अगर आप पाक व साफ़ होने के लिए Gusal Karne ka Tarika सीखना चाहते है तो बिलकुल सही जगह पर आ गए है क्युकी यहाँ पर गुस्ल के हवाले से सभी सवालो का जवाब मिलेगा।
गूगल और youtube पर बहुत सारे लोग Gusal ka Tarika सिखा रहे है लेकिन बहुत कम ही लोग है जो पूरी जानकारी बता रहे है उसी तरह कुछ ऐसे भी लोग है जो गलत जानकारी दे रहे है।
इसीलिए हमारी कोशिश रहती है की इस्लाम की जितनी भी तौर तरीके है उन सभी को कुरान व हदीस की रौशनी में बताने का क्युकी कुछ ऐसे भी तरीके को मानने लगते है जो गलत होता है।
समाज में गुस्ल यानि नहाने के हवाले से कुछ गलग तरीका को भी हम लोग सही मान कर करते रहे जैसे नहाने के समय कुछ दुआ पढ़ना जो की गलत है इसी तरह कुछ तरीका है।
दोस्तों आप सभी से गुजारिश है की अगर आपके पास 10 मिनट से ज्यादा समय है तो इस पोस्ट को पढ़ना शुरू करे क्युकी आधा जानकारी से कुछ नहीं होता है या इस पोस्ट को बुकमार्क कर ले और जब वक़्त मिले तो डायरेक्ट ओपन करके पढ़ने लगे।
गुसल क्या है?
गुस्ल एक अरबिक लफ्ज़ है जिसका मतलब पुरे बदन को नहलाना लेकिन ये पूरी तरह से सच नहीं है क्युकी आजकल जिस तरीका से हम लोग गुस्ल (नहा) कर रहे है उस तरह से सिर्फ जिस्म साफ़ हो सकता है लेकिन पाक नहीं हो सकता।
गुस्ल का मतलब ये है की जब मुस्लमान मर्द या औरत नापाक हो जाता है और जब पाक होने के लिए इस्लामिक तरीके से नहाता है तो उसे गुस्ल कहते है।
ग़ुस्ल कब जरूरी है?
गुस्ल वाजिब होने के लिए कुछ चीज़े है इसके बाद घुसल वाजिब हो जाता है यानि निचे कुछ चीज़े बताया जा रहा है जिनके करने या हो जाने पर आप नापाक हो जाते है और पाक होने के लिए गुस्ल जरुरी हो जाता है।
मनी (Sperm) निकलने से:- किसी भी वजह से जब मर्द या औरत के शर्मगाह से मनी (Sperm) निकल जाने से गुस्ल वाजिब हो जाता है चाहे nightfall होने से (सोने की हालत में) या खुद से निकलने पे।
हैज़ के बाद:- जब औरत अपने पीरियड से फ़ारिग़ हो जाए यानि खून निकल जाने से उसपर ग़ुस्ल वाजिब हो जाता है।
हमबिस्तरी के बाद:- जब मिया बीबी आपस में सेक्स करते है जब मर्द की शर्मगाह की कुछ हिस्सा औरत के अन्दर चला जाए चाहे मनी निकलने या निकलने तभी गुस्ल वाजिब हो जाता है।
इसके अलावा आप किसी से भी सेक्स करते है क्युकी आज कल के दौर बहुत गलत फितना फ़ैल गया है तो मनी निकलने या नहीं सेक्स करने से गुसल वाजिब हो जाता है।
निफ़ास के खत्म होने के बाद:- बच्चा पैदा होने के बाद औरत को जितने दिन ब्लीडिंग होता है उसे निफ़ास कहते है।
निफ़ास की कम से कम time के बारे कुछ कहना मुश्किल है, क्युकी हो सकता है की किसी औरत को बच्चा पैदा हो और ब्लीडिंग बिलकुल भी न हो, लेकिन उसका time ज्यादा से ज़्यादा 40 दिन होता है फिर उसके बाद औरत के लिए ग़ुस्ल करके नमाज़ पढ़ना ज़रूरी है।
इसके अलावा कुछ चीज़े है जिसके हो जाने से गुस्ल वाजिब हो जाता है जैसे:
