अस्सलामु अलैकुम नाज़रीन, आज Janaze ki Dua बताने जा रहा हूँ। जिसे हमेशा आप लोग गूगल और यूतुब पर सर्च करते रहते है।
काफी लोग यह दुआ भूल जाते है क्युकी जाहिर सी बात इसे रोज़ रोज़ पढ़ना तो होता नहीं है। ये दुआ महीने में या कभी साल में पढ़ना होता है। इसीलिए बहुत लोग इसे भूल जाते है।
आज एक तरीका बताने जा रहा हूँ जिससे आप कभी भी इस दुआ को नहीं भूल पाएगे। आप इस पेज को अपने मोबाइल फ़ोन में बुकमार्क कर ले।
बुकमार्क करने से ये होगा की जब भी इस दुआ का जरुरत पड़ेगा। बस इस पेज को ओपन करना है, और फिर याद कर लेना है।
दोस्तों मै यह मान के चल रहा हूँ की आप सभी हजरात को जनाज़े की नमाज़ का तरीका पढ़ना आता होगा। अगर नहीं आता है तो सबसे पहले इस नमाज़ को सीखे फिर इस दुआ को सीखे।
Janaze ki Namaz ki Dua
बचपन से अभी तक आप सभी ने बहुत सारे जनाज़ा की नमाज़ पढें होंगे, इसी तरह कब्र पर मिटटी देने की दुआ जरुर पढ़े होंगे।
लेकिन कुछ लोग ऐसे भी है जीनहे जनाज़े की दुआ मालूम ही नहीं होगा. इसीलिए आज आप सभी हजरात के लिए हमने यहां पर मशहूर जबान में लिखा जिसे आप अपने मन पसन्द भाषा में आसानी से पढ़ सकें।
Janaza ki Dua एक नहीं है बल्कि तिन है और तीनो अलग अलग मौके पर पढ़ा जाता है।
Balig ke Liye Janaze ki Dua

नाज़रीन सबसे पहले जान लेते है की यह दुआ उस वक़्त पढ़ते है जब जनाज़ा या मय्यत बालिग मर्द या औरत का हो।
इसीलिए आप पर जरुरी है की किसी भी जनाज़े में जाए तो पहले मालूम करे की बालिग की है या नाबालिग फिर ये मालूम करे की मर्द की या औरत की।
اللهُـمِّ اغْفِـرْ لِحَيِّـنا وَمَيِّتِـنا وَشـاهِدِنا ، وَغائِبِـنا ، وَصَغيـرِنا وَكَبيـرِنا ، وَذَكَـرِنا وَأُنْثـانا . اللهُـمِّ مَنْ أَحْيَيْـتَهُ مِنّا فَأَحْيِـهِ عَلى الإِسْلام ،وَمَنْ تَوَفَّـيْتََهُ مِنّا فَتَوَفَّـهُ عَلى الإِيـمان
अल्लाहुम्मग़ फ़िर लि हय्यिना वमय्यितिना वशाहिदिना वग़ाइबिना व सग़ीरिना व कबीरिना व ज़करि ना वउन्साना। अल्लाहुम्म मन अहययतहू मिन्ना फ़ अहयिही अलल इस्लाम, वमन् तवफ़्फ़ै तहू मिन्ना फ़ तवफ़्फ़हू अलल ईमान
तर्जुमा :- इलाही! बख़्श दे हमारे हर जि़न्दा को और हमारे हर फ़ौत शुदा को और हमारे हर ह़ाजि़र को और हमारे हर ग़ाइब को और हमारे हर छोटे को और हमारे हर बड़े को और हमारे हर मर्द को और हमारी हर औरत को। इलाही! तू हम में से जिस को जि़न्दा रखे तो उस को इस्लाम पर जि़न्दा रख और हम में से जिस को मौत दे तो उस को ईमान पर मौत दे। (अल मुस्तदरक लिलहाकिम हदीस 1366)
Allaahum-maghfir lihayyinaa, wa mayyitinaa, wa shaahidinaa, wa ghaa’ibinaa, wa sagheerinaa wa kabeerinaa, wa thakarinaa wa ‘unthaanaa. Allaahumma man ‘ahyaytahu minnaa fa’ahyihi ‘alal-‘Islaami, wa man tawaffaytahu minnaa fatawaffahu ‘alal-‘eemaani
