क्या आप भी Namaz ki Niyat याद न होने की वजह से नमाज़ शुरू नहीं कर पा रहे है तो आज आप सही जगह और सही वेबसाइट पर आए हो.
नमाज़ की नियत जानना ही नमाज़ की पहला स्टेप है इसी step के द्वारा मालूम होता है आप किस वक़्त की नमाज़ और कितने रकात की नमाज़ पढ़ रहे है.
मजहबे इस्लाम में सबसे ज्यादा अव्वल दर्ज़ा किसी भी इबादत को मिली है तो वह नमाज़ को ही मिला है.
मेरा खुद का और दोस्तों का अपना तजुर्बा बता रहा हूँ की बहुत सारे लोग सिर्फ इसलिए नमाज़ को नहीं पढ़ते है की उनको नियत याद नहीं होती है.
इसीलिए मेरा मकसद यही है जो इन्सान इस आर्टिकल को एक बार अच्छी तरह से पढ़ तो Namaz ki Niyat के हवाले से उसका सभी क्वेश्चन का जवाब मिल जाए.
और वह उसी दिन से नमाज़ पढ़ना शुरू कर दे इंशाअल्लाह मेरी कोशिश यही रहेगा.
Niyat क्या है?
नीयत को अलग-अलग शब्द नियाह , निय्या , निय्यत या नियत (अरबी : نیّة) कहा जाता है जिसका मतलब एक इस्लामी तरीक़े का ज़िक्र जिसमें पूरे दिल से अल्लाह (ईश्वर) के लिए किसी अच्छे काम को करने का इरादा कर लेना।
इस्लाम में नियत को बहुत ज्यादा महत्पूर्ण बताया गया है क्युकी उसकी नियत से पता चलता है की उसके दिल के अन्दर क्या चल रहा है.
मिसाल के तौर पर कोई इन्सान नमाज़ सिर्फ लोगो को खुश करने के लिए पढ़ रहा है और उसके दिल में नियत की वह लोगो की नमाज़ अच्छा इन्सान दिखे ऐसी नमाज़ को अल्लाह ताला पसंद नहीं करते है.
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नियत करने का तरीका क्या है?
अब तक आपको समझ में आ गया होगा की नमाज़ में नियत का कितना इम्पोर्टेंस है और अब जानते है की नियत करते का तरीका क्या है? नमाज़ में नियत के लिए आपको समझना होगा की किस वक़्त और कितनी रकात की नमाज़ पढ़ रहे है.
मिसाल के तौर पर अगर आप सुबह के फजर की 2 रकात सुन्नत की नमाज़ पढ़ना चाहते है तो “नियत की मैंने दो रकअत नमाज फजर की, सुन्नत रसूलपाक की वास्ते अल्लाह तआला के मुंह मेरा काबा शरीफ की तरफ अल्लाहु अकबर” इसको पढ़ कर नियत बांध ले.
इसी तरह और नमाजो और रकातो की नियत करना होता है जो निचे पूरी डिटेल्स के साथ बताया गया है.
Note: किसी इन्सान नियत याद नहीं है तो उसको चाहिए की दिल में नियत करे की फज़र की 2 रकात सुन्नत की नियत कर रहा हूँ. और आपको बता दे की हदीसो में आया है की जुबान से नियत करना जरुरी नहीं है.
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फजर की दो रकअत सुन्नत नमाज की नियत
“नियत की मैंने दो रकअत नमाज फजर की, सुन्नत रसूलपाक की वास्ते अल्लाह तआला के मुंह मेरा काबा शरीफ की तरफ अल्लाहु अकबर”
फजर की दो रकअत फर्ज की नियत
“नियत की मैंने दो रकआत नमाज फ़ज्र की फर्ज वास्ते अल्लाह तआला के मुंह कआबा शरीफ की तरफ- अल्लाह हु अकबर”
नोट: कोई भी फ़र्ज़ नमाज़ इमाम के पीछे पढ़ रहे है तो “वास्ते अल्लाह तआला” के बाद “पीछे इस इमाम के” बोले.
