जुम्मा हर मुसलमान पर फ़र्ज़ है इसीलिए अगर आप Jumma ki Namaz ka Tarika सिखने के लिए इस ब्लॉग पर आए तो आप सही जगह आए हो.
क्युकी आज सबसे पहले जुम्मा के बारे में बताया जायेगा फिर इस नमाज़ का टाइम, रकात और नियत कैसे करते है उसके साथ इसका तरीका क्या है सब कुछ बताया जायेगा.
अगर आप सभी को जुम्मा की नमाज़ की रकात मालूम करना है की 8 या 12 या 14 है तो ये आर्टिकल तो आपको पढ़ना ही चाहिए.
आपको यह भी मालूम होना चाहिए की जोहर की वक़्त में ही जुम्मा की नमाज़ अदा किया जाता है. और हाँ यह नमाज़ सिर्फ और सिर्फ इमाम के पीछे ही पढ़ सकते है.
Jumma क्या है
जुम्मा एक बहुत बड़ी फज़ीलत वाली दिन होता है जिसे छोटा ईद भी कहा जाता है। जो हफ्ते में एक दिन Friday के दिन की नाम से जाना जाता है।
ये नमाज़ हर बालिग मर्द पर पढना फ़र्ज़ है Jumme ke Din ki Fazilat जोहर से ज्यादा है इसका इंकार करने वाला काफ़िर है। हदीस शरीफ में है के जिसने तिन जुम्मे लगातार छोड़े उसने इस्लाम को पीठ के पीछे भेंक दिया- वह काफ़िर है।
Jumme ki Namaz ka Time
जुम्मा का मुकम्मल तरीका जानने से पहले इसका वक़्त टाइम क्या है और कब तक इसका वक़्त रहता है ये जानना बहुत जरुरी है.
मै इंडिया में रहता हूँ और इंडिया के अनुसार Jumma ki Azan 12:30 हो जाता है क्युकी मै नार्थ इलाके में रहता हूँ अगर आप में से कोई साउथ या वेस्ट इलाके में रहते होंगे तो उसका टाइम थोडा अलग हो सकता है.
आपको जानकारी होगा की जुम्मा की नमाज़ फ़र्ज़ है और यह जमात के साथ ही पढ़ा जाता है यानि इमाम के पीछे अगर कोई सख्स अकेला पढता है तो उसका नमाज़ नहीं होगा.
अगर कोई इन्सान मस्जिद में नहीं जा सकेगा तो उसको चाहिए की वह घर पर Johar ki Namaz अदा करे.
जुम्मा की अज़ान के बाद 30 मिनट से 45 मिनट का खुतबा और तकरीर होता है उसके बाद ही नमाज़ के लिए सफ तैयार होता है.
हमारे यहाँ 1 बजे से 1:15 बजे तक जमात खड़ा हो जाता है और यह सर्दी और गर्मी में यही समय होता है कभी चेंज नहीं होता है.
यह वक़्त अलग अलग फिरका के अनुसार चेंज हो जाता है कही पे यह 1:30 से 1:45 तक भी जमात खड़ा होता है.
आप सभी सीधा बात समझ आप किसी फिरका की मस्जिद में हो या सफ़र के दौरान कोई मस्जिद में चले जाए जो वहां का नियम है उसी वक़्त में नमाज़ पढ़े.
क्युकी जुम्मा की आखिरी वक़्त 12:30 से शुरू हो कर असर की नमाज़ से पहले पहले तक होता है यानि किसी भी चीज़ का छाया उसकी लम्बाई से ज्यादा हो जाए.
Jumma ki Namaz ki Rakat
जुम्मा की नमाज़ 14 रकात होती है आप जहाँ पढेंगे और सुनेगे लेकिन इसमें 2 रकात सुन्नत सामिल नहीं करते उसको मस्जिद में दाखिल होते ही पढ़ना होता है.
ऐसे में जुम्मा 16 रकात होती है जिसमे सबसे पहले:
- 2 रकात सुन्नत (दाखिल होने की)
- 4 रकात सुन्नत
- 2 रकात फ़र्ज़
- 4 रकात सुन्नत
- 2 रकात सुन्नत
- 2 रकात नफिल
लेकिन इसमें सबसे पहले 2 रकात तो सभी पढ़ते है मगर 16 के बजाये 14 कहते है.
