आप में से बहुत सारे लोग ऐसे जो नमाज़ पढ़ते है लेकिन इसको पढ़ने से अल्लाह ता’अला हमको क्या क्या देता है इसके बारे में जानकारी नहीं है इसीलिए आज Namaz ki Fazilat और फायदे बताने के लिए पोस्ट लिख रहा हूँ.
यहाँ पर पांच वक़्त की नमाज़ की फ़ज़ीलत ही नहीं बलके इसके अलावा इस्लाम में जिनते भी नफिल नमाज़ होते है जो फज़र और ईशा के अलावा भी पढ़ा जाता है उन सभी का फ़ज़ीलत और फायदे यहाँ पर सिखने को मिलने वाला है.
नफिल नमाज़ उसे कहते है जिसको पढने से बहुत सारी फज़िलाते मिलते है जिनके बारे में लोगो को मालूम ही नहीं इसके लिए आपको इनका फायदे निचे step by step मिलने वाला है.
100+ Namaz Padhne ki Fazilat Jaane
यहाँ पर आपको 100 से भी ज्यादा नमाज़ की फायदे और फ़ज़ीलत जानने को मिलेगा लेकिन इसका ये हरगिज मतलब नहीं है की नमाज़ पढ़ने से सिर्फ 100 फायदे ही मिलेगा.
यहाँ पर तो कुछ ही बताया जा रहा है क्युकी नमाज़ पढ़ने वालो को तो अल्लाह ता’अला इनता कुछ देते है की वो सपने में भी नहीं सोच सकता तो चलिए जानते है.
1. जो शख़्स पाँचों वक़्त की फ़र्ज़ नमाज़ें तमाम शर्तों के साथ सही वक़्तों पर पाबन्दी से अदा करता है उसके लिए अल्लाह ता’अला उसके कबीरा और सगीरा गुनाहों को माफ़ करने का वादा करता है।
2. इस्लाम में सबसे ज़्यादा अल्लाह के नज़दीक महबूब चीज़ वक़्त पर नमाज़ पढ़ना है और जिस ने नमाज़ छोड़ी उस का कोई दीन नहीं नमाज़ दीन का सुतून और मोमिन का नूर है। (शैबुल ईमान)
3. जब आदमी नमाज़ के लिए खड़ा होता है तो जन्नत के दरवाज़े खुल जाते हैं अल्लाह त आला और उस आदमी के बीच से परदे हट जाते हैं।
4. जब आदमी ज़मीन के जिस हिस्से पर नमाज़ पढ़ने के ज़रिये अल्लाह ता’अला को याद करता है तो वो हिस्सा ज़मीन के दुसरे टुकड़ों पर फ़ख्र करता है।
5. जब मुस्लमान पांच वक्तो की नमाज़ पाबन्दी के साथ अदा करता है तो शैतान उससे डरता रहता है और जब वो नमाज़ में कोताही यानि छोड़ने लगता है तो शैतान को उस पर दिलेर हो जाता है।
6. क़यामत के दिन सबसे पहले बन्दे से नमाज़ का हिसाब लिया जायेगा अगर यह सही हुई तो बाक़ी आमाल भी ठीक रहेंगे और यह बिगड़़ी तो सभी बिगड़े। (तिबरानी)
7. जो शख्स तन्हाई में दो रकात नमाज़ पढ़े जिस को अल्लाह और उसके फरिश्तों के सिवा कोई न देखे, तो उसको जहन्नम की आग से आज़ाद होने का परवाना मिल जाता है।
8. जो पाँचों नमाज़ों का एहतेमाम करता है और रुकू सजदे वुज़ू वगैरा को खूब अच्छी तरह से पूरा करता है, तो जन्नत उसके लिए वाजिब हो जाती है, और दोज़ख़ उस पर हराम हो जाती है।
9. जो शख्स सुबह को नमाज़ के लिए जाता है तो उसके हाथ में ईमान का झंडा होता है, और जो बाज़ार को जाता है उसके हाथ में शैतान का झन्डा होता है।
10. जब आदमी नमाज़ में दाखिल होता है तो अल्लाह तआला उसकी तरफ पूरी तरह से तवज्जो फरमाते हैं और जब वो नमाज़ से हट जाता है तो वो भी तवज्जो हटा लेते हैं।
11. अल्लाह तआला ने कोई चीज़ ईमान और नमाज़ से अफज़ल फ़र्ज़ नहीं की और अगर उस से अफज़ल किसी और चीज़ को फ़र्ज़ करते तो फरिश्तों को उसका हुक्म देते, फ़रिश्ते दिन रात कोई रुकू में है और कोई सजदे में है।
12. क़यामत के दिन आदमी के आमल में सबसे पहले फ़र्ज़ नमाज़ का हिसाब लिया जाएगा और अगर फ़र्ज़ नमाज़ दुरुस्त हुई तो वो कामयाब होगा और अगर नमाज़ दुरुस्त नहीं हुई तो वो नाकाम होगा।
