Salatul Hajat ki Namaz ka Tarika, Time, Rakat, Niyat, Fayde

Salatul Hajat ki Namaz ka Tarika

अस्सलाम अलैकुम दोस्तों आज की पोस्ट में आपको सिखने को मिलने वाला है की Salatul Hajat ki Namaz ka Tarika क्या है और इसके फायदे क्या है.

वैसे अगर आप सलातुल हाजत नाम पहली बार सुन रहे है तो कोई बात नहीं आज इसका मकसद भी मालूम हो जायेगा और इसके तरीका, नियत, रकात के साथ कुछ सवालो के जवाब भी मालूम चल जायेगा.

सलातुल हाजत एक ऐसी नफिली नमाज़ है जो किसी भी इन्सान की इच्छा और खावाहिस पूरी करने में मदद करता है और इसके साथ किसी इन्सान से काम है फिर भी ये नमाज़ आपकी मदद करेगा.

सलातुल हाजत में सबसे जरुरी अमल दुआ करना होता है जिसका स्पेशल दुआ है जिसको पढ़ने से आपकी इच्छा पूरी होगी जो निचे बताया गया है.

Salatul Hajat Kya Hai

सलातुल हाजत जिसमे “हाजत” का मतलब है की किसी भी चीज़ का खवाइश होना मसलन अल्लाह ता’अला से कोई दुआ कबूल करवाना हो या किसी भी इन्सान से जरुर है तो वह जरुर को पूरा करवाना इसे ही सलातुल हाजत कहते है.

Salatul Hajat Meaning in Hindi

सलातुल हाजत का मतलब (Meaning) खवाहिश (Wish) होता है यह नमाज़ 2 रकात अल्लाह ता’अला के लिए पढ़ा जाता है और इस नमाज़ को पढ़ने का मकसद इच्छा या उदेश्य को पूरा करना होता है.

Salatul Hajat ki Namaz ka Time

Salatul Hajat ki Namaz ka Waqt मुकरर नहीं है क्युकी यह नमाज़ नफिल है और यह किसी भी मुस्लमान पर फ़र्ज़ नहीं किया गया है.

फ़र्ज़ व वाजिब नमाज़ का ही कोई फिक्स्ड वक़्त होता है मसलन फजर का एक फिक्स्ड होता है जो इस वक़्त में नमाज़ को अदा कर लेता है तो उसकी नमाज़ अदा जाएगी वरना क़ज़ा हो जाएगी.

लेकिन सलातुल हाजत में इस तरह का कोई कंडीशन नहीं है इस नमाज़ को अदा करने के लिए आपको कामो के वक़्त मिल जाए या खाली बैठे हुए तो आप पढ़ ले.

यह नमाज़ पढ़ने के लिए सिर्फ आपको मकरूह वक्तो से बचना चाहिए यानि सूरज निकलते वक़्त, जवाल के समय और शाम में जब सूरज डूब रहा हो उस वक़्त.

इन समय के अलावा जितने भी टाइम आप पढ़ सकते है बेहतर और अफज़ल ये है की कोई भी फ़र्ज़ नमाज़ के बाद पढ़े.

मसलन फजर में पढ़ना चाहते है तो आपको चाहिए की सबसे पहले फ़र्ज़ और सुन्नत पढ़ ले फिर सलातुल हाजत की नमाज़ को पढ़े.

Salatul Hajat ki Namaz ki Rakat

सलातुल हाजत की नमाज़ 2 रकात होती है और यह नमाज़ एक निफल इबादत है जिसका मतलब है की करने वाले को सवाब मिलेगा और नहीं पढ़ने वाले को कोई गुनाह भी नहीं होगा.

लेकिन यह नमाज़ पढ़ने से आपकी खावाहिस और इच्छा पूरी होगी इसके अलावा बहुत सारे फायदे है जो निचे सिखने को मिलेगा.

Salatul Hajat ki Namaz ki Niyat

Salatul Hajat की नमाज़ कोई बाकि पांच वक्तो की नमाज़ में कोई अंतर नहीं है सिर्फ एक जगह होता जहाँ पर आपको सिर्फ इस नमाज़ का नाम लेना होता है.