- इन्तेकाल हो जाने पर (मय्यत को गुसल देना)
- जिस लड़की का मासिक धर्म पूरा हो गया हो
- इस्लाम कबूल करने के बाद
Ghusal ke Faraiz Kitni Hoti Hai
दोस्तों गुस्ल के फराएज जानना सभी मुस्लमान के लिए जरुरी है क्युकी इसके बिना आपकी गुसल दुरुस्त नहीं होगा और अगर कोई शख्स नापाक है और Ghusal ke Faraiz को सही से नहीं करता है तो सिर्फ नहा लेने से पाक नहीं हो सकते।
जब किसी शख्स के लिए गुस्ल जरुरी हो जाता है और वह गुस्ल के फराएज को सही से नहीं करता है तो सिर्फ उसका बदन साफ़ और गन्दी से निजात मिल जायेगा लेकिन नापाकी से नहीं।
गुस्ल में 3 चीज़े फ़र्ज़ होते है:
- कुल्ली करना
- नाक में पानी डालना
- पुरे बदन पर पानी बहाना
अगर किसी शख्स में इन तीनो चीजों में से अगर एक भी फ़र्ज़ नहीं पाया जायेगा या बाल बराबर भी कुछ हिस्सा सुखा रह गया तो गुस्ल दुरुस्त नहीं होगा।
Gusal Karne ka Tarika
दोस्तों चलिए अब सीखते है Gusal karne ka Tarika क्या है? जो इस्लामिक तरीके से किया जाता है लेकिन धयान से आप किसी भी तरीके से नहा सकते है लेकिन पाक नहीं हो सकते है।
पाक होने के लिए इस्लामिक तरीके से ही Ghusal ka Tarika सीखना होगा जो आप सभी यहाँ पर सिखने के लिए आए हो।
इस्तिन्जा करे:- गुस्ल करने से पहले पेशाब कर लेना चाहिए अगर जरुरत नहीं है तो कोई हर्ज़ नहीं इसके बाद नियत करे।
Ghusl ki Niyat:- जिस तरह से कोई भी काम करने से पहले उस काम की नियत करते है उसी तरह जब गुस्ल करने लगते है तो Gusal ki Niyat करते है।
गुस्ल की नियत करने के लिए सिर्फ आपको “या अल्लाह गुस्ल कर रहा हूँ पाक व साफ़ होने लिए” बस इतना ही दिल में नियत करे या जुबान भी से कर सकते है।
हाथ गट्टों तक धोना:- जिस तरह से वजू में गट्टों तक हाथ को धोते है उसी तरह गुस्ल में नियत करने के बाद तिन बार गट्टों तक धोना है।
इस्तन्जे की जगह धोना:- शर्मगाह की जगह यानि इस्तिंजा की जगह पर खूब अच्छी तरह से धोए चाहे नजासत लगी हो या नहीं।
बदन का गन्दी साफ़ करे:- शर्मगाह की जगह धोने के बाद बदन पर जहाँ गन्दी लगी हो वहां पर अच्छी तरह से धोए और अगर नजासत नहीं लगी है तो इसके बाद वुजू करे।
वुजू करना:- जिस तरह से नमाज़ से पहले वजू करते है उसी तरह से यहाँ पर भी वजू लेकिन जब पाँव न धोए और आगे किसी ऊँची जगह पर बैठ कर नहा रहे है तो पाँव भी धो सकते है।
पुरे बदन पर पानी मलना:- वजू के बाद पुरे बदन पर पानी मले यानि जिस तरह से जब हम अपने बदन पर तेल को मलते है उसी तरह जब गुस्ल करने लगे तो तेल की तरह पानी मले लेकिन ये तरीका सर्दियों में जरुर करे।
दाहिने और बाये कंधे पर पानी बहाना:- बदन पर पानी मलने के बाद तिन मर्तबा दाये कंधे और तिन मर्तबा बाये कंधे पर खूब अच्छी तरह से पानी बहाए।
पुरे शारीर पर पानी बहाए:- कंधे पर तिन बार पानी डालने के बाद सर और पुरे बदन (Body) पर तिन बार पानी बहाए. इसके बाद खूब बदन पर हाथ मेल और मैइल वगैरह साफ़ करे या साबुन लगे फिर अच्छी तरह से पानी के सहारे गन्दी और साबुन को साफ़ करे।