जुहर की चार रकअत सुन्नत नमाज की नियत
“नियत की मैंने चार रकआत नमाजे जुहर की सुन्नत रसूले पाक की वास्ते अल्लाह तआला के मुंह मेरा कआबा शरीफ की तरफ अल्लाहु अकबर”
जुहर की चार रकअत फर्ज की नियत
“नियत की मैंने नमाजे जुहर की चार रकआत फर्ज वास्ते अल्लाह तआला के मुंह मेरा कआबा शरीफ की तरफ अल्ल्लाहु अकबर”
जुहर की दो रकअत सुन्नत की नियत
“नियत की मैंने दो रकआत नमाजे जुहर की सुन्नत रसूले पाक की फर्ज के बाद वास्ते अल्लाह तआला के मुंह मेरा कआबा शरीफ की तरफ अल्लाहु अकबर”
जुहर की दो रकआत नफिल की नियत
“नियत की मैंने दो रकआत नमाजे जुहर की नफिल वास्ते अल्लाह तआला के मुंह मेरा कआबा शरीफ की तरफ अल्लाहु अकबर”
अस्र की चार रकआत सुन्नत नमाज की नियत
नियत की मैंने चार रकआत नमाजे अस्र की सुन्नत रसूल पाक के वास्ते अल्लाह अआला के मुंह मेरा कआबा शरीफ की तरफ अल्लाहु अकबर”
अस्र की चार रकआत फर्ज की नियत
“नियत की मैंने चार रकआत नमाज अस्र की फर्ज वास्ते अल्लाह तआला के मुंह मेरा कआबा शरीफ की तरफ अल्लाहु अकबर”
मगरिब की तीन रकआत फर्ज नमाज की नियत
“नियत की मैंने तीन रकआत नमाज मगरिब की फर्ज वास्ते अल्लाह तआला के मुंह मेरा कआबा शरीफ की तरफ अल्लाहु अकबर”
मगरिब की दो रकआत सुन्नत की नियत
“नियत की मैंने दो रकआत नमाजे मगरिब की सुन्नत रसूल पाक के वास्ते अल्ल्लाह तआला के मुंह मेरा कआबा शरीफ की तरफ अल्लाहु अकबर”
मग़रिब की दो रकआत नफिल की नियत
“नियत की मैंने दो रकआत नमाजे मग़रिब की नफिल वास्ते अल्लाह तआला के मुंह मेरा कआबा शरीफ की तरफ अल्लाहु अकबर”
ईशा की चार रकात सुन्नत
“नियत करता हूं मैं 4 रकात नमाज ईशा की सुन्नत वास्ते अल्लाह ताआला के मुंह मेरा तरफ काबा शरीफ के अल्लाहू अकबर”
ईशा की चार रकआत फर्ज नमाज की नियत
“नियत की मैंने चार रकआत नमाज ईशा की फर्ज वास्ते अल्लाह तआला के मुंह मेरा कआबा शरीफ की तरफ अल्लाहु अकबर”
ईशा की दो रकआत सुन्नत की नियत
“नियत की मैंने दो रकआत नमाज ईशा की सुन्नत रसूले पाक फर्ज के बाद वास्ते अल्लाह तआला के मुंह मेरा कआबा शरीफ की तरफ अल्लाहु अकबर”
ईशा की दो रकआत नफिल की नियत
“नियत की मैंने दो रकआत नमाजे ईशा की नफिल वास्ते अल्लाह तआला के मुंह मेरा कआबा शरीफ की तरफ अल्लाहु अकबर”
वित्र की तीन रकआत वाजिब की नियत
“नियत की मैंने तीन रकआत नमाज वित्र की वाजिब वास्ते अल्लाह तआला के मुंह मेरा कआबा शरीफ की तरफ अल्लाहु अकबर”
ईशा की दो रकआत नफिल की नियत
“नियत की मैंने दो रकआत नमाजे ईशा की नफिल वास्ते अल्लाह तआला के मुंह मेरा कआबा शरीफ की तरफ अल्लाहु अकबर”
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Taraweeh Namaz Ki Niyat
नियत की मैंने दो रकअत नमाज़े तरावीह की सुन्नत रसूले पाक की वास्ते अल्लाह ताआला के रुख मेरा काअबा शरीफ की तरफ अल्लाहु अकबर.