जब आप इस नमाज़ को पढ़े तो आप अपने दिमाग में सोचे की मै जोहर की 2 रकात नफिल पढ़ रहा हूँ इस तरह से आप नहीं भूलेंगे.

“नियत की मैंने 2 रकात नमाज सलातुल हाजत की वक्त मौजूदा वास्ते अल्लाह ताआला के मुंह मेरा तरफ काबा शरीफ के अल्लाहू अकबर”

Salatul Hajat ki Namaz Padhne ka Tarika

Salatul Hajat ki Namaz Beatiful Masjid ke Andar

अभी आपने सलातुल हाजत की नियत, रकात और वक़्त के बारे में सीख लिया अब इसके तरीका के बारे में जानते है की यह नमाज़ कैसे पढ़े.

जिसके लिए आपको सबसे पहले वजू करना वैसे किसी भी नमाज़ के लिए वजू करना जरुरी है इसीलिए वजू का तरीका सीखना चाहिए.

वजू के बाद आप पाक और साफ़ जगह की तलाश करले उसके बाद जनेमाज़ या पाक कपड़ा बिछा दे फिर क़िबला रुख खड़े हो जाए. फिर नियत करे जो ऊपर बताया गया है और नियत जुबान से करना जरुरी नहीं है.

नमाज़ की पहली रकात

नियत करने के बाद कानो तक हाथ उठाय और बांध ले फिर सना (सुबहानका अल्लाहुम्मा व बिहम्दीका व तबारका इस्मुका व त’आला जद्दुका वाला इलाहा गैरुका) पढ़े. फिर आउज़ बिल्लाहे मिन्नस सैतानिर्रजिम और बिस्मिल्लाहिर रहमानिर रहीम पढ़े.

इसके बाद सुरह फातिहा यानि अलहम्दो शरीफ पढ़ने के बाद आमीन कहे फिर कुरान शरीफ की छोटी या बड़ी सुरह पढ़े.

सुरह पढ़ने के बाद अल्लाहु अकबर कहते हुए रुकू में जाए और कम से कम तिन या पांच बार सुबहाना रब्बियल अज़ीम कहे फिर समिल्लाहु लिमन हमीदा कहते हुए खड़ा हो जाए और अच्छी तरह खड़ा हो जाए तो रब्बना लकल हम्द पढ़े.

फिर अल्लाहु अकबर कहते हुए सजदा में जाए और दोनों सजदा के दरमियान 3 या पांच मर्तबा सुब्हान रब्बि यल आला पढ़े और दूसरी रकात के लिए खड़ा हो जाए.

नमाज़ की दूसरी रकात

दूसरी रकात में सना नहीं पढ़ना है आपको अलहम्दो शरीफ पढ़ना है उसके बाद आमीन कहे फिर कोई कुरान की सूरत मिलाए.

इसके बाद फिर उसी तरह रुकू करे जैसे पहली रकात में करेंगे फिर उसी तरह सजदा भी करेंगे और दोनों सजदे करने के बाद दोनों पांचो पर बैठ जाए.

दोनों पंजो पर बैठे के बाद अत्तःहियत, दरुदे इब्राहीम, दुआ ए मशुरा पढ़े फिर दोनों तरह सलाम फेर दे जैसे बाकि नमाजो में करते है.

इस तरह से आपकी सलातुल हाजत की नमाज़ मुकम्मल हुयी आपको और अच्छे से समझना है तो आपको जोहर की 2 रकात नफिल की नमाज़ पढ़ना चाहिए.