यह Janaje ki Dua उसी मय्यत में पढ़े जो मय्यत बालिग हो यानि इस्लाम में जिस सख्स बालिग कहा जाए।
Nabalig Ladke ki Janaza ki Dua
यह दुआ उस वक़्त पढ़े जब जनाज़ा यानि मय्यत ना-बालिग बच्चे / लड़के का हो यानि जिसे इस्लाम ने ना-बालिग बताया हो।
اَللّهُمَّ اجْعَلْهُ لَنَا فَرَطًا وَّاجْعَلْهُ لَنَا اَجْرًا وَّ ذُخْرًا وَّ اجْعَلْهُ لَنَا شَافِعًا وَّ مُشَفَّعًاؕ
अल्लाहुम्मज अल्हु लना फ़रतंव्वज अल्हु लना अजरंव्व ज़ुख़-रंव्वज अल्हु लना शाफ़िअतंव मुशफ़्फ़आ
तर्जुमा:- इलाही! इस (लड़के) को हमारे लिये आगे पहुंच कर सामान करने वाला बना दे और इस को हमारे लिये अज्र (का मूजिब) और वक़्त पर काम आने वाला बना दे और इस को हमारी सिफ़ारिश करने वाला बना दे और वो जिस की सिफ़ारिश मन्ज़ूर हो जाए।
Nabalig Ladki ke Janaze ki Dua
यह दुआ उस वक़्त पढ़े जब जनाज़ा यानि मय्यत ना-बालिग बच्ची / लड़की का हो. इस्लाम में ना-बालिग और बालिग होने की उमर होती है।
अगर आपको मालूम नहीं है की ना-बालिग और बालिग की उमर कितनी होती है और क्या शर्त है तो सबसे पहले इसकी जानकारी लेना चाहिए।
اَللّٰهُمَّ اجْعَلْهَا لَنَا فَرَطًا وَّاجْعَلْهَا لَنَا اَجْرًا وَّذُخْرًا وَّاجْعَلْهَا لَنَا شَافِعَةً وَّمُشَفَّعَةً
अल्लाहुम्मा ज अल्हा लना फरतौं वज अल्हा लना अजरौं वा जुखरौं वजअलहा लना शाफिअतौं वा मुशफ़्फ़ा आ।
तर्जुमा :- ऐ अल्लाह! तू उस बच्ची को हमारे लिए पहले से जाकर इतिजाम करने वाली बना और उसको हमारे लिए अजर और ज़ख़ीरा और शिफारिश करने वाली और शिफारिश मंज़ूर की हुए बना।
अगर किसी को ऊपर दिए गए तीनो Janaze ki Dua याद नहीं है तो याद करे लेकिन याद नहीं हो रहा है तो ये दुआ पढ़े:
अल्लाहुम्मग़ फिरली मुअ’मिनिना वल मुअ मिनात
आखिरी बात
नाज़रीन आप ने इस पोस्ट में बहुत ही रहमत व बरकत भरी दुआ यानी Janaze ki Dua बहुत ही आसान लफ्ज़ों में सीखा हमने यहां पर Namaz e Janaza ki Dua को तीनों मशहूर जबान में लिखा जिसे आप अपने मन पसन्द भाषा में आसानी से पढ़ सकें।
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अगर अभी भी आपके जहन में शब ए क़द्र की दुआ से जुड़ी कोई सवाल या डाउट हो तो आप हमसे कॉमेंट करके ज़रूर पूछें।
मेरा नाम मेराज अहमद है और मैं एक फ्रीलांस लेखक और ब्लॉगर हूं। मैंने अपनी शिक्षा दीनी मदरसों में पूरी की है। मुझे धार्मिक विषयों पर लिखना बहुत पसंद है और अपने लेखों के ज़रिए मैं लोगों तक सही इस्लामिक संदेश पहुंचाने की कोशिश करता हूं। मुझे लोगों को ज्ञान देना बहुत पसंद है।