क्या आपको Janaze ki Namaz ka Tarika सीखना है जिसमे मय्यत को कन्धा देने से लेकर मय्यत को दफ़नाने तक जानना है तो आप सही जगह आए है.
जनाज़ा की नमाज़ पढ़ना बहुत बड़ी फ़ज़ीलत होती है अगर किसी गाँव में किसी का इन्तेकाल हो गया और किसी ने भी जनाज़ा की नमाज़ नहीं पढ़ा तो पुरे गाँव के लोग गुनाहगार होगा.
लेकिन किसी एक सख्स ने भी जनाज़ा पढ़ लिया तो सभी गाँव गुनाह से बच जायेगा तो क्युकी जनाज़े की नमाज़ फ़र्ज़ किफ़ाया है.
Janaze ko Kandha Dene ka Tarika Jane
जनाज़ा को कन्धा देने का तरीका यह है की मय्यत की मुंह को आगे रखे फिर दाहिने कंधे पर चारो पायो में से पहला रखे और दस कदम चले ये सुन्नत इबादत है.
फिर दूसरी पाया को दाहिने कंधे पर रख कर दस कदम चले इसी तरह चारो पायो को एक के बाद एक करके दस दस कदम चले.
मय्यत के पहले सीखे सिरहाने पर कन्धा रखे फिर दस कदम चले इसके बाद सीखे पांव पर कन्धा रखे और दस कदम चले, फिर उलटे सिरहाने आखिर में उलटे पांव पर कन्धा रख कर दस कदम चले.
जनाज़ा को ले जाते समय यही तरीका रहे इसमें अगर 10 कदम के बजाये 5 या 11 हो जाए तो कोई हर्ज़ नहीं लेकिन कोशिश करे की जो तरीका बताया गया है उसी पर अमल करे.
Janaze ki Namaz ki Niyat Kaise Kare
Janaza ki Niyat बहुत कम लोगो को मालूम होता है क्युकी यह पांच वक्तो की नमाज़ नहीं जिसे हर दिन 5 बार पढ़ना होता है जिसके कारण नियत याद हो.
इसीलिए Namaz e Janaza ki Niyat बताने लगा हूँ जिसको आप अभी याद कर ले या इस पोस्ट save करके रख ले. क्युकी जब किसी मय्यत की जनाज़े में जाए तो नियत याद भी नहीं तो इसे post को ओपन करके याद कर ले.
Namaze Janaza ki Niyat ही नहीं कोई भी नमाज़ का नियत जुबान से नहीं पढ़ सकते है तो दिल में इरादा भी कर लेंगे तो नियत हो जायेगा.
नियत की मैंने जनाज़ा की नमाज़ की 4 तकबिरो के साथ वास्ते अल्लाह ता’अला के दुआ इस मय्यत के लिए पीछे इस इमाम के मुंह मेरा काबा शरीफ की तरह अल्लाहु अकबर
Namaze Janaza ki Niyat in Arabic
जनाज़ा की नियत हिंदी में समझ नहीं आ रहा है और अरबिक में याद करना है तो निचे इमेज पर लिखा हुआ है जिसको याद करने के लिए डाउनलोड कर ले या सेव करे.

इसी तरह यहाँ पर सिर्फ जनाज़ा की नियत के बारे में बताया गया है लेकिन आपको सभी नमाज़ की नियत के बारे में जानना है की नियत कैसे करते है तो आपको Namaz ki Niyat वाली पोस्ट को पढ़ना चाहिए.
Janaza ki Namaz Padhne ka Tarika
हर कोई को मालूम होता है की जनाज़ा की नमाज़ कभी कभी पढ़ा जाता है इसीलिए Janaze ki Namaz ka Tarika बहुत से लोग भूल जाते है. आपको तरीका बताने से पहले यह जान लेना जरुरी है की इस नमाज़ में न रुकू होता है और न सजदा होता है.
इसके साथ इसमें न तशाहुद में बैठना पड़ता है सिर्फ खड़े खड़े होकर ही Namaze Janaza पढ़ा जाता है बस इसमें चार तकबीर के साथ पढ़ा जाता है.
जनाज़ा की नमाज़ फ़र्जे किफाय है जिसका मतलब अगर किसी एक ने भी Janaze ki Namaz पढ़ ली तो हो जायेगा लेकिन किसी ने नहीं पढ़ा और जिस जिस को खबर हुआ था तो सब गुनाहगार होगा.
और इस नमाज़ की फर्जियत का जो सख्स इंकार करे तो वह काफ़िर में सुमार होगा. नमाज़े जनाज़ा पढ़ने की बहुत बड़ी फ़ज़ीलत जिसको निचे बताया गया है.
अब चले जानते है शुरू से step by step Janaze ki Namaz ka Tarika क्या है और इसमें खास क्या ख्याल रखना चाहिए.
First Step
सबसे पहले किसी भी नमाज़ में क्या होता है जिसमे अच्छी तरह से वजू करके क़िबला रुख खड़े हो जाए तो Janaza ki Namaz ki Niyat करे जो ऊपर बताया गया है.
Second Step
नियत करने के बाद कानो तक हाथ उठाकर अल्लाहु अकबर कहता हुआ हाथ निचे लाए और नाफ के निचे बांध ले और सना पढ़े.