13. हजरत उबादा बिन सामित से रिवायत है नबी सल्लल्लाहु अलैहे वसल्लम ने इरशाद फ़रमाया ” जो सख्स अल्लाह के लिए एक सजदा करता है तो अल्लाह उसके लिए एक नेकी लिख देता है और एक गुनाह मिटा देता है और एक दर्जा बुलंद कर देता है (sunan ibne maja Hadees1424)
14. जो सख्स हर रोज़ 12 रकात सुन्नत गैर मोकिदा पढ़ेगा तो अल्लाह रब्बुल इज्ज़त उसके लिए जन्नत में एक घर बनेंगे. (Sahih Muslim Hadees 728)
15. जो सख्स 2 ठंडी नमाज़े पढ़े यानि फजर और असर तो अल्लाह सुबान व ता’अला उसे जन्नत में दाखिल करेंगे. (Sahih Bukhari Hadees 574, Sahih Muslim Hadees 635)
16. हजरत अनस बिन मालिक फरमाते है की अल्लाह के नबी पर मेराज में 50 नमाज़े फ़र्ज़ हूँ फिर कम होते होते 5 रह गयी आखिर में एलान किया गया के ये मुहम्मद मेरे यहाँ बात बदली नहीं जाती लिहाज़ा 5 नमाजो का सवाब 50 नमाजो के बराबर ही मिलेगा. (Jami at Tirmidhi Hadees 213, Sunan An Nasai Hadees 449)
17. हजरत अमार अपने वालिद से रिवायत करते है के रसूल सल्लल्लाहु अलय्ही वसल्लम ने फ़रमाया “अपने बच्चो को 7 साल की उम्र में नमाज़ का हुक्म दो सिखाओ और 10 साल की उम्र में नमाज़ नहीं पढ़ने पर इन्हें मारो और इस उम्र में इन्हें अलग अलग बिस्टरो पर सुलाओ. (Sunan Abu Dawood 495)
Fajar ki Namaz ki Fazilat
सबसे पहले जानते है की Fajar ki Namaz पढने वाले सख्स को अल्लाह ता’अला किस किस बरकत फ़ज़ीलत से नवाजते है लेकिन फजर पढ़ना बहुत से लोगो को बहुत मुश्किल होता है क्युकी यह सुबह में पढ़ा जाता है और लोगो से सुबह में उठा नहीं जाता है.
लेकिन हम लोगो को अपने daily लाइफ में सुधार करने की जरुरत है जिससे सुबह की नमाज़ को पढ़ सकते है जिसके लिए आपको पहले सोना होगा तभी सुबह उठ पाएंगे.
18. Buraydah ibn al-Hasib रिवायत करते है की नबी अकरम सल्लल्लाहु अलैहे वसल्लम ने फ़रमाया “अँधेरी रातो में मस्जिद की तरफ चल कर जाने वालो को क़यामत के दिन पूरी रौशनी की कुश खबरी दे दो. (Sunan Abu Dawood Hadees 561)
19. अल्लाह के नबी (SAW) ने फ़रमाया “जिस आदमी ने सुबह (फजर) की नमाज़ पढ़ ली वो अल्लाह तआला की जिमेदारी में आ गया और उसके दिन भर के कामों में अल्लाह की रहमत होती है”. (Sahih Muslim Hadith No 657)
20. एक रिवायत है के नबी सल्लल्लाहु अलैहे वसल्लम ने इरशाद फ़रमाया “जिस आदमी ने दो ठंडी नमाजें पढ़ी यानी फज़र और असर की नामज़ पढ़ लिया तो फ़रमाया के वह आदमी जन्नत में दाखिल होगा” (बुख़ारी )
21. हज़रत आयशा (रज़ी०) से रिवायत है के रसूल अल्लाह (स०अ०) ने इरशाद फ़रमाया “फज़र की दो सुन्नते दुनिया और जो कुछ दुनिया में है उससे बेहतर है” (मुस्लिम )
22. जिस शख्स फज़र की नमाज़ बा – जमात पढ़ ली,अल्लाह रब्बुल इज्ज़त उसके घर में बरकत और हर बीमारी और हर परेशानी और रिजक की तंगी से दूर कर देंगे और उसका चेहरा नूरानी होगा
23. जिस सख्स ने फजर की फ़र्ज़ जमात के साथ पढ़ लिया तो अल्लाह सुबान व ता’अला उसके घर में बरकत होगा और हर बीमारी, परेशानी, रिजक की तंगी से महफूज़ रहेगा.
Zohar ki Namaz ki Fazilat
24. रोजाना नमाज़ ए ज़ोहर के वक़्त जहन्नुम की आग को भड़काया जाता है जो भी अहले ईमान ये नमाज़ अदा करता है अल्लाह करीम उस बन्दे से क़यामत के दिन जहन्नुम की आग को हराम कर देता है.