वैसे आपको बता दूँ की खास कर जुम्मा की नमाज़ की रकात के हवाले से बहुत इख्तेलाफ़ है कोई लोग 6, 8, 12 या 14 कहते है.
आपको पहले ही बताया हूँ की जुम्मा की नमाज़ जोहर की नमाज़ के बदले में पढ़ा जाता है इसी लिए जुम्मा के बाद जोहर नहीं पढ़ा जाता है.
इसी तरह किसी को पांच वक़्त के अलावा जितने भी नमाज़ उसका रकात की जानकारी लेना है तो उसको ये Namaz ki Rakat वाली पोस्ट पढ़ना चाहिए.
Jumma ki Namaz ki Niyat कैसे करते है
इससे पहले समझ लिया है की जुम्मा की नमाज़ 14 रकात या 16 रकात भी है लेकिन इन सभी रकात की नियत कैसे करते अभी तक अपने नहीं जाना.
इन नियत को धयान से देखे और याद कर ले और जुम्मा के दिन जाए तो नमाज़ पढ़ने से पहले नियत जब करे तो ऐसे ही करे.
मस्जिद में दाखिल होने की 2 रकात सुन्नत
जब आप कही पे मस्जिद में दाखिल हो तो सबसे पहले दाखिल होने की नियत करके 2 रकात अदा करके जिसकी नियत यु है:
“नियत की मैंने दो रकआत मस्जिद में दाखिल होने की सुन्नत रसूले पाक की वास्ते अल्लाह तआला के रुख मेरा कआबा शरीफ की तरफ अल्लाहु अकबर”
जुम्मा की 4 रकात सुन्नत नमाज़ की नियत
“नियत की मैंने चार रकआत नमाज जुम्मा की सुन्नत रसूले पाक की वास्ते अल्लाह तआला के मुंह मेरा कआबा शरीफ की तरफ अल्लाहु अकबर”
जुम्मा की 2 रकात फ़र्ज़ की नियत
“नियत की मैंने दो रकआत नमाज जुम्मा की फर्ज पीछे इस इमाम के वास्ते अल्लाह तआला के मुंह मेरा कआबा शरीफ की तरफ अल्लाहु अकबर”
जुम्मा की 4 रकात सुन्नत की नियत
“नियत की मैंने चार रकआत नमाज जुम्मा की सुन्नत रसूले पाक फर्ज के बाद वास्ते अल्लाह तआला के मुंह मेरा कआबा शरीफ की तरफ अल्लाहु अकबर”
जुम्मा की 2 रकात सुन्नत नमाज़ की नियत
“नियत की मैंने दो रकआत नमाज जुम्मा की सुन्नत रसूले पाक फर्ज के बाद वास्ते अल्लाह तआला के मुंह मेरा कआबा शरीफ की तरफ अल्लाहु अकबर”
जुम्मा की 2 रकात नफिल की नियत
“नियत की मैंने दो रकआत नमाजे जुम्मा की नफिल वास्ते अल्लाह तआला के मुंह मेरा कआबा शरीफ की तरफ अल्लाहु अकबर”
अगर आपको juma ki namaz ki niyat urdu mein याद नहीं है या मुस्किल लगता है तो हिंदी में करे क्युकी नियत दिल के इरादे का नाम है.
इसी तरह आपको पांचो वक़्त की नमाज़ की नियत और इसके साथ और भी बहुत सारे नमाजो की नियत एक ही पोस्ट में पढ़ने को मिल जाए इसके लिए Namaz ki Niyat वाली पोस्ट को पढ़ना होगा.
Jumma ki Namaz ka Tarika

जुम्मा की कितनी रकात ऊपर मैंने बता दिया जिसमे सुन्नत फ़र्ज़ और नफिल पढ़ा जाता है जिसकी किस्म 2 और रकात है. जिसका तरीका वही होगा जो आपने पांच वक़्त की नमाज़ का होता है.
जुम्मा में जितने भी रकात पढ़ा जाता है उन सभी का तरीका अलग अलग पोस्ट में बता दिया हूँ यानि अगर आपको 2 रकात सुन्नत पढ़ना है तो सिर्फ सुन्नत अलग होगा लेकिन इसका तरीका एक ही जैसा होगा.
ठीक वैसे ही आपको 4 रकात जुम्मा की सुन्नत पढ़ना है तो इसमें सिर्फ नियत अलग होगा लेकिन जो तरीका पांच वक्तो का होता है same वही तरीका जुम्मा का भी होगा.