नोट: अगर इमाम के पीछे पढ़ रहे है तो “वास्ते अल्लाह ताआला” के “पीछे इस इमाम के” पढ़े.
Eid Ul Fitr Ki Namaz Ki Niyat
नियत करता हु मैं 2 रकत नमाज़ ईद उल फ़ित्र की वाजिब साथ 6 जायज़ तक्बीरो के वास्ते अल्लाह तआला के पीछे इस इमाम के मुँह मेरा काबा शरीफ की तरफ अल्लाहु अकबर
Eid Ul Adha की नमाज़ की नियत
नियत करता हु मैं 2 रकत नमाज़ ईद उल अजहा की वाजिब जायद 6 तक्बीरो के वास्ते अल्लाह तआला के पीछे इस इमाम के रुख मेरा काबा शरीफ की तरफ अल्लाहु अकबर
Tahajjud Namaz Ki Niyat
नियत करता हूं 2 रकात नमाज नफल तहज्जुद की वास्ते अल्लाह-त-आला के रुख मेरा काबा शरीफ की तरफ अल्लाह हू अकबर
सभी नफिली नमाज़ में सबसे बेहतर Tahajjud ki Namaz को कहा गया है, इसीलिए सभी मुस्लमान को चाहिए की तहज्जुद पढ़े.
Janaza ki Namaz ki Niyat in Hindi
नियत करता हूं मैं नमाजे जनाजा की चार तकबीरों के साथ वास्ते अल्लाह ताला केेेेेेेेेेेे और दुआ इस मय्यत के लिए पिछे इस इमाम के मुंह मेरा काबा शरीफ की तरफ अल्लाह हू अकबर.
Jumma Ki Namaz Ki Niyat Kaise Kare

अभी तक आपने 5 वक़्त की नमाज़ में जितने भी नियत पढ़ी जाती है आपको जानकारी हो गया. अब आपको जुम्मा की Namaz ki Niyat को भी जानना जरुरी है इसी लिए आपको सबसे पहले मालूम होना चाहिए की Jumma ki Namaz Kitni Rakat hoti hai फिर आपको नियत करनी चाहिए.
जुम्मा की नमाज़ 14 रकात होती है जिसमे सबसे पहले 4 रकात सुन्नत, 2 रकात फ़र्ज़, 4 रकात सुन्नत, 2 रकात सुन्नत और आखिर में 2 रकात नफिल होती है.
जुम्मा की 4 रकात सुन्नत नमाज़ की नियत
“नियत की मैंने चार रकआत नमाज जुम्मा की सुन्नत रसूले पाक की वास्ते अल्लाह तआला के मुंह मेरा कआबा शरीफ की तरफ अल्लाहु अकबर”
जुम्मा की 2 रकात फ़र्ज़ की नियत
“नियत की मैंने दो रकआत नमाज जुम्मा की फर्ज वास्ते अल्लाह तआला के मुंह मेरा कआबा शरीफ की तरफ अल्लाहु अकबर”
जुम्मा की 4 रकात सुन्नत की नियत
“नियत की मैंने चार रकआत नमाज जुम्मा की सुन्नत रसूले पाक फर्ज के बाद वास्ते अल्लाह तआला के मुंह मेरा कआबा शरीफ की तरफ अल्लाहु अकबर”
जुम्मा की 2 रकात सुन्नत नमाज़ की नियत
“नियत की मैंने दो रकआत नमाज जुम्मा की सुन्नत रसूले पाक फर्ज के बाद वास्ते अल्लाह तआला के मुंह मेरा कआबा शरीफ की तरफ अल्लाहु अकबर”
जुम्मा की 2 रकात नफिल की नियत
“नियत की मैंने दो रकआत नमाजे जुम्मा की नफिल वास्ते अल्लाह तआला के मुंह मेरा कआबा शरीफ की तरफ अल्लाहु अकबर”
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Laylatul Qadr or Shab E Qadr ki Namaz Ki Niyat
लैलातुल कद्र या शबे कद्र की नमाज़ एक ही होती है जिसकी नमाज़ और नियत एक जैसा ही किया जाता है.
