अस्सलामु अलैकुम नाज़रीन आज की पोस्ट में दो दुआ एक साथ ही बताने जा रहा हूँ की जो Masjid me Jane ki Dua और Masjid se Nikalne ki Dua है। जिसे इस पोस्ट में विस्तार से बात करने वाले है।
अगर आपने से इस पोस्ट को शुरू से आखिर तक अच्छे से समझ लिए तो मस्जिद में दाखिल होने और मस्जिद से बाहर निकालने की दुआ याद हो जाएगा।
दोस्तों आप सभी के दिल और दिमाग में एक सवाल जरुर आ रहा होगा की इस्लाम में सैकड़ो दुआ है जैसे Ghar se Nikalne ki Dua, Karz Utarne ki Dua वगैरह। तो क्या सभी दुआ को याद करना सभी मुस्लमान के लिए जरुरी है तो इसका जवाब निचे मिलेगा।
Masjid me Dakhil Hone ki Dua
दोस्तों मस्जिद अल्लाह का घर होता है जिसे इबादत की घर भी कहा जाता है मतलब ऐसा जगह जो सबसे पाक व साफ़ जगह है जहाँ पर मुस्लमान नमाज़ जैसे इबादत करने के लिए आते है।
एक बात आप सभी को समझना होगा की मस्जिद में इबादत करने का सवाब घर में इबादत करने से कही ज्यादा होता है यानि जो शख्स घर में इबादत करता है तो उसको मस्जिद के अन्दर इबादत करने से 10 गुणा ज्यादा सवाब मिलता है।
मस्जिद में अल्लाह ता’अला का इबादत और ज़िक्र के अलावा कोई भी काम नहीं करना चाहिए क्युकी कुछ लोग दुनियावी काम करने लगते है।
Masjid me Jane ki Dua
नाज़रीन इस दुआ के बारे में बहुत कुछ सीख लिया लेकिन अभी तक दुआ क्या है यह सीखने के लिए जब आप मस्जिद के पास चले जाए और जब मस्जिद के अन्दर जाने लगे तो जाने से पहले अपना दाहिना पैर अन्दर रखे और निचे दिया हुआ दुआ पढ़े।

Masjid me Dakhil Hone ki Dua in Arabic
اَللّٰهُمَّ افْتَحْ لِيْ اَبْوَابَ رَحْمَتِکَ
Masjid me Jane ki Dua in Hindi
अल्लाहुम्मफ़ तहली अब्वाबा रहमतिक
मस्जिद में दाखिल होने की दुआ तर्जुमा के साथ
ऐ अल्लाह मेरे लिए अपनी रहमत के दरवाज़े खोल दे।
Masjid me Jane ki Dua in English
Allahummaf tah li abwaba rahmatika
मस्जिद के अन्दर जाते समय इन बातों का ख्याल रखें
- कपड़ा और शरीर को पाक रखें यानि कही पर नजासत लगी हो ऐसा कपड़ा ना पहने।
- नापाकी हालत में मस्जिद के अंदर जाने से बचे।
- अगर आप नापाकी हालत में मस्जिद के अन्दर जाकर नमाज़ पढ़ते हैं तो आपकी नमाज़ क़ुबूल नही होगी।
- मस्जिद में जाते समय दाहिना पैर को सबसे पहले मस्जिद में रखें। कहा जाता है की हर अच्छे काम के शुरुवात करते वक्त आपको पहले दाहिना पैर ही अंदर रखना चाहिए।
- मन में मस्जिद के अंदर जाने की दुआ पढ़े और दुआ को तेज़ पढ़ना ज़रूरी नहीं है। इसे आप धीरे या मन में ही पढ़ सकते हैं।
- जूते और चप्पल को मस्जिद के बाहर ही उतारे।
Masjid se Nikalne ki Dua