इसीलिए निचे मैं नमाज़ की रकात के अनुसार सभी का लिंक दे दूंगा जिसपर क्लिक करके उसका तरीका सिख जाएंगे.
मस्जिद में दाखिल होने की 2 रकात की नमाज़
लोग इसे मस्जिद में दाखिल होने की वजह से पढ़ने और कुछ लोग इसे सुन्नत कहते है लेकिन मै आपको बता दूँ की यह दो रकात पढ़ना बहुत जरुरी है.
क्युकी एक नबी सल्लाहू अलैहे वसल्लम ने जुम्मा के दिन खुतबा रहे है तभी एक सहाबा आए तो बैठ गए कोई भी नमाज़ नहीं पढ़े तो फिर आपने उनसे कहा की इमाम जब तक मेंबर पर नहीं चढ़ जाता है तक आप नमाज़ पढ़ सकते है.
और आपने सबसे पहले 2 रकात सुन्नत नमाज़ पढवाया फिर बोले इसके बाद और पढ़ना है तो पढ़ सकते है.
अगर आपको यह नमाज़ का तरीका एक जगह पूरी डिटेल्स के साथ पढ़ना चाहते है तो आप वाली 2 Rakat Sunnat Namaz ka Tarika पोस्ट को पढ़ना होगा.
जुम्मा की नमाज़ से पहले 4 रकात सुन्नत
दाखिल होने की सुन्नत पढ़ने के बाद अब चार रकात जुम्मा की सुन्नत पढ़ते है जिसके लिए वही तरीका होगा जो आप हर दिन पांच वक़्त की नमाज़ में पढ़ते है.
अगर आप पांच वक़्त की नमाज़ नहीं पढ़ते है तो आपको चाहिए की इसकी आदत बनानी चाहिए लेकिन आप यह नमाज़ पढ़ने नहीं आता है तो मेरी 4 Rakat Sunnat ki Namaz ka Tarika पोस्ट को पढ़ना चाहिए.
जुम्मा की 2 रकात फ़र्ज़ की नमाज़
जुम्मा की दो और चार जुम्मा की सुन्नत सिखने के बाद अब दो रकात फ़र्ज़ का तरीका जानते है जिसके लिए आपको इमाम पीछे खड़ा होकर इमाम की कॉपी कर यानि इमाम जैसे जैसे रुकू सजदा करे आपको भी ठीक वैसे ही करना होगा.
जुम्मा की खुतबा खतम होने के बाद अज़ान की तकबीर होगा फिर सभी लोग खड़े हो जाएंगे आपको भी खड़ा हो जाना है. फिर 2 रकात फ़र्ज़ की नियत करना है जिसका तरीका ऊपर बताया हुआ है.
नियत करके के बाद सना और फिर आउज़ बिल्लाहे मिन्नस सैतानिर्रजिम फिर बिस्मिल्लाहिर रहमानिर रहीम पढ़ कर चुप हो जाए.
इसके बाद इमाम सुरह फातिहा और कुरान की सूरत मिलाएगा और चुप रहना है फिर इमाम अल्लाहु अकबर कहते हुए रुकू में जायगा आपको भी चले जाना है.
रुकू में तिन या पांच बार सुबहाना रब्बियल अज़ीम पढ़े फिर इमाम खड़े होते हुए समिल्लाहु लिमन हमीदा पढ़ेगा तो आपको कहना है रब्बना लकल हम्द.
फिर इमाम अल्लाह हुअक्बर कहते हुए सजदे के लिए जायेगा तो आपको भी सजदे में चले जाना है और फिर दोनों सजदे में तिन या पांच बार सुब्हान रब्बि यल आला कहे.
फिर अल्लाह हुअक्बर कहते हुए दूसरी रकात के लिए खड़े हो जाए इस बार आपको चुप रहना इमाम सुरह फातिहा और कोई एक सुरह पढ़ेगा.
फिर वही तरीका रुकू और सजदा होगा जैसे अभी आपको बताया हूँ लेकिन इस बार दोनों सजदे के बाद अपने पंजो पर बैठ जाए और अत्तहिय्यत फिर दरुदे इब्राहीम और आखिर में दुआ ए मशुरा पढ़े.
इसके बाद इमाम अस्सलामो अलैकुम वरहमतुल्लाह पहले दाहिने जानिब और फिर बाये जानिब कहेगा तो यानि आपको भी करना है.