शबे की कद्र की नमाज़ हमारे यहाँ 12 रकात होती है जिसे 3 बार 4 रकात करके पढ़ा जाता है और तीनो बार एक ही नियत किया जाता है.
ये नमाज़ रमजान मुबारक के रातो में 21 से 29 तारीख के बिच में होता है लेकिन अक्सर 27 रमजान को ही लैलातुल कद्र की नमाज़ पढ़ते है.
नियत की मैंने चार रकात नमाज़ शब-ए-क़द्र की नफिल वास्ते अल्लाह तआला के मुंह मेरा काअबा शरीफ के तरफ अल्लाहु अकबर.
Qaza Namaz Ki Niyat in Hindi
क़ज़ा नमाजो को अदा करते वक्त जो नमाज पहले कजा हुई है उसे अदा करना चाहिए लिहाजा नियत यू होगी,
क़ज़ा नमाज़ सिर्फ फ़र्ज़ और वाजिब की होती है इसीलिए क़ज़ा की नमाज़ की फ़र्ज़ और वाजिब की नियत होती है.
अगर आपकी फज़र की नमाज़ क़ज़ा हो गयी हो या जोहर की सभी की नियत अलग अलग होती है.
“मुझसे फजर की जितनी नमाजे कजा हुई है उनमें से पहली फजर की नमाज अदा कर रहा हूं वास्ते अल्लाह के रुख़ मेरा काबा शरीफ़ की तरफ अल्लाहु अकबर”
Safar Me Namaz Ki Niyat Kaise Kare
सफ़र की नमाज़ को ही कसर की नमाज़ कहते है और सफ़र में सिर्फ फ़र्ज़ नमाज़ पढ़ने की इज़ाज़त है लेकिन अगर आपके पास वक़्त है सुन्नत और नफिल भी पढ़ सकते है.
अगर आप फ़र्ज़ नमाज़ अकेले पढ़ रहे हो या इमाम के पीछे पढ़ रहे हो तो चार रकात फ़र्ज़ वाली नमाज़ को 2 रकात पढनी होती है.
जैसे अगर आप फज़र की 2 रकात फ़र्ज़ की नमाज़ पढ़ रहे है तो इसकी नियत कुछ यु करेंगे:
“नियत की मैंने दो रकआत नमाज फज़र की फर्ज की कसर वास्ते अल्लाह तआला के मुंह मेरा कआबा शरीफ की तरफ अल्लाहु अकबर”
इसी तरह बाकि नमाजो की नियत होती है बस आपको सभी नमाजो में “कसर” बोलना होता है.
नमाज में नियत के बाद क्या पढ़ा जाता है?
किसी भी नमाज़ में नियत के बाद सना पढ़ा जाता है और उसके बाद सुरह फातिहा और कोई एक सूरत पढ़ा जाता है.
नमाज पढ़ते समय क्या बोलते हैं?
नमाज़ पढ़ते समय क्या बोलते है इसे समझने के लिए आपको पूरा नमाज़ का तरीका सीखना होता होगा कोई इसके लिए एक लाइन में जवाब नहीं है. क्युकी नमाज़ पढ़ते समय बहुत सारे अलग अलग आयत, सुरह, दुआ पढ़ते है.
आखिरी बाते
नमाज़ में नियत बहुत अहमियत रखता है इसी लिए Namaz ki Niyat सीखना सभी मुसलमान के लिए जरुरी है.
मुझे उम्मीद है की हमारी कोशिश आप सभी को अच्छा लगा होगा अगर इस Namaz ki Niyat पोस्ट में आपको कुछ कमी लगी तो निचे कमेंट करे.
खुदा हाफिज!!
Assalamu Alaikum Warahmatullah, उम्मीद है कि आप खैरियत से होंगे, Allah आपको हमेशा खुश रखें । My Dear Friend नमाज़ के बारे में मैं google पर सर्च कर रहा था तो सामने आपकी वेबसाइट दिखी, आपकी वेबसाइट पर विज़िट करके माशा अल्लाह बहुत कुछ सीखने का मौक़ा मिला । Allah Aap ko Dono Jahan Me Kamyabi Ata Farmaye.