Salatul Hajat ki Dua

आप सभी को मालूम हो गया की सलातुल हाजत की नमाज़ पढ़ने का तरीका क्या है इसी के साथ ये भी जानते है सलातुल हाजत की दुआ कैसे पढ़ते है. हजरत अब्दुल्लाह बिन अबी औफा रजिअल्लाहु अन्हु से रिवायत है की अल्लाह के रसूल सल्लल्लाहु अलैहि वस्सलल्लम ने इरशाद फ़रमाया

“जिसे अल्लाह से कोई हाजत हो या किसी बन्दे से कोई हाजत हो तो सबसे पहले अच्छे से वज़ू करे फिर दो रकअत नमाज़ पढ़ कर अल्लाह की तारीफ़ करें और नबी ए करीम सल्लल्लाहु अलैहि वस्सलल्लम पर दरूद पढ़ें और फिर अल्लाह से दुआ मांगे”

Salatul Hajat ki Dua in Arabic
Salatul Hajat ki Dua in Arabic

Salatul Hajat ki Dua in Hindi

ला इला ह इल्लल्लाहुल हलीमुल करीमु सुब्हानल्लाहि रब्बिल अर्शिल अज़ीम वल हम्दु लिल्लाहि रब्बिल आलमीन. असअलु क मुज़िबाति रहमति क व अजाइम मग्फ़िर ति क वल गनी म त मीन कुल्ली बिररिव वस्सला म त मीन कुल्लि इस्मिन. ला तदअ ली जम्बन इल्ला गफर तहु व ला हम्मन इल्ला फर्रज तहु व ला हा ज तन ही य ल क रीजन इल्ला क जै त हा या अर्हमर्राहिमिन.

Salatul Hajat ki Dua in English

Laaa i-la-ha il-lal-la-hul-Ha-leemul kareem.
Sub-hanallahi rabi-bil arshilazeem.
Wal-Hamdu-lil-la-hi rabbil-Alameen. As’aluka muji-bati rah-ma-tik, waa-zaaa ‘i-ma mag-fira-tik, wal gha-nee-mata min kul-li birr, was-sa-la-mata min kul-li ithm.
La ta-da` li dhan-ban il-la gha-far-tah, wala ham-man il-la far-raj-tah, wala day-nan il-la ka-day-tah, wala hajatam-min ha-wa i-jid-dunya wal-aaa-khi-rah.
He-ya laka ri-dan il-la qa-day-taha yaaa ar-ha-mar-ra-he-meen.

Salatul Hajat ki Namaz ki Dua ki Tarjuma

अल्लाह ता’अला के अलावा कोई मालिक और हाकिम नही है, जो बहुत ही मेहरबान और करम करने वाला है, मै अल्लाह ता’अला की पाकी और बड़ाई बयान करता हूँ. वह अल्लाह ता’अला जो अर्शे अज़ीम का मालिक है और तमाम तारीफें अल्लाह के लिए हैं जो दोनों जहाँ का पालनहार है, ये अल्लाह मै आप से आप की रहमत के और आप की मघ्फिरत के मजूत असबाब और हर नेकी में हिस्सा लेने और हर बुराई से सलामती का सवाल करता हूँ, ये अल्लाह ता’अला मेरे हर गुनाह को माफ़ कर दे और गम को दूर कर दे और मेरी कोई भी ज़रूरत जिस से तू राज़ी हो उस को पूरा कर दे.

सलातुल हाजत की दुआ कैसे करे

Salatul Hajat ki Dua मांगने के लिए सबसे पहले 3 मर्तबा दरुदे इब्राहीम पढ़े फिर अल्लाह ता’अला की हमद बयान करे यानि तारीफ करे.

इसके बाद नबी मुस्तफ़ा सल्लाहू अलैहे वसल्लम कसरत से दरूद पढ़े फिर इसके बाद Dua e Hajat पढ़े. फिर जो ऊपर बताया गया है वह दुआ पढ़े.

सलातुल हाजत की दुआ पढ़ने के बाद फिर आप जिस काम के लिए यह नमाज़ पढ़ रहे है वह चीज़ को इस दुआ में मांगे और बिच बिच में अल्लाह ता’अला की हमद बयान करते है.

जब आप अपनी हाजत की दुआ और उसके साथ अपनी खवाहिश बयान कर दे तो उसके बाद फिर 3 मर्तबा दरुदे इब्राहीम पढ़े. इस तरह से दुआ को मांगे तो दुआ कभी रद्द नहीं होगा.

