा याद है तो वही पढ़े सकता है दुआ कुछ यु है:
سُبْحَانَ اللّٰہِ، وَالْحَمْدُ لِلّٰہِ، وَلَا إِلٰہَ إِلاَّ اللّٰہُ، وَاللّٰہُ أَکْبَرُ
SubhanAllah Walhamdulillah Wala Ilaha Illallah Wallahu Akbar
सुब्हानल्लाही वल् हम्दु लिल्लाहि वला इलाहा इल्लाहु वल्लाहु अकबर
तस्बीह की नमाज़ में जहाँ जहाँ पर “तस्बीह” का लफ्ज़ होगा समझ लेना है यही दुआ है जो अभी आपने पढ़ा है.
Salatul Tasbeeh ki Namaz ka Tarika

यह नमाज़ पढने के लिए जरुरी नहीं है की मस्जिद में ही पढ़े किसी भी जगह पर पढ़ सकते है लेकिन वह जगह पाक साफ होना चाहिए.
- पहला – खड़े होते ही तस्बीह 15 बार
- दूसरा – सूरत मिलाने के बाद तस्बीह 10 बार
- तीसरा – रुकूअ् में तस्बीह 10 बार
- चौथा – क़याम यानि खड़े होने पर तस्बीह 10 बार
- पांचवा – सजदे में तस्बीह 10 बार
- छठवा – जलसा में तस्बीह 10 बार
- सातवां – दूसरे सजदे में तस्बीह 10 बार
अच्छी तरह से वजू करे फिर जनिमाज या पाक साफ़ कपड़ा बिछा कर क़िबला रुख खड़े हो जाने के बाद नियत करे नियत का तरीका ऊपर बताया गया है.
सलातुल तस्बीह का पहली रकात
नियत बांधने के बाद सना (सुबहानका अल्लाहुम्मा व बिहम्दीका व तबारका इस्मुका व त’आला जद्दुका वाला इलाहा गैरुका) पढ़े.
सना पढने के बाद 15 मर्तबा तीसरा कलमा का पहला आयत पढ़े जिसका तरीका निचे बताया गया है यानि तस्बीह पढ़ना है.
तस्बीह पढ़ने के बाद फिर आउज़ बिल्लाहे मिन्नस सैतानिर्रजिम फिर बिस्मिल्लाहिर रहमानिर रहीम पढ़े. इसके बाद सुरह फातिहा फिर कुरान शरीफ की कोई सूरत पढ़े.
रुकू में जाने से पहले 10 मर्तबा तस्बीह पढ़े फिर रुकू में जाए और तिन बार सुबहाना रब्बियल अज़ीम पढ़े रुकू के हालत में 10 मर्तबा फिर से तस्बीह पढ़े.
तस्बीह पढने के बाद समिल्लाहु लिमन हमीदा कहते हुए खड़े हो जाये फिर खड़े रहते हुए ही रब्बना लकल हम्द कहे फिर 10 बार तस्बीह पढ़े.
अल्लाहु अकबर कहते हुए सजदा में जाए और पहला सजदा में सुब्हान रब्बि यल आला पढ़े फिर 10 मर्तबा तस्बीह पढ़े.
इसके बाद दुसरे सजदा में जाने से पहले यानि जलसा के दरमियाँ 10 मर्तबा तस्बीह पढ़े फिर दुसरे सजदा में तिन बार सुब्हान रब्बि यल आला पढ़े फिर 10 मर्तबा तस्बीह पढ़े. इसके बाद दुसरे रकात के लिए खड़ा हो जाए.
सलातुल तस्बीह का दूसरी रकात
दूसरी रकात में सना नहीं पढना है सबसे पहले 15 बार तस्बीह पढ़े फिर अलहम्दो शरीफ और सूरत मिलाये इसके बाद रुकू में जाने से पहले 10 मर्तबा तस्बीह पढ़े.
रुकू में जाने के बाद तिन मर्तबा सुबहाना रब्बियल अज़ीम कहे फिर रुकू में रहते हुए 10 बार तस्बीह पढ़े. समिल्लाहु लिमन हमीदा कहते हुए खड़े हो जाये फिर खड़े रहते हुए ही रब्बना लकल हम्द कहे फिर इसी हालत में 10 मर्तबा तस्बीह पढ़े.
इसके बाद सजदा में जाए और दोनों सजदा के दरमियाँ 10 10 बार तस्बीह पढ़े. आपको ध्यान देना है की पहला सजदा करने के बाद जब आप उठते है और दूसरी सजदा में जाते है तो दूसरी सजदा में जाने से पहले फिर 10 बार तस्बीह पढना है.