जिस तरह से मस्जिद के अन्दर जाते वक़्त पढ़ा था उसी तरह नमाज़ या कोई भी इबादत करने के बाद जब बाहर आने लगे तो सबसे पहले अपने बाए पैर बाहर करे और यह दुआ पढ़े।

Masjid se Bahar Nikalne ki Dua in Arabic
اَللّٰهُمَّ اِنِّيْ اَسْاَلُکَ مِنْ فَضْلِکَ
Masjid se Nikalne ki Dua in Hindi
अल्लाहुम्मा इन्नी अस अलुका मिन फजलिक
मस्जिद से बाहर निकलने की दुआ तर्जुमा के साथ
ऐ अल्लाह मैं आप से फज्ल मांगता हूँ।
Masjid se Nikalne ki Dua in English
Allahumma Inni As Aluka Min Fazlik
मस्जिद से बाहर निकलते समय इन बातों को ख्याल रखें
- मस्जिद से निकलते वक्त बायां पैर को सबसे पहले बाहर निकाले उसके बाद मस्जिद से निकलते समय की दुआ पढ़े।
- दुआ को मन में या धीरे से पढ़ना चाहिए।
- दुआ को पढ़ने के बाद आप दरूद शरीफ या फिर तस्बीह भी रास्ते में चलते हुए पढ़ सकते हैं।
Entering and Leaving Masjid Dua FAQs
मस्जिद से निकलते समय क्या कहते हैं?
मस्जिद से बाहर निकलते समय Masjid ki Dua पढ़ना चाहिए जिसको सिखाने के लिए ऊपर लिखा गया है।
मस्जिद के अंदर क्या होता है?
मस्जिद के अन्दर अल्लाह सुबान व ता’अला की इबादत होती है इसके अलावा कोई दूसरा काम नहीं होता।
Masjid me Jane aur Nikalne ki Sunnat Kya Hai?
मस्जिद में जब भी जाए तो पहले दाहिना पैर और बाहर निकले तो बाया पैर रखे और पैर को रखते वक़्त दुआ भी पढ़े। मस्जिद के अन्दर जाने से पहले कपड़ा और बदन दोनों पाक साफ़ होना चाहिए। मस्जिद के अन्दर बात करने से परहेज़ करे।
दुनिया का सबसे पवित्र स्थान कौन सा है?
हम मुस्लमान दुनिया का सबसे पवित्र स्थान मस्जिद और मक्का मदीना को मानते है।
मस्जिद को इंग्लिश में क्या कहता है?
मस्जिद को इंग्लिश में मोस्कुए (mosque) बोलते है।
क्या मस्जिद की दुआ एक बार पढ़े या ज्यादा बार?
दोस्तों मस्जिद के अन्दर एक दिन में जिनती बार जाए उतनी दुआ पढ़े और जिनती बार बाहर उतनी बार बाहर निकलने की दुआ पढ़े। इसके अलावा बार बार मस्जिद में आते और जाते तो उस वक़्त नहीं पढ़े।
आज आपने क्या सीखा?
नाज़रीन मस्जिद में जाने और बाहर आने की दुआ को बहुत अच्छे तरह से समझाने की कोशिश किया गया है लेकिन फिर भी कही किसी किस्म का गलती हो गया है तो निचे कमेंट करे।
मै उम्मीद तो कर ही सकता हूँ की यह पोस्ट जो जो शख्स शुरू से आखिर तक पढ़ा होगा उसको यह दुआ और इसके पीछे का सच मालूम चल गया होगा।
आसान ही बात है हम लोग जो ऐसी दुआ पढ़ते है तो अल्लाह ता’अला पर एहसान नहीं करते बलके अपने आप को फायदा पहुँचाने के लिए पढ़ते है।
आखिर में बस एक बात कहूँगा की अगर इसी तरह का इस्लामिक दुआ सीखने में दिलचस्पी रखते है तो इस पोस्ट को अपने सोशल मीडिया पर जरुर शेयर करे।
अगर आपके पास कुछ वक़्त है तो यह भी पढ़ सकते है?