पाँव धोना:- आखिर में जब आपकी नहाना पूरा हो गया है तो पाँव धो ले लेकिन वुजू करते वक़्त पाँव धो लिए थे तो अब कोई जरुरी नहीं है पाँव धोने के लिए।
इस तरह से जो इस तरीका को समझ कर नहाता है तो उसकी Gusal karne ka Tarika पूरा हो जायेगा इस तरह से नापाकी से पाकी हासिल किया जा सकता है।
इसके बाद ज्यादा सवाब लेना चाहते है तो गुस्ल की सुन्नत और मुसतहब को करे जो निचे बताया गया है।
Ghusl ki Sunnat kya Hai
Ghusl ki Sunnat एक अमल है जो गुसल करते वक़्त करते है यानि जो हम लोग नहाने के वक़्त जो कुछ चीज़े करते है उसी चीजों को सुन्नत तरीके से करने से उसको गुसल की सुन्नत कहते है।
गुस्ल की 13 सुन्नते है जो कुछ इस प्रकार है:
- नियत करना
- बिस्मिल्लाहिर रहमानिर रहीम पढ़ना
- दोनों हाथ गुट्टटो तक धोना
- शर्मगाह की जगह धोना
- वुजू करना
- बदन पर पानी डालना
- क़िबला की तरफ मुंह होना
- बदन पर अच्छी तरह से पानी मलना
- जहाँ कोई ना देखे वहाँ पर गुसल करे
- पानी कम या ज्यादा इस्तेमाल न करे
- बैठ कर नहाना
- नहाते वक़्त बात ना करना
- गुसल के वक़्त दुआ ना पढ़ना
Ghusl ke Mustahab Kya Hai
मुस्तहब उस काम को कहते है जिसको नबी सल्लल्लाहु अलैहे वसल्लम ने पाबन्दी से करने के लिए नहीं कहा है बलके इस काम को करने ज्यादा सवाब मिलेगा और अगर छोड़ देने से कोई गुनाह भी नहीं होगा।
Gusal ke Mustahab यानि जो तरीका ऊपर बताया गया है उसी में कुछ चीजों को धयान रखने और करने वाली काम को करने से मुस्तहब की सवाब पा सकते है।
गुस्ल की मुस्तहब कुछ यु है:
- जुबान से नियत करना जो ऊपर बताया गया है।
- गुस्ल के वक़्त क़िबला की तरफ मुंह ना करनाचाहे कपड़ा पहले हो या नहीं।
- ऐसी जगह पर नहाना जहाँ किसी की नज़र ना पड़े।
- अगर मर्द खुले में नहा रहा है तो नाफ और घुटने तक का जिस्म पर कोई कपड़ा या तहबन्द बांध कर नहाये जबकि औरत को खुले में नहाना सही नहीं है।
- गुस्ल करने समय न किसी से बात करना और नहीं कोई दुआ पढ़े।
- नहाने के बाद तौलिया या रुमाल से बदन को पोंछना।
- जो ऊपर तरीका बताया गया है उस पर तरतीब से पानी बहाना।
क्या सच में गुस्ल की दुआ होती है?
दोस्तों Ghusl ki Dua के मुताल्लिक हमारे समझ में बहुत सारे गलत चीजों फैला दिया गया है लेकिन अफ़सोस हमारे नौजवान भी इस अमल को दीन की बाते समझ कर बड़े सौक से करते है।
इसी तरह बहुत सारे लोग गूगल और youtube पर जानकारी बता रहे है जो बिलकुल गलत है क्युकी नबी मुस्तफा सल्लल्लाहु अलैहे वसल्लम ने गुस्ल के हवाले से कोई भी दुआ सिखाया ही नहीं है।
आप से गुजारिश है की इस तरह का विडियो से बचे जो हदीस से साबित नहीं है फिर भी बता रहे है।
Gusal Karne ka Tarika Related Question (FAQs)
ग़ुस्ल करते वक्त क्या पढ़ना चाहिए?