इस तरह से आपको जुम्मा की 2 रकात फ़र्ज़ की नमाज़ का तरीका मुकम्मल हो जाएगी.
फिर जब तक इमाम दुआ के लिए हाथ नहीं उठा लेना उससे पहले आपको 33 बार सुबानाल्लाह, 33 बार अल्हम्दुलिलाह और 34 बार अल्लाह हुअक्बर पढ़े और जब इमाम दुआ के लिए हाथ उठाए तो आपको भी दुआ मंगेना है.
ऐसे ही आपको 2 रकात फ़र्ज़ का मुकम्मल तरीका जानना है तो आपको 2 Rakat Farz Namaz Padhne ka Tarika वाला आर्टिकल बिलकुल पढ़े.
Jumma ki Namaz ka 4 Rakat Sunnat
इसका तरीका बताने से पहले आपको बताना चाहता हूँ की Jumma ki 2 Rakat Farz नमाज़ के बाद आपको जाना नहीं है की अब मेरी जुम्मा की नमाज़ ख़त्म हो गयी.
नहीं आपको इसके बाद 4 रकात सुन्नत की नमाज़ पढ़ना है जिसे पढ़ने के लिए आपको मेरी 4 Rakat Sunnat ki Namaz ka Tarika पोस्ट वाली पढ़ना चाहिए.
जुम्मा की बाद की दो रकात सुन्नत
इसका नमाज़ का तरीका तरीका वही होगा तो इससे पहले दाखिल होने की दो रकात सुन्नत का तरीका बताया हूँ.
Jumma ki Namaz ka 2 Rakat Nafil
यह नमाज़ जुम्मा की नमाज़ का सबसे आखिरी नमाज़ यानि 14 रकात में से आखिरी 2 रकात नफिल की नमाज़ होती है जिसका तरीका आज सिखने वाले हो.
नफिल नमाज़ का भी तरीका मैंने इस वेबसाइट यानि OutlineIslam पर बता दिया हूँ जिसको पढ़ने के लिए Nafil Namaz ka Tarika पर क्लिक करना होगा.
जुम्मा न पढ़ने की सजा क्या है
हजरत अब्दुल्लाह बिन उमर और हजरत अबू हुरैरह (R.Z.) ने रसूलुल्लाह (S.A.W) को फरमाते हुए सुना की आप मेंबर की सिरियों पर ये फरमा रहे थे: “जो लोग जुमा की नमाज़ छोर देते है वो लोग ख़बरदार हो जाए वरना अल्लाह ता’अला उन के दिलों पर मुहर लगा देंगे फिर वह लोग गफिलीन में से हो जायेंगे.” Sahih Muslim 865
क्या बारिश में जुम्मा की नमाज़ छोड़ने की इज़ाज़त है?
मुहम्मद बिन सीरीन से रिवायत है:
Abdullah ibn Abbas r.a. ने मुआज़िन से बारिश के दिन में कहा था: जब तुम अज़ान में अश हदू अल्लाह इलाहा इल्लल्ला, अश हदू अन्ना मुहम्मदन रसूलुल्लाह, फिर उसके बाद हय्या अलस सलाह मत कहो बल्कि कहो की अपने घरो में नमाज़ अदा करो।
ये सुनकर लोगो ने ताज्जुब किआ, तो उन्होंने कहा, क्या आप इससे हैरान हो रहे हो? वो जो मुझसे बेहतर है Rasoolullah ﷺ ने ऐसा किया है. जुमा फ़र्ज़ है, लेकिन मै तुम्हे कीचड़ और फिसलन भरी जमीन से आने को मजबूर नहीं करना चाहता. Sahih al-Bukhari 901
Jumma ki Namaz Related Questions (FAQs)
Juma me kitni Rakat hoti Hai
जुम्मा की नमाज़ 14 रकात होती है जिसमे सबसे पहले 4 रकात सुन्नत, 2 रकात फ़र्ज़, 4 रकात सुन्नत, 2 रकात सुन्नत, 2 रकात नफिल.
जुम्मा की नमाज में क्या क्या पढ़ा जाता है?
Jumma ki Namaz में पहले नियत करते है फिर सना, सुरह फातिहा, कुरान की सुरह, रुकू,सजदा करते है जिसमे सुबहाना रब्बियल अज़ीम फिर सुब्हान रब्बि यल आला पढ़ते है. जुम्मा की नमाज़ में बहुत कुछ पढ़ा जाता है जो आपको ऊपर शुरू से आखिर तक बताया हूँ.