25. आप सल्लल्लाहु अलैहे वसल्लम फरमाते है “जो सख्स जोहर से पहले चार रकात और जोहर के बाद चार रकात हमेशा पढ़ता रहे तो अल्लाह ता’अला इस पर जहन्नम की आग हराम कर देता है” (Jami at Tirmidhi Hadees No 428)
26. जो आदमी नमाज़ ए ज़ोहर की चार रकात सुन्नत पढ़ता है तो उसकी फ़ज़ीलत तहज्जुद नमाज़ के फ़ज़ीलत के बराबर है.
जोहर नमाज़ की पाबन्दी करने वाला बहुत सुकून और Calm महसूस करता है और रोज़ दिन भर की काम में ध्यान लगता है. इस लिए जोहर नहीं पढ़ने आता है तो Johar ki Namaz ka Tarika सीखना चाहिए.
Asar ki Namaz ki Fazilat
बहुत सारी हदीसो में असर और फज़र की फ़ज़ीलत सबसे ज्यादा आया है इसी लिए हम सब चाहिए की असर नमाज़ कयाम करे और उनके फ़ज़ीलत जाने।
27. जो सख्स Asar ki Namaz छोड़ दे उसका नुकसान ऐसा होगा या उसको सदमा या अफ़सोस ऐसा होगा जैसे की सारे रिश्तेदार मर गए और पूरा माल व दौलत लुट गया. (Sahih Bukhari Hadith No 552)
28. जो आदमी असर अदा करता है उसको अल्लाह तआला अच्छी सेहत अता फरमाते हैं और जिसने असर नमाज़ छोड़ दी उसका सब कुछ लुट गया और बर्बाद हो गया।
29. एक रिवायत है के रसूल अल्लाह (स०अ०) में इरशाद फ़रमाया “जिस आदमी ने दो ठंडी नमाजें पढ़ी यानी फज़र और असर की नामज़ तो फ़रमाया के वह आदमी जन्नत में दाखिल होगा” (बुख़ारी )
30. एक मर्तबा रसूलुल्लाह ने अस्र की नमाज़ पढ़ाई और फिर लोगों की तरफ मुतवज्जेह हो कर फ़रमाया “यह नमाज़ तुमसे पहले वाले लोगों पर भी फ़र्ज़ की गई थी, मगर उन्होंने इस को ज़ाय कर दिया, लिहाज़ा सुनो! जो इसको पाबन्दी से पढ़ता रहेगा उसको दोहरा सवाब मिलेगा”।
31. एक रिवायत में है के अस्र की नमाज़ के वक़्त फरिश्तों की ड्यूटी बदलती है दिन के फ़रिश्ते आसमान के तरह जाते हैं और रात के फ़रिश्ते वापस आते है,जब दिन के फ़रिश्ते वापस आसमान के तरफ जातें हैं तो अल्लाह तआला सब कुछ जानने के बावजूद फरिश्तों से मालूम करते हैं के मेरे बंदा क्या कर रहा था,तब फ़रिश्ते तारीफ़ करते हैं के ए अल्लाह ! आपके बंदा नमाज़ में मशगुल था।
32. अगर आप स्टूडेंट हैं तो आपके लिए यह वक्त पढ़ाई के लिए बहुत अच्छा होता है; ऐसे में आप इस वक्त नमाज पढ़कर मैथ जैसे कठिन सब्जेक्ट को प्रैक्टिस कर सकते हैं।
33. एक हदीस शरीफ में आया है कि जुम्मे के दिन असर से मगरिब के बीच में मांगी गई दुआ कबूल होती है तो इस लिहाज से आप असर से मगरीब के दरमियान तिलावत किया करें और उसके बाद दुआएं मांगा करें आपकी दुआएं इंशा अल्लाह कबूल होगी।
Magrib ki Namaz ki Fazilat
मगरिब नमाज़ भी बहुत फ़ज़ीलत वाली है जिसका कुछ फ़ज़ीलत निचे बताने जा रहा हूँ आप ध्यान से पढ़े और समझे.