गुस्ल करते वक़्त सिर्फ बिस्मिल्लाह पढ़ना है इसके अलावा किसी भी तरह का न दुआ पढ़ना है और नहीं कोई दरूद शरीफ पढ़ना है क्युकी गुस्ल के वक़्त किसी भी तरह का दुआ कुरान व हदीस से साबित नहीं है।
ग़ुस्ल में कौन सी दुआ पढ़ी जाती है?
गुस्ल में किसी भी तरह का दुआ नहीं पढ़ा जाता है और जो अपने मन से दुआ बता रहा है वह गलत है।
ग़ुस्ल के कितने फ़र्ज़ होते हैं?
गुस्ल में तिन चीज़े फ़र्ज़ है पहला कुल्ली करना दूसरा नाक में पानी डालना और तीसरा पुरे बदन पर पानी डालना।
गुसल और वजू में कितने फर्ज है?
गुस्ल में तिन चीज़े फ़र्ज़ है और वजू में 4 चीज़े फ़र्ज़ है जिसको नहीं करने पर नहीं गुस्ल दुरुस्त होगा और नहीं वजू दुरुस्त होगा।
गुसल में कितनी सुन्नत होती है?
गुस्ल में 13 चीज़े यानि अमल सुन्नत है जिसको करने से करने वाले पर अल्लाह सुबान व ता’अला नेमत से नवाजते है।
बिना ग़ुस्ल के नमाज़ पढ़ने से क्या होता है?
गुस्ल नापाकी से पाकी हासिल करने के लिए करते है क्युकी हम सब को मालूम है नापाकी की हालत में नमाज़ नहीं पढ़ सकते है क्युकी ये गलत है और जानबूझ कर करने से गुनाह का हक़दार होगा।
क्या गुस्ल के बाद वुजू की जरुरत होती है?
गुस्ल के बाद वुजू की जरुरत नहीं होती लेकिन गुस्ल करते वक़्त वजू किया गया हो तब लेकिन गुस्ल के वक़्त वजू नहीं किया है तब गुस्ल के बाद वजू करना जरुरी है।
क्या गुसलखाना में पेशाब कर सकते है?
कर सकते है लेकिन इसके लिए गुसलखाना में जहाँ पर पेशाब कर रहे है उसी जगह गुस्ल करना नहीं चाहिए लेकिन उससे कुछ हट कर गुस्ल कर सकते है।
बिना कपड़े नंगे गुस्ल करना कैसा है?
बिना कपड़े नंगे गुस्ल कर सकते है लेकिन इसके वहां पर नहाया जाए जहाँ पर कोई न देखे लेकिन बेहतर ये है की नाफ और घुटना तक कुछ कपड़ा पहन ले।
गुसल किन चीजों से टूट जाता है
जिस चीज़ को करने या हो जाने से कुछ वाजिब हो जाता है उसी चीज़े को करने से भी गुसल टूट जाता है।
Gusal karne ka Tarika: आज क्या सीखा
दोस्तों आज की पोस्ट में Gusal karne ka Tarika सिखा जिसमे शुरू से आखिर तक जितने भी इसके मुताल्लिक सवाल हो सकते है उन सभी को जवाब देने की कोशिश किया गया है इशाल्लाह आप सभी को पसंद आया होगा।
इसके बाद गुस्ल के दुआ से मुताल्लिक कुछ गलत्फेमिया समाज में फैला हुआ है उस पर बात किया गया है की दुआ है या नहीं है।
इसके अलावा इस पोस्ट में कुछ गलत है या कुछ चीज़े इसमें होना चाहिए जिससे और लोगो को फायदा होगा तो निचे कमेंट जरुर करे।
और इसी तरह का इस्लामिक जानकारी सीखना चाहते है तो हमारे वेबसाइट को अपने सोशल मीडिया पर जरुर शेयर करे।
गुसल में कितने फर्ज है
पहला तो आपने लिख दिया कुंली करना और दूसरा भी आपने लिख दिया कुल्ली करना जबकि दूसरा आएगा नाक में पानी चढ़ाना है इसको आप सही करें
शुकुरिया बताने के लिए अब देखे अपडेट कर दिए
शुक्रिया कुछ संदेह थे ओ क्लीयर हुए। औरत और मर्द के लिए गुस्ल का एकही तरीका है या अलग अलग? ए बताएगा।