सजदा के बाद दोनों पंजो पर बैठ जाए और तशाहुद पढ़े यानि अत्तःहियत पढ़े फिर अल्लाहु अकबर कहते हुए तीसरी रकात के लिए खड़ा हो जाए.
सलातुल तस्बीक की तीसरी रकात
तीसरी रकात भी पहली रकात की तरह पढ़ना है जिसमे सबसे पहले 15 बार तस्बीह पढ़े फिर अलहम्दो शरीफ और कोई सूरत मिलाये और रुकू में जाने से पहले 10 बार तस्बीह पढ़े.
रुकू में जाने के बाद सुबहाना रब्बियल अज़ीम और 10 तस्बीह समिल्लाहु लिमन हमीदा कहते हुए खड़ा हो जाए फिर रब्बना लकल हम्द और 10 तस्बीह फिर अल्लाहु अकबर कहते हुए सजदा में जाए.
सजदा में जाने के बाद सुब्हान रब्बि यल आला और 10 बार तस्बीह पढ़े फिर बैठ जाए और 10 तस्बीह पढ़े इसके बाद दुसरे सजदा में जाए और तिन बार सुब्हान रब्बि यल आला और 10 तस्बीह पढ़े. फिर अल्लाहु अकबर कहते हुए चौथी रकात के लिए खड़ा हो जाए.
सलातुल तस्बीह की चौथी रकात
चौथी रकात भी तीसरी रकात की तरह एक जैसी ही पढना है जिसमे अलहम्दो से पहले 15 तस्बीह फिर सूरत मिलाने के बाद 10 तस्बीह.
रुके में रहते हुए 10 तस्बीह रुकू से खड़े होते हुए 10 तस्बीह इसके बाद पहला सजदा में 10 तस्बीह फिर जलसा के दरमियाँ 10 तस्बीह फिर दुसरे रकात में 10 तस्बीह.
फिर दोनों पंजो पर बैठ जाए और अतःहियात, दरुदे इब्राहीम और दुआ इ मशुरा पढने के बाद दोनों तरफ सलाम फेर दे.
इस तरह से आपकी Salatul Tasbeeh ki Namaz सुन्नत तरीके से मुकम्मल हो गयी.
जिसमे 300 तस्बीह पढ़ा सभी रकात में 75 बार पढ़ा यानि 75+75+75+75=300 तस्बीह.
Salatul Tasbeeh ki Namaz ka Tarika for Ladies
Salat ul Tasbeeh ka Tarika या किसी भी नमाज़ का मर्द और औरत के लिए अलग नहीं होता है लेकिन कुछ जगह इक्तेलाफ़ है मसलन हाथ उठाने और हाथ बंधने की जगह, रुकू और सजदा इसके अलावा कुछ और है जो Aurat ki Namaz ka Tarika वाली पोस्ट में बताया है.
मर्द और औरत को चाहिए की जितना ज्यादा हो सके इबादत करनी चाहिए और अल्लाह ता’अल से अपने मग्फेरत के लिए दुआ करे.
सलातुल तस्बीह की नमाज़ तस्बीह भूल जाए तो क्या करे
अगर किसी ने तस्बीह की नमाज़ पढ़ रहा हो और गलती से चारो रकात में किसी एक रकात में तस्बीह 15 की जगह 10 पढ़ लिया या किसी रकात में तस्बीह पढ़ा ही नहीं रहा तो क्या करे.
किसी सख्स ने पहली या दूसरी तीसरी चौथी रकात में जितना तस्बीह पढना था उतना नहीं पढ़ा और भूल गया तो उसको चाहिए की अगली रकात में ज्यादा पढ़ ले.
क्युकी हम सब इन्सान है और इन्सान से गलती हो जाती है लेकिन आपको यकीन पर भरोषा करना चाहिए मसलन नमाज़ में 15 तस्बीह पढना था लेकिन वह भूल गया लेकिन वह कंफ्यूज की 10 पढ़ा हूँ या 15 तो यहाँ पर 10 पर उसको यकीन है 15 में सक है इसीलिए यकीन पर भरोषा करे.