34. गंदे जिन्नात हवाई असरात और सैतानो से हिफाज़त:- बुखारी शरीफ की रवायत है जिसमे आका का फरमान है लोगो जब सूरज गुरूब होता है डूबता है तो उस वक़्त सैतान और तमाम सैतानी चीज़े बाहर निकल आती है अगर तुम लोग उनसे बचना चाहते है तो उस वक़्त मगरिब की नमाज़ के लिए खड़े हो जाओ।
- क्युकी जब तुम मगरिब की नमाज़ पढ़ोगे तो अल्लाह ता’अला उस नमाज़ के जरिए तमाम सरकस श्यातिन और गंदे जिन्नात वगैरह से तुम्हारी हिफाज़त फरमा देंगे।
35. अगर कोई सख्स मगरिब की नमाज पढ़कर सूरह मुजम्मिल की तिलावत करेंगे तो आपकी दुआ कबूल होगी और अगर आपकी कोई हाजत है तो वह भी अल्लाह सुभानवताला कबूल फरमाएगा।
36. मगरिब की नमाज पढने से आपकी असर से मगरीब के दरमियान किए गए गुनाह माफ़ हो जाएंगे।
37. जो सख्स Magrib ki Namaz पढ़ेगा तो वह अपनी औलाद ने नफा हासिल करने वाला होगा और उसके औलाद से उसको नुकसान नहीं होगा।
38. अल्लाह ता’अला फरमाते है की जो आदमी मगरिब अदा करेगा तो उसको नेक औलाद मिलेगा।
Isha ki Namaz ki Fazilat
39. जिस आदमी ने ईशा की नमाज़ की जमात के साथ पढ़ ली और जिसने फज़र की नमाज़ भी बा- जमात पढ़ ली वो बंदा एसे है के जैसे उसने सारी रात नमाज़ पढ़ी।
40. Isha ki Namaz लंबी होती है जिससे इसको पढ़ने में टाइम लगता है लेकिन इसकी फज़ीलत बहुत है क्यूंकि अल्लाह को लंबी रकातें पसंद हैं।
41. दोज़ख़ की आग से छुटकारा दोस्तों ईशा की नमाज़ की फ़ज़ीलत बहुत ज्यादा है. हजरत अब्दुल्लाह बिन उमर रज़िअल्लहु अन से रिवायत है की अल्लाह के नबी (S.A.W) फरमाते है ” जो सख्स मस्जिद में जमात के साथ 40 रातों तक ईशा की नमाज़ पढ़ ले और उसकी पहली रकात भी न छूटने पाए तो अल्लाह ता’अला उस सख्स के लिए दोज़ख़ की आग से आज़ादी लिख देता है”.
Tahajjud ki Namaz ki Fazilat
42. अबु हुरैरा से रिवायत है कि नबी पाक फरमाते हैं कि फर्ज नमाज के बाद सबसे ज्यादा अफजल तहज्जुद की नमाज है. इसलिए हमें तहज्जुद की नमाज अदा करनी चाहिए क्योंकि इसका मर्तबा काफी आला है.
43. अबु हुरैरा से रिवायत है कि नबी पाक फरमाते हैं कि रात चार तिहाई पूरी होने के बाद अल्लाह-त-आला आसमान-ए-दुनिया मे नाजिल होता है और कहता है “क्या कोई बांदा है, जो मुझसे दुआ मांगे और मैं कबूल करूँ; क्या कोई बांदा है जो मुझसे माफी मांगे और मैं माफ़ करूँ“.
44. रात की नमाज़ यानि तहज्जुद पढ़ा करो क्युकी तुम से पहले पिछली उम्मतों के नेक लोग भी इस को पढ़ते थे और ये नमाज़ तुम्हारे लिए अल्लाह से करीब होने का सबब है और गुनाहों का कफ्फारा करने वाली है और गुनाहों से रोकने वाली है. (Tirmizi)
45. हजरत अबू हुरैरा रजी अल्लाहु ता’अला अन्हु से रिवायत है की अल्लाह के रसूल सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम ने इरशाद फ़रमाया ” जब कोई मर्द अपनी बीवी को जगाए और दोनों तहज्जुद नमाज़ अदा कर ले तो इन दोनों का नाम अल्लाह की याद से ख़ास ताल्लुक रखने वालों में लिख दिया जाता है. (Mishqaat Sharif)
46. नबी कहते हैं कि तहज्जुद नमाज़ पढ़ने वाले को अल्लाह एक के बदले 100 या उससे भी ज्यादा देगा।
47. मिया बीवी साथ उठकर तहज्जुद की नमाज पढ़ें; अगर दोनों में से एक उठ जाए और दूसरा ना उठे तो सोते हुए भर पानी झोंक दो ताकि दूसरे की नींद टूट जाए और नमाज़ पढे।
48. जो सख्स तहज्जुद पढ़ता है तो अल्लाह तआला फरमाते हैं कि मैंने इसको अपनी रहमत दे दी और जब अल्लाह की रहमत मिल जाती है तो सारे काम वो चाहे दुनिया के हों या आख़िरत के बन जाते हैं और अल्लाह राज़ी हो जाता है।
49. इस नमाज़ को पढने वाले को अल्लाह फरमाते हैं कि जिस चीज़ से ये डर रहा है यानि मेरे अज़ाब से तो मैंने इसको अपने अज़ाब से पनाह दे दी और आख़िरत की सज़ा से महफूज़ कर दिया।
तहज्जुद के फायदे और फ़ज़ीलत तो आप सभी को मालूम हो गया है लेकिन किसी को Tahajjud ki Namaz ka Tarika सीखना है तो वह इसी वेबसाइट पर पढ़ सकता है।
Awabeen ki Namaz ki Fazilat
50. जो मगरिब के बाद छह रकआते इस तरह अदा करे के इन के दरमियान कोई बुरी बात न कहे तो ये छह रकआते बारह साल की इबादत के बराबर होगी. (Sunan Ibne Maza)
51. नबी (सल्लल्लाहु अलैहे वसल्लम) ने फ़रमाया की जो सख्स मगरिब के बाद बातचीत करने से पहले 2 रकात अवाबीन नमाज़ पढ़े तो अल्लाह ता’अला उसे जन्नत में महल अत फरमाएगा और अगर चार रकात पढ़ ले तो कोई वह हज पर हज किया और अगर छह रकात पढ़े ले तो उसके 50 साल की गुनाह बख्स दिए जायेंगे.
