Qaza e Umri ki Namaz Padhne ka Tarika

क्या आप नहीं चाहते है की पूरी जिन्दगी की नमाज़ जो क़ज़ा हो गयी है उसे अदा करने का तरीका मालूम हो जाए तो इसलिए आज Qaza e Umri ki Namaz ka Tarika सीखना चाहिए.

आज के समय में मेरे भाई और बहन ये चाहती है की मै पूरी जिन्दगी नमाज़ न पढू और एक सिर्फ क़ज़ा ए उमरी की नमाज़ पढ़ ले तो पिछले जितने भी नमाज़ बाकि रह गयी थी वह अदा हो जाएगी.

तो मेरे दोस्तों ये तो सोचने वाली बाते है की कोई इन्सान की 12 साल में बालिग हुआ और वह 30 की उम्र से नमाज़ पढ़ना शुरू किया है तो उसके जिम्मा 18 साल की नमाज़ बाकि रह गयी है तो क्या 18 साल की नमाज़ पढ़ना होगा.

Qaza e Umri Namaz Calculator

पहले आप को बताता हूँ किसी सख्स 12 साल की उम्र में बालिग हुआ और वह 30 साल की उम्र से नमाज़ पढ़ना शुरू किया है तो उसके जिम्मा कितने नमाज़े बाकि रहा गया है चलिए हिसाब लगाते है.

हिसाब लगाने के लिए आपको समझना होगा की Qaza e Umri ki Namaz में सिर्फ फ़र्ज़ व वाजिब की होगी सुन्नत और नफिल नमाज़ की नहीं होगी.

NamazRakatTotal Rakat
Fajarसिर्फ 2 रकात फ़र्ज़18 Years X 365 X 2 = 13140 Rakat
Joharसिर्फ 4 रकात फ़र्ज़18 Years X 365 X 4 = 26280 Rakat
Asrसिर्फ 4 रकात फ़र्ज़18 Years X 365 X 4 = 26280 Rakat
Magribसिर्फ 3 रकात फ़र्ज़18 Years X 365 X 3 = 19710 Rakat
Ishaसिर्फ 4 रकात फ़र्ज़18 Years X 365 X 4 = 26280 Rakat
Witrसिर्फ 3 रकात वित्र18 Years X 365 X 3 = 19710 Rakat
Total Namazहर दिन = 20 रकात18 साल की नमाज़ = 131,400 रकात
Qaza e umri Calculator

दोस्तों एक बार गौर फ़िक्र करे की यदि किसी सख्स से 18 साल की नमाज़ छुट जाए तो उसको 131400 रकात पढ़ना पढ़ना होगा ये तो सोच कर ही डर लगने लगता है.

और यही नहीं इसके साथ साथ हर दिन जो पांच वक़्त की नमाज़ फ़र्ज़ है इसको भी पढ़ना है ऐसे में कोई इन्सान से कहे की आपको रोज फ़र्ज़ से ईशा तक की नमाज़ पढ़नी है इसके साथ आपने पुरे जिन्दगी में क़ज़ा किया है उसको भी पढ़ना होगा तो ऐसा सुनकर तो नमाज़ ही पढ़ना छोड़ देगा.

Qaza Umri Namaz Padhne ka Tarika

कहने का मकसद ये नहीं है की क़ज़ा नमाज़ पढ़ना ही नहीं है बिलकुल पढ़ना है लेकिन आपको ये दो चीज़ में फर्क समझना होगा पहला की नमाज़ सोच समझ कर जानबूझ कर छोड़ना और दूसरा अनजाने में गफलत में या नींद नहीं खुलने पर जो नमाज़ क़ज़ा हुई है.

इनमे से क़ज़ा उसी नमाज़ की होगी जिस नमाज़ को अनजाने में या नींद की वजह से छुट गया है उसकी ही क़ज़ा की नमाज़ पढ़नी चाहिए.

इसके अलावा आपको एक और बात का ध्यान से समझना होगा की जब कोई अल्लाह सुबान व ता’अला की बारगाह में सच्चे दिल से तौबा कर ले फिर इसके बाद उसकी नमाज़ क़ज़ा होती है तो उसकी क़ज़ा पढ़ना लाज़मी जरुरी है.

इसलिए आपको Qaza Namaz ka Tarika सीखना चाहिए न के क़ज़ा ए उमरी की नमाज़ सीखना चाहिए.

चार जोहर से पहले और चार जोहर के बाद दो मगरिब के बाद 2 ईशा के बाद 2 फजर से पहले

अगर किसी को पिछले नमाज़ की टेंशन है तो उसे चाहिए की दिन और रात में 12 सुन्नते मोकिदा जरुर पढ़े क्युकी एक हदीस में है जो सख्स की फ़र्ज़ कम पड़ेगी तो उसको सुन्नत और नफिल को फ़र्ज़ बना दिया जायेगा.

इसीलिए पिछली नमाज़ की टेंशन है आपको चाहिए की 2 रकात फजर की सुन्नत, 4 रकात जोहर की सुन्नत, 2 रकात जोहर की सुन्नत, 2 रकात मगरिब की सुन्नत, 2 ईशा की सुन्नत दिन और रात में जरुर पढ़े.

आज आपने क्या सिखा

क़जाए उमरी कोई नमाज़ नहीं है पुराणी जिन्दगी जो नमाज़ क़ज़ा हुई अल्लाह से तौबा करे माफ़ी की उम्मीद है परेशान ना हो क्युकी जो आप पांच वक्तो में जो 12 सुन्नते मोकिदा या इसके अलावा जो नफिली नमाज़ पढ़ेगे तो वही आपकी पिछली नमाज़ की कफ्फारा बन जाएगी.

लेकिन जो तौबा करने के बाद जो साथ साथ क़ज़ा होती है उसको अदा करना जरुरी है उसको कोई नहीं कहता है अलग से क़ज़ा नमाज़ की धेर बना दे क्युकी वो माफ़ नहीं होगी जब तक नहीं पढेंगे.

मुझे उम्मीद है आपको Qaza e Umri ki Namaz पढ़ना चाहिए या नहीं इसके अलावा बहुत कुछ सिखने को मिला होगा इसके अलावा इसके मुताल्लिक कुछ सवाल है तो निचे कमेंट करे.

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