Namaz ki Sharait जिनके बगैर नमाज़ कबूल ही नहीं होगी क्युकी कोई भी नमाज़ पढ़ने से पहले कुछ शर्त होता है जिनको पूरा करता जरुरी होता है।
दोस्तों नमाज़ पढ़ने के लिए सबसे पहले शर्त पर होना जरुरी होता है तभी नमाज़ के काबिल बन सकेंगे फिर इसके बाद Namaz ke Faraiz और Namaz ke Wajibat को पूरा करना होता है।
नमाज़ के शरायत में से किसी एक शर्त की गैर हाज़री में नमाज़ नहीं होगी और ये वह फ़र्ज़ काम है जो खारिज़े नमाज़ होने के वजह से खरीज़ी फ़रायज़ है और इनको शाराइत नमाज़ की हैसियत दी गई है।
इन तमाम शरायत का नमाज़ शुरू करने से पहले होना जरुरी व लाज़मी है और इन शर्त में अगर एक भी न पाई गयी या दौराने नमाज़ इन शर्तो में से कोई एक शर्त भी खत्म हो गयी तो नमाज़ न होगी।
Namaz ki Shart Kitni Hai
Namaz ki 6 Sharte है जिनको यहाँ पर पूरी डिटेल्स से जानने और सिखने को मिलने वाला है बस आप कोशिश करे की इसको शुरू से आखिर पढना. इसी तरह नमाज़ में ज्यादा सवाब कमाना चाहते है तो Namaz ki Sunnat अमल को जरुर सीखे क्युकी ये भी नमाज़ के दरमियान जरुरी होता है।
- तहारत यानि बदन का पाक होना
- जिस्म का ढँका होना
- क़िब्ले को रुख़ करना
- वक़्त का सही वक़्त होना
- नमाज़ की नीयत करना
- तकबीरे तहरीमा (अल्लाहु अकबर)
तहारत यानि बदन का पाक होना
Namaz ki Sharait का पहला शर्त तहारत का मतलब पाक व साफ़ होना है जिसके लिए आपके बदन का पाक साफ़ रहना जरुरी है उसी तरह कपड़े और जगह का पाक होना जरुरी है।
बदन का पाक होना
बदन का मतलब होता है की आपका शारीर (Body) नजास्त से पाक हो यानि अगर गुसल की जरुरत है गुसल कर ले लेकिन बहुत अफ़सोस के साथ बताता पर रहा है की आज कल की नौजवान को मालूम ही नहीं है घुसल कब फ़र्ज़ होता है।
पैखाना या पेशाब किया है तो वजू फ़र्ज़ हो जाता है बिना वजू नमाज़ नहीं होगी इसी तरह अपनी बीवी के साथ हमबिस्तरी किये तो घुसल करना जरुरी है।
इसी तरह nightfall या हस्थ्मैथुन की वजह से मणि (Sperm) खारिज हो गया है तो घुसल जरुरी हो जाता है।
कपड़े का पाक होना
बदन पाक होने के बाद कपड़ा पाक होना भी बेहद जरुरी है क्युकी बदन पाक है और कपड़े पाक और साफ़ नहीं है तो फिर भी आपका नमाज़ नहीं होगा।
आपको ध्यान रखना होगा की कही कपड़े पर नजास्त या गंदगी तो नहीं लगी या पेशाब या पैखाना के वक़्त आपके कपड़े पर कुछ छिता न लग गया हो तो फिर घुसल वाजिब हो जाता है।
इसी तरह आपको एक बात बताता चाहूँगा की कपड़ा पाक होना चाहिए नया और पुराना कपड़ा से फर्क नहीं पड़ता है।
नमाज़ की जगह का पाक होना
जिस तरह से बदन और कपड़ा का पाक साफ़ होना बेहद जरुरी है उसी तरह आप जिस जगह नमाज़ पढ़ रहे है उस जगह का पाक होना भी जरुरी है।
अगर कोई सख्स मस्जिद में नमाज़ पढ़ रहे है तो वह खुशनसीब है क्युकी एक तो उसको पाक वाली जगह मिल गया फिर इसके साथ जमात के साथ भी नमाज़ पढ़ने का मौका मिल गया है।
लेकिन मस्जिद के अलावा घर, कंपनी, बस, ट्रेन या कोई भी जगह हो लेकिन उस जगह का पाक होना जरुरी है पाक होने का मलतब है की वहां पर नजास्त या गंदगी या किसी इन्सान या जानवर का पेशाब ना किया हो इसके अलावा और भी होता है।
जिस्म का ढँका होना
जिस्म यानि स्तर का इनता ढकना या छुपाना जो शरियत में बताया गया है क्युकी इतना भी नहीं छुपा जो इस्लाम ने बताया तो नमाज़ नहीं होगी।
मर्द के लिए नाफ़ के नीचे से घुटनों के नीचे तक छिपाना फ़र्ज़ है। औरतों के लिए सारा बदन, बाल ,गर्दन और कलाइयाँ छिपाना ज़रूरी है लेकिन मुँह, हथेलियों और पाँव के तलवों को खुला रखना चाहिये।
क़िब्ले को रुख़ करना (Namaz ki Sharait)
दोस्तों हम सब बचपन से सुनते आ रहा है की नमाज़ पश्चिम की तरफ मुंह करके पढना इसी तरह आप गाँव या मोहल्ले के मस्जिद में नमाज़ पढ़ते है या किसी भी मस्जिद में नमाज़ पढ़ते है वहां के लोग पश्चिम की तरफ ही मुंह करके पढ़ते है.