Salatul Hajat ki Namaz ke Fayde

सलातुल हाजत में जो दुआ है वह हदीस की अक्सर किताब में मौजूद है, इस नमाज़ को दिल से पढ़ने के बाद अल्लाह ता’अला पढ़ने वाले की ज़रूरत और उसके काम को आसान कर देते हैं, और उसके गुनाहों को भी माफ़ कर देते है, जैसा की दुआ के अल्फाज़ से भी मालूम होता है और हमारे हजरत मोहम्मद सल्लाहू अलैहे वसल्लम ने भी फ़रमाया है की जिस को कोई जरुरत वाली काम आ जाए उस को सलातुल हाजत पढ़ कर अल्लाह से दुआ मांगनी चाहिए. [Tirmizi: 479]

Salatul Hajat Related Questions (FAQs)

यहाँ पर हाजत नमाज़ के मुतालिक कुछ सवालो के जवाब दिए जा रहे है इसके अलावा आपके मन में कोई ऐसा भी सवाल है जो यहाँ पर नहीं लिखा गया है तो आप कमेंट जरुर करे.

सलातुल हाजत और तहज्जुद में अंतर क्या है?

हाँ थोड़ा सा फर्क है सबसे पहले नियत में अंतर है उसके बाद इसके फायदे और फ़ज़ीलत में अंतर है जो ऊपर बताया गया इसके साथ सलातुल हाजत के लिए स्पेशल दुआ है और तहज्जुद के लिए नहीं है.

क्या हम सलातुल हाजत फजर के बाद पढ़ सकते है?

हाँ बिलकुल, सलातुल हाजत की नमाज़ को फजर के बाद भी पढ़ सकते है.

क्या हम सलातुल हाजत ईशा के बाद पढ़ सकते है?

हाँ बिलकुल, ईशा की नमाज़ के बाद सलातुल हाजत की नमाज़ को पढ़ सकते है.

Salatul Hajat सुन्नत है या नफिल?

सलातुल हाजत एक नफिल नमाज़ है इसे समझने के लिए आपको पांचो वक्तो की नमाज़ में बारे में जानना होगा, जो पांचो वक़्त की नमाज़ में सुन्नत नमाज़ होता है उसके अलावा सिर्फ नफिल नमाज़ ही होता है.

क्या हम सलातुल हाजत हर दिन पढ़ सकते है?

हां पढ़ सकते है, क्युकी हम अल्लाह ता’अला की जिनता ज्यादा इबादत करेंगे उतना ही आपको सवाब मिलेगा.

सलातुल हाजत पढ़ने के लिए सबसे अच्छा वक्त क्या है?

सलातुल हाजत पढ़ने के लिए कोई भी फिक्स्ड टाइम नहीं है जब आपके पास टाइम और अच्छा जगह मिल जाए पढ़ सकते है.

सलातुल हजात कितने बजे नमाज पढ़ सकते हैं?

जब आपको वक़्त मिले तब पढ़ सकते है इसके लिए कोई टाइम मुकरर नहीं है.

आज आपने क्या सिखा

अल्लाह सुभानव ता’अला की बारगाह में दुआ है की हम सब को सलातुल हाजत की नमाज़ पढ़ने का तरीका आ जाए और इसके अलावा पांचो वक्तो की नमाज़ पढ़ने की तौफिक आता फरमा.

दोस्तों मुझे उम्मीद है यहाँ पर जितने हाजत नमाज़ से सम्बंथित बताया गया है आपको अच्छा लगा होगा जिसमे आपने सबसे पहले जाना की सलातुल हाजत क्यों पढ़ते है.

फिर इसके नियत, वक़्त और रकात में बारे में सिखा जो इस नमाज़ के लिए बहुत जरुरी था इसके अलावा जितने भी सवाल है सभी का जवाब मिल गया होगा.

आप से गुजारिश है की इस पोस्ट में अपने दोस्तों और फॅमिली में शेयर जरुर करे.

Leave a Comment

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Scroll to Top