सलातुल तस्बीह की नमाज़ पढ़ने के फायदे
दोस्तों हर नमाज को किसी न किसी खास फायदे और खुदा की रहमत पाने के लिए ही पढा जाता है, ऐसे में हर नमाज़ के अपने अपने फायदे हैं, Salatul Tasbeeh ki Namaz के भी अपने कुछ फायदे हैं। इनमे से कुछ मुख्य फायदे हमने नीचे बताए हैं, जिनकों पढ़कर आप इस नमाज़ को सही से समझ सकते हैं।
अल्लाह सुबान व ता’अला ने हर नमाज़ को खास रहमत और बरकत के लिए बनाया है पांच वक़्त की नमाज़ के अलावा बहुत ऐसे भी नमाज़े है जिनसे अल्लाह ता’अला पढने वाले को बहुत देते है.
इसी तरह Salatul Tasbeeh ki Namaz है जिसका फ़ज़ीलत और फायदे बे इन्तहा है जो कुछ यु है:
इस नमाज़ को पढ़ने का सबसे बड़ा उददेश्य खुदा की रहमत पाने के लिए पढा जाता है। इस नमाज़ को पढ़ कर खुदा की रहमत पा सकते है।
आपके घर में बरकत नहीं हो रहा है उपर जो तस्बीह बताया हूँ अगर कोई उस तस्बीह को पढ़ना शुरू कर दे तो उसके घर में बरकत होने लगा जाता है।
अगर आप बिज़नस कर रहे है या जॉब कर रहे है और कोई काम रुक गया है पूरा नहीं हो पा रहा है तो आप Salatul Tasbeeh ki Namaz को रोजाना पढने से रुके हुए काम में वृद्धि होने लगता है।
इस नमाज को पढ़ने का हुकुम हमारे नबी ने दिया है, तो यह हमारे लिए किसी भी फजीलत से बढ़कर है।
जो शख्स इस नमाज को पढेगा तो इस नमाज की बरकत और रहमत से उसके तमाम अगले और पिछले गुनाह माफ हो जाएंगे।
अगर आपकी कोई चाहत है या कोई हाजत है या फिर आप किसी ऐसे तकलीफ या परेशानी में घिरे हुए हैं; जहां आपको कुछ समझ में नहीं आ रहा, तो आप इस नमाज को पढ़ें इंशाअल्लाह आपको उस परेशानी का हल मिल जाएगा।
आप सिर्फ दुआ करे और अल्लाह ता’अल पर छोड़ दे इंशाअल्लाह आपकी दुआ जरुर काबुल होगी.
Salatul Tasbeeh Namaz Related FAQs
सलात उल तस्बीह की नमाज़ पढने से मुतालिक जितने भी सवाल है उनका यहाँ पर जवाब दिया गया है इसके अलावा आपके दिमाग में जो सवाल है निचे कमेंट करे.
सलातुल तस्बीह की नमाज़ सुन्नत है या नफिल
सलातुल तस्बीह की नमाज़ नफिल है सुन्नत नमाज़ सिर्फ पांचो वक्तो की नमाज़ में पढ़ा जाता है.
Salatul Tasbeeh ki Namaz kab Padhi Jati Hai
सलातुल तस्बीह की नमाज़ का समय फिक्स नहीं होता है इस नमाज़ को रात हो या दिन जब चाहे पढ़ सकते है लेकिन मकरूह वक़्त को छोड़ कर.
Salatul Tasbeeh ki Namaz kitni Rakat Hoti Hai
सलातुल तस्बीह की नमाज़ 4 रकात होती है जिसका तरीका ऊपर बताया गया है.
आखिरी बाते
दोस्तों मैं चाहता हूँ की Salatul Hajat ki Namaz Padhne ka Tarika सभी मुस्लमान को आ जाए जिससे वह अपने और अपने फॅमिली की गुनाहों की माफ़ी अल्लाह ता’अला से मांग सके.
तो इसके लिए आपको एक काम करना इस पोस्ट को जिसका नाम Salatul Hajat है इसको अपने दोस्तों और फॅमिली के साथ शेयर करे ताकि वह भी इस नमाज़ के बारे में जान सके.
जिसमे आपको सिखने को मिला की Salatul Tasbeeh की नियत, रकात, वक़्त और औरतें का भी तरीका सिखने को मिला होगा. इस पोस्ट को पढने के लिए आप सभी का बहुत बहुत शुकुरिया.
मेरा नाम मेराज अहमद है और मैं एक फ्रीलांस लेखक और ब्लॉगर हूं। मैंने अपनी शिक्षा दीनी मदरसों में पूरी की है। मुझे धार्मिक विषयों पर लिखना बहुत पसंद है और अपने लेखों के ज़रिए मैं लोगों तक सही इस्लामिक संदेश पहुंचाने की कोशिश करता हूं। मुझे लोगों को ज्ञान देना बहुत पसंद है।