Kabristan ki Dua | Kabristan me Dakhil Hone ki Dua

अस्सलामु अलैकुम दोस्तों हर बार की तरह इस बार भी कुछ नया दुआ सिखाने की कोशिश करने वाला हूँ जो Kabristan ki Dua होने वाला है। इस तरह का जानकारी लेने के लिए और भी दुसरे ब्लॉग पर गए होंगे लेकिन मुतमईन नहीं होंगे।

क्युकी वह पर आपको पूरी विस्तार और डिटेल्स में नहीं समझाया गया होगा लेकिन अल्लाह ता’अला की फज़लो करम से आज आपको सभी सवालो का जवाब इंशाल्लाह मिल जायेगा।

इस दुआ को सिखाने के लिए अरबिक, हिंदी और रोमन इंग्लिश में लिखा गया है जिसकी वजह से आसानी से याद भी हो जायेगा और इसी के साथ तर्जुमा भी याद हो जायेगा जो निचे दिया गया है।

Kabristan ki Dua

नाज़रीन कब्रिस्तान में रोज़ रोज़ तो नहीं जाते लेकिन जब भी तो दुआ जरुर पढ़े इनके बारे में कई हदीस में भी बताया है। लेकिन यहाँ पर एक हदीस जो सहीह मुस्लिम में लिखा गया है उसको बताने जा रहा हूँ।

नबी अकरम सल्लल्लाहु तआला अलैहि वसल्लम लोगों को ता’लीम फ़रमाते है कि जब वह क़ब्रिस्तान जाएँ तो Qabristan Jane ki Dua को जरुर पढ़े इससे बहुत फायदे मिलते है।

इसी तरह पिछले ब्लॉग में कब्र पर मिटटी देने की दुआ और तरीका बताया था जिसको सीखना हर मुस्लमान पर लाजिम है और बहुत ज्यादा सवाब का भी काम है।

Kabristan mein Dakhil Hone ki Dua

जब आप कब्रिस्तान में दाखिल होने लगे या कब्रिस्तान के रस्ते से गुजरने लगे तो आपको Kabristan me Dakhil Hone ki Dua को साथ साथ पढ़ते जाना है क्युकी इस दुआ को पढने से बहुत ज्यादा सवाब भी मिलता है।

Kabristan ki Dua in Hindi

Kabristan ki Dua in Arabic text

اَلسَّلَامُ عَلَیْکُمْ اَھْلَ الدِّیَارِ مِنَ الْمُؤْمِنِیْنَ وَالْمُسْلِمِیْنَ ،وَاِنَّااِنْ شَآئَ اللّٰہُ بِکُمْ لَلاَحِقُوْنَ أَسْأَلُ اللّٰہَ لَنَا وَلَکُمُ الْعَافِیَةَ

कब्रिस्तान में दाखिल होने की दुआ हिंदी में

अस्सलामु अलैकुम अहलद दियारि मिनल मुमिनीना वल मुस्लिमीना, व इन्ना इंशाअल्लाहु बिकुम ललाहिकूना अस अलुल्लाहा लना व लकुमुल आफिया

कब्रिस्तान में दाखिल होने की दुआ तर्जुमा के साथ

ऐ मोमिनो! तुम पर सलाम हो, हम आप के पास जल्द आने वाले है, हम अपने लिए और आप के लिए अल्लाह ता'अला से आफ़ियत और खैरियत मांगते है।

Kabristan me Jane ki Dua in roman english

Assalaamu 'alaykum 'ahlad-diyaari, minal-mu'mineena wal muslimeena, wa 'innaa 'in shaa' Allaahu bikum laahiqoona 'as'alullaaha lanaa wa lakumul- 'aafiyata.

कब्रिस्तान में सलाम करने का तरीका

नाज़रीन यहाँ पर एक बात क्लियर कर देना चाहता हूँ की कब्रिस्तान में दाखिल होने या जाने की दुआ को ही कब्रिस्तान में करने पर पढ़ा जाता है।

अगर नहीं समझ में आया तो विस्तार से समझाते है मान लीजिये की आप रिश्तेदार के घर गए तो वहां के लोगो को सलाम कैसे करते है? आसान ही लफ्जों में अस्सलामु अलैकुम बोलते है।

लेकिन कब्रिस्तान में अस्सलामु अलैकुम तो बोलते ही है साथ में कुछ आयत जुड़ जाता है जिसे Kabristan me Dakhil Hone ki Dua in Hindi कहते है।

Kabristan se Bahar Nikalne ki Dua

अगर आप सोच रहे है की जिस तरह से कब्रिस्तान में जाने की दुआ है उसी तरह कब्रिस्तान से बाहर निकलने की दुआ है तो आप गलत है। क्युकी ये जरुरी नहीं की जाने की दुआ हो तो आने की भी दुआ हो।

लेकिन एक काम कर सकते है जब आप मय्यत को दफ़न करने के बाद या किसी भी कारण से कब्रिस्तान के अन्दर आ गए है तो कब्रिस्तान से बाहर निकलने लगे तो उस वक़्त दुरूद शरीफ फिर अस्सलाम अलैकुम कह कर बाहर निकल सकते है।

इस्लाम में कब्र पर जाने पर क्या करना चाहिए?

इस्लाम धर्म में ऐसा माना जाता है की जब भी कब्रिस्तान के अन्दर या सामने से गुजरे तो सबसे पहले सलाम करना चाहिए। जिसके बारे में sahih muslim hadees no 975 में पूरी विस्तार से बताया गया है।

कब्र पर पढ़ने की दुआ हिंदी में

कब्र पर पढ़ने वाली दुआ “अस्सलामु अलैकुम अहलद दियारि मिनल मुमिनीना वल मुस्लिमीना, व इन्ना इंशाअल्लाहु बिकुम ललाहिकूना अस अलुल्लाहा लना व लकुमुल आफिया”

Kabristan se Guzarte Waqt ki Dua

आपका एक Confusion दूर कर देना चाहता हूँ की कब्रिस्तान से गुजरते वक़्त, कब्रिस्तान में जाते वक़्त, कब्रिस्तान में दाखिल होते वक़्त या सलाम करते वक़्त सभी में एक ही दुआ पढ़ा जायेगा जो ऊपर बताया गया है।

आखिरी बाते

दोस्तों हर बार की तरह इस बार भी मुझे उम्मीद है की आप सभी हज़रात को Kabristan ki Dua के साथ Kabristan me Salam Kaise Kare इन सभी सवालो का जवाब मिल गया होगा।

जिसमे आपको बताया गया की सलाम करने को दुसरे अल्फाज़ में Qabristan ki Dua कहते है। अगर समझ में नहीं आया होगा तो फिर से शुरू से पढ़ सकते है।

जाते जाते निचे कमेन्ट में अपना राय और नजरिया इस पोस्ट के हवाले से बताते जायगा। अगर कुछ लिखने का मन ना भी हो तो कम से कम माशाल्लाह जरुर लिख देना।

इसी तरह इस्लामिक दुआ और तरीका सीखते रहने के लिए हमारे वेबसाइट आउटलाइन इस्लाम को बुकमार्क कर ले। इससे यह फायदा होगा की जब भी मै नया पोस्ट डालू तो आपको Notifications अपने मोबाइल फ़ोन में आ जाए।

कुछ और वक़्त आपके पास है तो यह दुआ भी पढ़ सकते है:

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