52. जो सख्स अव्वाबिन की नमाज़ पढ़ेगा तो उसको लैलातुल कद्र की नमाज़ जिंतना सवाब मिलेगा और उसको रहमत के फ़रिश्ते धेरे रहते है.
Chasht ki Namaz ki Fazilat
53. जो सख्स चाश्त की दो रकाअत नमाज़ अदा करता रहेगा उस के गुनाह माफ़ कर दिये जाते हैं अगर्चे समुन्दर की झाग के बराबर क्यों न हो।
54. जो शख्स 2 रकात चास्त की नमाज अदा करता है तो उसकी गिनती गफलत करने वालों में नहीं होती।
55. जो शख्स चास्त की 12 रकात पाबन्दी से अदा करता है तो उसके लिए अल्लाह ता’अला ने उस शख्स के लिए जन्नत में सोने का महल बनाता है।
56. हदीस शरीफ में वारिद है की चास्त की सिर्फ चार रक अत पढने से बदन में 308 जोड़ है उन सब का सदका अदा हो जाता है और तमाम सगीरा गुनाहों की माफ़ी हो जाती है। (मुस्लिम)
यहाँ पर आपको चास्त की फ़ज़ीलत और फायदे के बारे में जानने को मिला लेकिन क्या आपको Chasht ki Namaz Padhne ka Tarika आता है।
Ishraq ki Namaz ki Fazilat
57. जो सख्स फजर की नमाज़ जमात से पढ़ता है फिर सूरज निकलने तक अल्लाह ता’अला के जिक्र में मशगुल रहता है फिर दो रकअत इशराक पढ़ता है तो उसे हज और उमरह का सवाब मिलता है। (Tirmizi Hadees No: 586)
58. हज़रत अबू ज़र र.अ. से रिवायत है कि रसूल (SAW) ने फ़रमाया “अल्लाह तआला फरमाते हैं कि ए इब्ने आदम तू दिन के शुरू हिस्से में 4 रकात नमाज़ पढ़ लिया कर मैं दिन के ख़त्म होने तक तेरी किफ़ालत करूंगा।
Shab e Barat aur Shab e Meraj Namaz ki Fazilat
59. बहुत सवाब मिलता है, सगीरह व कबीरह गुनाह बख्शा जाएंगे, मौत के बाद भी इबादत का सवाब मिलेगा, दुआओं की कबूलियत होगी, रिज़्क में बरकत होगी, कामयाबी कदम चुमेगा।
60. रहमते आलम नबी-ए- अकरम ने इरशाद फ्रमाया कि जो शख्स शब् ए बारात में एक सौ (100) रकआत नमाज़ नफिल पढ़ेगा अल्लाह तआला उसके पास एक सौ फरिश्तों को भेजेगा।
61. शबे मेराज की रात वह रात है जिस रात को हमारे नबी ए करीम सल्लल्लाहो ताला अलेही वसल्लम जो इस जहान के और अल्लाह के रसूल है वह मेराज के सफर में गए थे और पहली बार जन्नत को देखा था।
62. इस रात हमारे नबी सल्लल्लाहो तआला अलेही वसल्लम को जिब्राइल अलैहिस्सलाम बुर्राक के साथ उन्हें लेने आए थे जिस पर हमारे नबी तशरीफ रखकर जन्नत के सफर पर चले गए थे।
63. मेराज की रात का सफर शुरू हुआ था तब हमारे नबी मस्जिद – ए – नबवी में आराम फरमा रहे थे तभी जिब्रील अलैहिस्सलाम आकर उन्हें बुर्राक से मस्जिद अल अक्सा लेकर के गए।
Eid aur Bakrid ki Namaz ki Fazilat
64. हज़रते सय्यिदुना मुआज़ बिन जबल رَضِیَ اللّٰہُ تَعَالٰی عَنْہُ फ़रमाते है “जो पांच रातों में जाग कर इबादत में गुज़ारे उस के लिए जन्नत वाज़िब है, ज़िल हिज्जह की आठवीं, नवीं, दसवी रातें और ईदुल फित्र की रात और शा’बान की पन्द्रवीह रात।”
65. हज़रत सय्यिदुना अबू हुरैरा से रिवायत है कि “ईद को एक रास्ते से तशरीफ़ ले जाते और दूसरे रास्ते से वापिस होते।”