ऊपर फोटो में लिखा हुआ सना में ध्यान रखें कि “वताला जद्दोका” के बाद “वजल्ला सनाओका वलाइलाहा ग़ैरोका” पढ़ें.
Third Step
अब फिर बगैर हाथ उठाय अल्लाहु अकबर कहे और दरूद शरीफ पढ़े जिसमे कोई भी दरूद पढ़ सकते है जो आपको याद हो लेकिन अफज़ल है की दरुदे इब्राहीम पढ़े. क्युकी बेहतर दरूद शरीफ वही है जो नमाज़ में पढ़ा जाता है.

Fourth Step
दरूद शरीफ पढ़ने के बाद बगैर हाथ उठाय अल्लाहु अकबर कहे और इसके बाद अपने और मय्यत के लिए तमाम मोमिनीन व मुमेनात के लिए जनाज़ा की दुआ पढ़े.
Janaze ki Dua मर्द व औरत के लिए

तर्जुमा :- इलाही! बख़्श दे हमारे हर जि़न्दा को और हमारे हर फ़ौत शुदा को और हमारे हर ह़ाजि़र को और हमारे हर ग़ाइब को और हमारे हर छोटे को और हमारे हर बड़े को और हमारे हर मर्द को और हमारी हर औरत को। इलाही! तू हम में से जिस को जि़न्दा रखे तो उस को इस्लाम पर जि़न्दा रख और हम में से जिस को मौत दे तो उस को ईमान पर मौत दे। (अल मुस्तदरक लिलहाकिम हदीस 1366)
ये janaze ki dua उसी मय्यत में पढ़े जो मय्यत बालिग हो यानि इस्लाम में जो सख्स बालिग कहा जाए.
Nabalik Ladke ki Janaza ki Dua

अल्लाहुम्मा ज अल्हु लना फरतौं वज अल्हू लना अजरौं वा जुखरौं वजअलहू लना शाफिऔं वा मुशफ़्फ़ाआ
तर्जुमा:- इलाही! इस (लड़के) को हमारे लिये आगे पहुंच कर सामान करने वाला बना दे और इस को हमारे लिये अज्र (का मूजिब) और वक़्त पर काम आने वाला बना दे और इस को हमारी सिफ़ारिश करने वाला बना दे और वो जिस की सिफ़ारिश मन्ज़ूर हो जाए।
Nabalik Ladki ke Janaze ki Dua