ऐसा क्यों करते है आपके दिल और दिमाग में सवाल जरुर आया होगा तो मै आपको बता दूँ की पश्चिम की तरफ इसलिए मुंह करके नमाज़ अदा करते है क्युकी उस तरफ क़िबला यानि काबा शरीफ होता है.
यहाँ एक ध्यान में रखने वाली बहुत ज़रूरी बात यह है कि नमाज़ अल्लाह ही के लिये है और उसी के लिये पढ़ी जाये और उसी के लिये सजदा हो न कि काबा को।
अगर किसी ने “मआज़ अल्लाह” काबे के लिये सजदा किया यह हराम व गुनाहे कबीरा किया और काबे की इबादत की नीयत तो खुला कुफ़्र है क्योंकि ख़ुदा के अलावा किसी और की इबादत कुफ़्र है।
हज़रत मुहम्मद सल्लल्लाहु अलैहे वसल्लम ने फ़रमाया कि:– “जो शख़्स नमाज़ के लिये खड़ा हो, उसका मुँह, दिल और ख़्वाहिश सब अल्लाह की तरफ़ हों तो वह नमाज़ से ऐसे बाहर आता है जैसे आज ही माँ के पेट से पैदा हुआ हो”।
आज कल के दौर में क़िबला मालूम करना बेहद आसान हो गया है क्युकी इसके लिए मोबाइल इन्टरनेट और बहुत सारे मोबाइल एप्लीकेशन भी आ गया है जिसकी मदद से क़िबला मालूम किया जा सकता है.
इससे भी असान तरीका ये है आप आपनी मोबाइल को ओपन करे फिर उसमे “Compass” नाम के by Deafult App Installed होता है उसको ओपन करने पर पच्छिम मालूम हो जायेगा.
वक़्त का सही वक़्त होना
अल्लाह तआला क़ुरआन पाक में फ़रमाता है:- اِنَّ الصَّلٰوۃَ کَانَتْ عَلَی الْمُؤْمِنِیۡنَ کِتٰبًا مَّوْقُوۡتًا (बेशक नमाज़ ईमान वालों पर फ़र्ज़ है वक़्त मुक़र्रर किया हुआ) (सुरह अननिसा, आयत-103)
मुसलमानों पर दिन भर में पांच वक़्त की नमाज़ मुकरर किया गया है जिसको पढ़ना फ़र्ज़ है यानि किसी भी कंडीशन में पढना जरुरी है.
इसी तरह हर नमाज़ के लिए एक मुकरर वक़्त किया गया है जिसके अन्दर कोई सख्स पढता है तो उसका नमाज़ अदा हो जायेगा लेकिन टाइम खत्म हो जाने के बाद क़ज़ा पढना होगा जो की थोड़ा कम सवाब मिलेगा.
नमाज़ की नीयत करना
Namaz ki Sharait में नियत दिल के पक्के इरादे का नाम है इसी लिए हर अलग नमाज़ के लिए अलग नियत होता है जिससे मालूम होता है की आप किस वक़्त की नमाज़ पढ़ रहे मसलन फजर की या जोहर, असर या मगरिब, ईशा की ये नियत करने से ही मालूम होता है.
नमाज़ से पहले नियत करना भी एक नमाज़ का शर्त है इसके लिए Namaz ki Niyat का सीखना बेहद जरुरी है इसका तरीका मेरे ही वेबसाइट पर पूरी डिटेल्स से बताया गया है.
तकबीरे तहरीमा यानि अल्लाहु अकबर कहना
तकबीर तहरिमा का मतलब होता है की नमाज़ शुरू करने के लिए दोनों हाथो को कानो तक उठाकर “अल्लाहु अकबर” कहना.
अगर कोई सख्स नमाज़ शुरू करते वक़्त नियत करने के बाद अल्लाहु अकबर नहीं कहता है और हाथ बांध कर नमाज़ पढ़ने लगता है तो उसकी नमाज़ दुरुस्त नहीं होगा.
Janaza ki Namaz में तकबीर तहरिमा रुक्न है और बाकि नमाजो में शर्त है और तकबीर तहरिमा से पहले पांचो शर्तो का खत्म नमाज़ तक मौजूदा रहना जरुरी है वर्ना नमाज़ नहीं होगी. (कानुने शरियत)
दोस्तों मुझे उम्मीद की Namaz ki Sharte वाली पोस्ट आप सभी को अच्छा लगा होगा और इसी तरह का इस्लामिक जानकारी लेना चाहते है इसे सोशल मीडिया पर जरुर शेयर करे।
इसके अलावा Namaz ki Sharait के मुताल्लिक किसी भी तरह का सवाल हो जो यहाँ नहीं बताया गया है तो निचे जरुर कमेंट करे।