66. हज़रत सय्यिदुना अबू उमामा से रिवायत है कि रसूलुल्लाह सल्लल्लाहु अलैहे वसल्लम ने इरशाद फ़रमाया : “जो ईदैन की रातों में कियाम करे (या’नी इबादत में गुज़ारे), उस का दिल न मरेगा जिस दिन लोगों के दिल मरेंगे।”
Tahiyatul Wudu Namaz ki Fazilat
67. मुस्लिम शरीफ में है कि नबी ए करीम सल्लल्लाहो ताला अलेही वसल्लम ने फरमाया कि जो शख्स वज़ु करें और अच्छा वज़ु करें और जाहिर व बातीन से मुतवज्जह हो कर दो रकात ताहियातुल वज़ु की नमाज़ पड़े तो उसके लिए जन्नत वाजिब हो जाएगी।
68. हजरत अबू हुरैरा रजि अल्लाह ताला अनु 1 दिन नमाज़ फज्र के वक्त हुजूर सल्ला वाले वसल्लम ने हजरत बिलाल से फरमाया इस्लाम कबूल करने के बाद ऐसा कौन सा काम है जो तुमने किया इसके बारे में तुम बनिस्बत दूसरे और काम से ज्यादा अल्लाह की रजा की उम्मीद रखते हो क्योंकि मैंने अपने आगे जन्नत में तुम्हारे जूतों की आहट सुनी है। हजरत बिलाल ने फ़रमाया मैंने कोई अमल कोई काम इससे बढ़कर ज्यादा उम्मीद दिलाने वाला नहीं किया कि जब कभी भी किसी वक्त रात में या दिन में मैं वज़ू करता तो उस वजू से कुछ ना कुछ नमाज जरूर पढ़ लेता हूं।
Taraweeh ki Namaz ki Fazilat
69. Taraweeh ki fazilat से जुड़ी एक हदीस हमारे सामने है जिसके रावी अबू हुरैरा रज़ी अल्लाहु तआला अन्हा है जो रिवायत फरमाते हैं “जो कोई शख्स इमाम के साथ रमजान में सवाब के लिए तरावीह की नमाज अदा करेगा तो उसके पीछले तमाम गुनाह माफ हो जाएंगे”.
70. रमजान के महीने के रात में नूर बरसता है और हमारा रब आसमान से तरावीह पढ़ने वालो को देखता है और जो लोग तरावीह की नमाज पढ़ते हैं उन्हें अल्लाह की रहमत हासिल होती है.
71. रमजान सबसे पाक और मुबारक वाला महीना होता है इस महीने अल्लाह की खास रहमते दुनिया पर नाजिल होती है रमजान में की गई इबादतों का सवाब कई गुना बढ़ जाता है हदीसो से साबित होता है कि रमज़ान में 1 फर्ज नमाज अदा करने का सवाब 70 फर्ज अदा करने के बराबर होता है.
Jumma ki Namaz ki Fazilat
72. हुजुर सल्लल्लाहु ता’अला अलैहे वसल्लम फरमाते है जुम्मे के दिन और रात में 24 घंटे में कोई घंटा ऐसा नहीं जिसमे अल्लाह ता’अला जहन्नम से 6 लाख आजाद न करता हो.
73. जुम्मे का दिन सबसे बेहतरीन दिन है जिस दिन सूरज तुलु होता है
74. नबी अकरम ने फरमाया कि जो कोई जुम्मे के दिन सूरह कहफ की तिलावत करता है तो अल्लाह तआला उसके लिए दो जुमे तक नूर रोशन कर देगा
75. सूरह कहफ की तिलावत सबसे अफजल दिन (जुमा) मे इसलिए भी कही गई है क्यूंकि जो इसे पढ़ेगा वो दज्जाल के फ़ितनों से महफूज रहेगा
76. इसकी सबसे बड़ी फज़ीलत यह है, कि यह दिन पूरे हफ्ते में सबसे बेहतर और अच्छा दिन है; हुजूर ए पाक सल्ललाहो अलैही वसल्लम ने फरमाया की तमाम दिनों में सबसे दिन जुमा का है.
फ़ज़ीलत जानने के बाद आपको बेहतर और अच्छी तरह से Jumma ki Namaz ka Tarika सीखना चाहिए जिससे इतने सारे फ़ज़ीलत और फायदे ले सकते है.