अल्लाहुम्मा ज अल्हा लना फरतौं वज अल्हा लना अजरौं वा जुखरौं वजअलहा लना शाफिअतौं वा मुशफ़्फ़ा आ।
तर्जुमा :- ऐ अल्लाह! तू उस बच्ची को हमारे लिए पहले से जाकर इतिजाम करने वाली बना और उसको हमारे लिए अजर और ज़ख़ीरा और शिफारिश करने वाली और शिफारिश मंज़ूर की हुए बना।
मय्यत अगर नाबालिग लड़का है तो तीसरी तकबीर के बाद वह दुआ पढ़े जो नाबालिग लड़का के लिए है और अगर नाबालिग लड़की है तो वह दुआ पढ़े जो नाबालिग लड़की के लिए है.
अगर किसी को तीनो दुआ याद नहीं है तो याद करे लेकिन याद नहीं हो रहा है तो ये दुआ पढ़े:
अल्लाहुम्मग़ फिरली मुअ’मिनिना वल मुअ मिनात
Five Step
इसके बाद चौथी तकबीर कहे, फिर बगैर कोई दुआ पढ़े हाथ खोल कर यानि निचे लटका कर दोनों तरफ सलाम फेर दे.
इस तरीके से Janaze ki Namaz ka Tarika मुकम्मल हो गया इसके बाद मय्यत के दुआ के लिए हाथ उठाय और कोई भी दुआ करे.
कब्र में मय्यत को उतारने की दुआ
मय्यत की आँखे बंद करते वक़्त, उसके आअज़ा को सीधा करते वक़्त गुसल के वक़्त कफ़न पहनाने के वक़्त, चारपाई या ताबूत आदि पर रखते वक़्त और कब्र में मय्यत के उतारते वक़्त यह दुआ पढ़े.
بِسْمِ اللَّهِ وَعَلٰی سُنَّةِ رَسُولِ اللَّهِ
तर्जुमा:- अल्लाह ता’अला के नाम से और रसूल अल्लाह सल्लाहू अलैहे वसल्लम के तरीके पर.
Kabar me Mitti Dalne ki Dua
Janaza ki Namaz ka Tarika सिखने के बाद अब जानते है की मय्यत को जब कब्र के अन्दर रख देने के बाद जब उस पर मिटटी डालते है तो क्या पढ़ते है.
ये सवाल बहुत लोगो का होता है इसके साथ साथ लोगो ये गलत्फेमिया फैला हुआ है की कब्र पर पांच पर मिटटी देना है लेकिन ये गलत है सही ये है की कब्र पर तिन मर्तबा मिट्टी देनी चाहिए.
पहली बार मिट्टी डालते वक़्त
“मिन्हा खलक ना कुम”
Meaning: “अल्लाह ने हमे इसी मिट्टी से पैदा किया”
दूसरी बार मिट्टी डालते वक़्त
“व फिहा नोइदोकुम”
Meaning: “और इसी मिट्टी में हम को जाना है”
तीसरी बार मिट्टी डालते वक़्त
“व मिन्हा नुखरे जोकुम तरतुल उखरा”
Meaning: “और इसी मिट्टी से उठा कब्र कोऔर इसी से क़यामत के दिन तम्हे दुबारा निकाल कर खड़ा करेंगे”
जनाज़ा की नमाज़ कौन पढ़ा सकता है
Janaze ki Namaz को पढ़ाने का हक बादशाह ए इस्लाम को है उसके बाद शहर की काजी को है फिर इमामे जुमा को उसके बाद मोहल्ले की मस्जिद के इमाम को या फिर वली को वली से मुराद मैयत के घरवाले या कोई करीबी रश्तेदारों में से कोई अगर बेटा आलिम ए दीन है या हाफिज है तो बेटा जनाजा पढ़ाएगा बच्चों को नमाजे जनाजा की विलायत नहीं है।
Janaza Related Questions (FAQs)
क्या मय्यत को बिना वजू कन्धा दे सकते है?
हाँ बिलकुल, बिना वजू के भी मय्यत यानि जनाज़े को कन्धा दे सकते है और बाद में वजू करे ये हदीसो में आया है.
क्या जनाज़े को गाड़ी Bus में कब्रस्तान ले जा सकते है?
जी बिलकुल, मय्यत को गाड़ी में रख कर कब्रिस्तान ले जाया जा सकता है. लेकिन अफज़ल व आला तरीका है की मय्यत को पैदल और धीरे धीरे कब्रिस्तान की ले कर जाया जाए.
क्या शोहर अपने बीवी की जनाज़े को कन्धा दे सकता है?
हाँ बिलकुल, शोहर अपने बीवी की जनाज़े को कन्धा दे सकता है मय्यत को कब्र के अन्दर में उतार सकता है और मुंह भी देख सकता है लेकिन
जनाज़ा की नमाज़ में कितनी चीजें फ़र्ज़ है?
Janaze ki Namaz में 2 चीज़े फ़र्ज़ है और अगर फ़र्ज़ छूट जाए तो नमाज़ जनाज़ा या कोई अमल नहीं होता। पहली फ़र्ज़ चार बार तकबीर कहना (चार मर्तबा अल्लाह हुअक्बर कहना) और दूसरी फ़र्ज़ क़याम करना यानि नमाज़ ए जनाज़ा को खड़े होकर पढ़ना।
आखिरी बात जाने
मुझे उम्मीद है की आपको Janaze ki Namaz और Janaze ki Dua बहुत पसंद आया होगा जिसमे सबसे पहले आपने सिखा की नियत कैसे करते है क्युकी जनाज़े में नियत बहुत ही अहम होता है.
इसके बाद जनाज़ा की नमाज़ पढ़ने का तरीका को सिखा फिर जाना की कब्र में मिटटी और मय्यत को कब्र में डालने वक़्त की दुआ.
इसी के साथ बहुत कुछ सिखा है अगर कोई ऐसा सवाल है जो इस पोस्ट में नहीं है तो आप निचे कमेंट में पूछे इससे बहुत लोगो को जानकारी मिल जाएगी.
जनाज़े की दुआ हिंदी मे शुरु मे गलत लिखा हुआ है उसको सही करे *शाहिदिना* रहेगा
Thank you update kar diya ab sahi hai
नियत की मैंने जनाज़ा की नमाज़ की 4 तकबिरो के साथ वास्ते अल्लाह ता’अला के दुआ इस मय्यत के लिए पीछे इस इमाम के मुंह मेरा काबा शरीफ की तरह अल्लाहु अकबर
Ye niyat muktadi ki hai to
Janaje ki namaz me emam ki niyat kya hogi.