जुमा की नमाज़ की नियत कैसे करे?
Juma ki Namaz की नियत दो तरीके से होता है पहले जुबान से जिसके लिए आप यहाँ पर सिखने आए है और दूसरा दिल में इरादा करते है जैसे आप बाकि और कामो की इरादा करते है.
जुम्मे के दिन कौन कौन सी सूरत पढ़ी जाती है?
जुम्मा के दिन आप कुरान शरीफ तिलावत कर सकते है या कोई एक सुरह भी पढ़ सकते है लेकिन जुम्मे के दिन अफज़ल है की सुरह कहफ़ पढ़ा जाए.
शुक्रवार को सूरह कहफ कब पढ़ना चाहिए?
शुक्रवार के दिन सुरहा कहफ़ पढ़ना बहुत ही फ़ज़ीलत वाली होता है, एक हदीस में आया है कि हुजूर मोहम्मद मुस्तफा सल्लल्लाहो अलेही वसल्लम ने इरशाद फरमाया; जो कोई शख्स जुम्मे के दिन सुरह कहफ पढेगा उसे दो जुम्मे के दरमियान में अल्लाह उसके लिए नूर को रोशन कर देता है.
औरत जुम्मा के दिन जुम्मा की नमाज़ पढ़े या जोहर की?
मैंने आपको पहले ही बताया हूँ की जुम्मा की जमात के साथ ही पढ़ा जाता है अगर आप जमात के साथ नहीं पढ़ सका तो जोहर की नमाज़ उसी तरह औरत को जमात के साथ नमाज़ पढ़ने का हुक्म है इसीलिए औरत पर जुम्मा की नमाज़ पढ़ना मना है, जुम्मा की जगह पर जोहर की नमाज़ पढ़े.
Jumma ki Namaz की जमात कायम करने के लिए इमाम के अलावा कम से कम कितने मर्द होने चाहिए?
Jumma ki Namaz पढ़ने के लिए इमाम यानि जो नमाज़ पढ़ा रहा है उसके अलावा तिन मर्द होगा जो आकिल और बालिग हो तो जुम्मा की नमाज़ के लिए जमात खड़ी हो जाएगी.
जुम्मा की नमाज़ और दूसरी नमाज़ में अंतर क्या है?
सबसे पहले अंतर यह है की जुम्मा के दिन इमाम नमाज़ से पहले खुतबा करता है जो बाकि नमाज़ में नहीं होता है. और दूसरा यह नमाज़ सिर्फ जमात के साथ ही पढ़ा जाता है और बाकी पांचो वक़्त की नमाज़ जमात के साथ या अकेले पढ़े दोनों तरीका से नमाज़ हो जाएगी लेकिन जुम्मा की नहीं.
Jumma ki Namaz Kya hai Farz ya Wajib
जुम्मा की नमाज़ फ़र्ज़ है या वाजिब बहुत सारे लोगो का सवाल होता है आज आपको बताता हूँ जुम्मा की नमाज़ फ़र्ज़ है.
आज आपने क्या सिखा
दोस्तों अगर आप शुरू से आखिर तक यह पढ़ रहे है तो इसके लिए आप सभी को बहुत बहुत शुकुरिया आपको मेरा काम अच्छा लग रहा है.
इस वेबसाइट का आज का मकसद Jumma ki Namaz कैसे और क्यों पढ़ना है यह बताना था जिसमे सबसे पहले आपने समझा की जुम्मा क्या है.
उसके बाद जुम्मा की वक़्त के बारे में जाना की जुम्मा की नमाज़ कब तक पढ़ना जायज़ है और उसके बाद जुम्मा की नियत और रकात के बारे में जाना की जुम्मा 14 रकात होती है जिसका नियत अलग अलग होता है.
जिसके बाद Jumma ki Namaz ka Tarika सिखा जिसमे 16 रकात को कैसे पढ़े शुरू से आखिर तक सब कुछ बता दिया.
लेकिन आपको लग रहा है की आपका कोई ऐसा सवाल है जो यहाँ पर बताया नहीं गया है तो आप निचे में कमेंट में सवाल जरुर करे.
फिर इस पोस्ट को पढ़ने के लिए आप सभी को बहुत बहुत शुकुरिया.
खुदा हाफिज!!