Salatul Tasbeeh ki Namaz ki Fazilat
77. इस नमाज़ को पढ़ने का सबसे बड़ा उददेश्य खुदा की रहमत पाने के लिए पढा जाता है। इस नमाज़ को पढ़ कर खुदा की रहमत पा सकते है।
78. आपके घर में बरकत नहीं हो रहा है उपर जो तस्बीह बताया हूँ अगर कोई उस तस्बीह को पढ़ना शुरू कर दे तो उसके घर में बरकत होने लगा जाता है।
79. अगर आप बिज़नस कर रहे है या जॉब कर रहे है और कोई काम रुक गया है पूरा नहीं हो पा रहा है तो आप Salatul Tasbeeh ki Namaz को रोजाना पढने से रुके हुए काम में वृद्धि होने लगता है।
80. इस नमाज को पढ़ने का हुकुम हमारे नबी ने दिया है, तो यह हमारे लिए किसी भी फजीलत से बढ़कर है।
81. जो शख्स इस नमाज को पढेगा तो इस नमाज की बरकत और रहमत से उसके तमाम अगले और पिछले गुनाह माफ हो जाएंगे।
82. अगर आपकी कोई चाहत है या कोई हाजत है या फिर आप किसी ऐसे तकलीफ या परेशानी में घिरे हुए हैं; जहां आपको कुछ समझ में नहीं आ रहा, तो आप इस नमाज को पढ़ें इंशाअल्लाह आपको उस परेशानी का हल मिल जाएगा।
Salatul Hajat ki Namaz ki Fazilat
83. सलातुल हाजत में जो दुआ है वह हदीस की अक्सर किताब में मौजूद है, इस नमाज़ को दिल से पढ़ने के बाद अल्लाह ता’अला पढ़ने वाले की ज़रूरत और उसके काम को आसान कर देते हैं, और उसके गुनाहों को भी माफ़ कर देते है, जैसा की दुआ के अल्फाज़ से भी मालूम होता है और हमारे हजरत मोहम्मद सल्लाहू अलैहे वसल्लम ने भी फ़रमाया है की जिस को कोई जरुरत वाली काम आ जाए उस को सलातुल हाजत पढ़ कर अल्लाह से दुआ मांगनी चाहिए. [Tirmizi: 479]
84. सलातुल हाजत एक ऐसी नफिली नमाज़ है जो किसी भी इन्सान की इच्छा और खावाहिस पूरी करने में मदद करता है और इसके साथ किसी इन्सान से काम है फिर भी ये नमाज़ आपकी मदद करेगा.
85. हजरत अब्दुल्लाह बिन अबी औफा रजिअल्लाहु अन्हु से रिवायत है की अल्लाह के रसूल सल्लल्लाहु अलैहि वस्सलल्लम ने इरशाद फ़रमाया “जिसे अल्लाह से कोई हाजत हो या किसी बन्दे से कोई हाजत हो तो सबसे पहले अच्छे से वज़ू करे फिर दो रकअत नमाज़ पढ़ कर अल्लाह की तारीफ़ करें और नबी ए करीम सल्लल्लाहु अलैहि वस्सलल्लम पर दरूद पढ़ें” तो आपकी हाजत जरुर पूरी होगी.
इसके अलावा बहुत सारी फ़ज़ीलत है अगर आपको हाजत की नमाज़ नहीं आती है तो आपको सबसे Hajat ki Namaz ka Tarika सीखना होगा.
Istikhara ki Namaz ki Fazilat
86. नबी करीम सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम ने फ़रमाया अल्लाह तआला से Istikhara करना, और उसके फैसले पर राज़ी होना खूश क़िस्मती है और अल्लाह तआला से इस्तिखारा न करना मुसीबत की अलामत है। (मुसनद अहमद)
87. अगर कोई सख्स किसी भी मामले में जैसे कारोबार, लड़का या लड़की की शादी, सफर या फिर कोई और मामले में अल्लाह ता’अला से खैर और भलाई तलब चाहता है तो उसे इस्तिखारा की नमाज़ पढ़ना चाहिए.
Janaza ki Namaz ki Fazilat
88. जो सख्स इमान के साथ सवाब की नियत से किसी मुस्लमान के जनाज़े के साथ चला फिर नमाज़े जनाज़ा और फिर दफ़न तक रहा तो उसको दो किरात का सवाब मिलता है लेकिन जो सख्स सिर्फ Janaza ki Namaz में सामिल हुआ और दफ़न तक नहीं गया तो उसको सिर्फ 1 किरात का सवाब मिलता है.
89. नबी अकरम सल्लल्लाहु अलैहे वसल्लम ने फ़रमाया “एक मुस्लिम को दुसरे मुस्लिम पर छह चीज़े फ़र्ज़ है जिसमे से किसी का इन्तेकाल हो जाए तो उसकी जनाज़े में जरुर जाए”.
Salatul Kusuf Namaz ki Fazilat
90. इब्ने उमर रजी अल्लाहु अन्हो रिवायत करते है की रसूल अल्लाह सल्लाहू अलैहे वसल्लम ने फ़रमाया की, “सूरज और चाँद ग्रहण में किसी की मौत या जिंदगी से नहीं लगता बलके ये अल्लाह ता’अला की निशानिया में से दो निशानिया है, इसलिए जब तुम ये देखो तो Salatul Kusuf ki Namaz पढ़ा करो.
Ashura ki Namaz ka Fazilat

91. अगर कोई शख्स आशुरा के दिन अपने घर वालों पर खर्च करने में कुशादगी करेगा तो अल्लाह तआला उस शख्स के लिए साल भर कुशादगी फरमाएगा।
92. इस दिन रसूल अल्लाह ने रोज़ा रखा, इस दिन इबादतें का सवाब ज्यादा मिलता हैं, इस दिन का रोजा रखना सुन्नत ए रसूल है, गनाहें माफ होती हैं, दुआएं कबूल होती हैं।
93. आप सल्लल्लाहू अलेही वसल्लम ने इरशाद फरमाया जो शख्स मोहर्रम में आशूरा के दिन रोजा रखे उसे 10000 शहीदों और 10000 हाजियों का सवाब मिलता है जो इस रोज किसी यतीम के सर पर मोहब्बत का हाथ रखे उसे इसके सर के बालों के बराबर जन्नत में ऊंचा मकाम मिलता हैं और जो इस रात में किसी मोमिन को खाना खिलाएं तो वह ऐसे हैं जैसे इसने आप सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम की तमाम उम्मत को खाना खिलाया।
94. सहाबा किराम रजि0 अल्लाह ताला अनु ने अर्ज़ किया कि या रसूल अल्लाह क्या यौमे आशूरा को अल्लाह ताला ने सब दिनों पर फजीलत अता फरमाई है आप सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम ने जवाब दिया हां क्योंकि अल्लाह ताला ने इसी दिन आसमानो, पहाड़ों, नदियों, और लोहे कलम को पैदा किया।
95. हज़रत इब्ने अब्बास रजि अल्लाहु ता’अला अन्हु से रिवायत है कि आप सल्लल्लाहो अलैहि वसल्लम ने इरशाद फ़रमाया कि जो आशूरा के दिन रोजा रखे और रात भर जागे उसको 60 साल की इबादत का सवाब मिलता है और अगर कोई इस दिन सिर्फ रोजा रखे तो सात आसमानों के आदमियों के बराबर उसे सवाब मिलता है।
Shab e qadr ki Namaz ki Fazilat
96. लैलातुल कद्र की नमाज़ पढने से अज़ीम सवाब हासिल होगा, गुनाह माफ़ हो जाएंगे, सुकरात मौत आसान होगी, अल्लाह बहिश्ते मुल्ला में मकाम अता फरमाएगा, कब्र के आजाब से हिफाजत होगी, जन्नत अता होगी, जो दुआ मांगो गए कबूल होंगी, हाजतें पूरी होंगी।
97. रसूलुल्लाह सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम ने इरशाद फ़रमाया जो कोई शबे क़द्र में ईमान के साथ और सवाब प्राप्त करने की नियत से इबादत में खड़ा हो उसके अगले पूरे गुनाह बख़्श दिये जाते हैं। (बुखारी शरीफ़ 1901)
98. नबी करीम सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम ने फ़रमाया जो आदमी शबे क़द्र ईमान के साथ सिर्फ़ सवाब आखिरत के लिए ज़िक्र और इबादत में निकाले, उसके पिछले पाप बख़्श दिए जाते हैं। (बुखारी 35)
99. नबी करीम सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम ने फ़रमाया जो आदमी लैलतुल क़द्र में सवाब की नियत से नमाज़ में खड़ा रहे (नमाज़ पढ़े) उसके पिछले गुनाह माफ़ कर दिए जाते हैं। (बुखारी 2014)
100. एक मर्तबा रमज़ान करीब आने से पहले हमारे नबी सल्ल ० ने सहाबाओ को जमा किया। सहाबा जमा हो गए तो आप कहने लगे की तुम पर एक महीना (रमज़ान) आने वाला है और उस महीने की एक रात अपनी क़द्र और अजमत के एतबार से इतनी अहम है के वो रात 1000 महीनों से ज्यादा अफजल है।
Conclusion – आज आपने क्या सिखा
मुझे उम्मीद है की आप सभी हजरत को मालूम हो गया होगा की नमाज़ पढ़ने से पढ़ने वालो को अल्लाह सुबान व ता’अला किस चीज़ से नवाज़ते है जिसमे Namaz ki Fazilat के बारे में समझा.
आप सब से एक गुजारिश है की Namaz ki Fazilat यानि यह पोस्ट अपने दोस्तों और फॅमिली में व्हात्सप्प और फेसबुक के जरिये शेयर जरुर करे.