Ghusl ki Sunnat | गुस्ल की 13 सुन्नते सीखें

Ghusl ki Sunnat Kitni Hai

गुसल करते वक़्त Ghusl ki Sunnat करने से ज्यादा सवाब मिलता है जिसके लिए यहाँ पर आप सभी सिखने के लिए आये हो।

आगे पढ़ने से पहले आप सभी को बताना चाहूँगा की Ghusal ka Tarika सीखना बहुत जरुरी है क्युकी इसके सीखे बिना इसकी सुन्नत का कोई फायदा नहीं होगा।

अगर कोई शख्स को गुसल का तरीका और इसके फारइज मालूम है बस इतने से गुसल कबूल हो जाएगी लेकिन इसके अलावा ज्यादा सवाब चाहिए तो Gushal ki Sunnat सीखना चाहिए।

Ghusl ki Sunnat Kya Hai

Ghusl ki Sunnat एक अमल है जो गुसल करते वक़्त करते है यानि जो हम लोग नहाने के वक़्त जो कुछ चीज़े करते है उसी चीजों को सुन्नत तरीके से करने से उसको गुसल की सुन्नत कहते है।

जैसा की आप सभी लोगो को मालूम होगा की पिछले कई सारे पोस्ट में बताया हूँ की इस्लाम में बहुत ऐसे काम होते है जिसका फ़र्ज़, सुन्नत, मुस्तहब जैसे अरकान होते है उसी तरह Ghusl ki Sunnat होते है।

Ghusl ki Sunnat Kitni Hai

शरियत के अनुसार गुसल की 13 सुन्नत होती है जो काफी आसान और सलुहत वाली होती है लेकिन ये बहुत से लोगो में गलत धारणा है की इस्लाम के तरीके से गुसल करना बहुत मुश्किल है।

ये रहे 13 सुन्नत तरीका जिसके हिस्साब से गुस्ल करने पर बहुत ज्यादा सवाब मिलता है।

  1. नियत करना
  2. बिस्मिल्लाह पढ़ना
  3. दोनों हाथ गुट्टटो तक धोना
  4. शर्मगाह की जगह धोना
  5. वुजू करना
  6. बदन पर पानी डालना
  7. क़िबला की तरफ मुंह होना
  8. बदन पर अच्छी तरह से पानी मलना
  9. जहाँ कोई ना देखे वहाँ पर गुसल करे
  10. पानी कम या ज्यादा इस्तेमाल न करे
  11. बैठ कर नहाना
  12. नहाते वक़्त बात ना करना
  13. गुसल के वक़्त दुआ ना पढ़ना

यहाँ पर 13 सुन्नते तफसील से बताने जा रहा हूँ जिसको नहाते वक़्त करना चाहिए जो काफी असान है जिसको सभी लोग आसानी के साथ कर सकते है तो चलिए तफसील के साथ सीखते है।

नियत करना:- जब कोई भी काम शुरू करते है तो सबसे पहले उस काम की नियत करते है उसी तरह जब गुसल करने जाए तो पहले नियत करे जो कुछ यु कह सकते है “ए अल्लाह सुबान व ता’अला मै पाक व साफ़ होने के लिए गुसल कर रहा हूँ”।

बिस्मिल्लाह पढ़ना:- गुसुल शुरू करने से पहले यानि नियत करने के बाद तुरंत बिस्मिल्लाहिर रहमानिर रहीम पढ़े।

दोनों हाथ गुट्टटो तक धोना:- जिस तरह से वजू में तिन बार दोनों हाथ गत्तो धोना उसी तरह गुसल के समय धोना।

शर्मगाह की जगह धोना:- गुसल करते वक़्त शर्मगाह को गुसल से पहले धोना चाहे उस पर निजासत हो या ना हो जिससे वहां पर गंदगी साफ़ हो जाती है।

वुजू करना:- जहाँ पर पाकी की बात होती है तो वहां पर वजू सबसे पहले आता है इसीलिए नहाने यानि गुसल से पहले वुजू करे जो एक सुन्नत है लेकिन वजू नहीं करने पर भी गुसल हो जाती है।

बदन पर पानी डालना:- नहाने से पहले ऊपर जो बताया गया है उन सभी को करने के बाद अपने पुरे बदन सर से पांव तक तिन बार पानी बहाए। जिस तरह से वजू में हर काम को तिन बार करते है उसी तरह यहाँ पर भी तिन बार करे।

क़िबला की तरफ मुंह होना:- जब आप गुसल करने गुसलखाना यानि नहाने वाली जगह पर तो कोशिश करे की किबला रुख खड़े होकर गुसल करे लेकिन जब नंगा गुसल कर रहे है तो फिर क़िबला की तरफ मुंह न करे।

बदन पर अच्छी तरह से पानी मलना:- तमाम बदन पर पानी मल लेना ताकि हर जगह पानी अच्छी तरह पहुँच जाए यहाँ पर आप साबुन या सैम्पू का भी इस्तेमाल करे।

जहाँ कोई ना देखे वहाँ पर गुसल करे:- गुसलखाना उसको कहते है जहाँ पर नहाया जाता है वह कोई भी जगह हो सकता है लेकिन गुसल उस जगह पर किया जाए जहाँ पर कोई ना देखे।

अगर आप औरत है तो बाहर यानि सभी के नजरो के सामने नहाना जायज़ नहीं है लेकिन मर्द हज़रात खुले में नहा सकता है लेकिन शर्त ये है की नाफ से लेकर घुटने तक का हिस्सा ढका होना चाहिए।

पानी कम या ज्यादा इस्तेमाल न करे:- गुसल करने के लिए पानी न ज्यादा इस्तेमाल करे और नहीं कम इस्तेमाल करे लेकिन ध्यान ये रहे की आप को कितने पानी का आवश्यकता है उतना ही पानी यूज़ करे।

बैठ कर नहाना:- गुसल करते वक़्त औरत को बैठ कर नहाने का हुक्म है और मर्दों के लिए कोई हुक्म नहीं है।

नहाते वक़्त बात ना करना:- ये बात इस्लाम में बहुत से जगह पर लागु होता है चाहे वजू कर रहे है या खाना खा रहे है तो उस वक़्त बात करना मना किया गया है उसी तरह गुसल के वक़्त कोई बात करना मना है।

गुसल के वक़्त दुआ ना पढ़ना:– एक गलत्फेमियां पुराने ज़माने से चलता हुआ आ रहा है की नहाते वक़्त कलमा तैयब पढ़ना चाहिए लेकिन ये बिलकुल गलत है क्युकी गुसल के वक़्त किसी भी तरह का दुआ या कुरान का कोई भी आयत पढ़ने का हुक्म नहीं है।

इसका कारण बहुत आसान है जब कोई शख्स नहाने के लिए सर पर पानी डालता है तो उस वक़्त मुंह से जब कुरान की कोई लफ्ज़ बोलता है तो वह गलग बोलता है और कुरान की कोई भी आयात को जानबूझ कर बोलना गुनाह है।

Gusul ki Sunnat की तरह Ghusl ke Faraiz होते है लेकिन यहाँ पर धयान देने वाली बात ये है की गुसुल की सुन्नत छुट जाने पर गुस्ल हो जाएगी लेकिन फ़र्ज़ छुट जाने पर नहीं।

आज क्या सीखा

दोस्तों ये रही Ghusl ki Sunnat जिसको अच्छी तरह से करने पर पाक और साफ़ के साथ इस सुन्नत के तरीका से करने का बहुत ज्यादा सवाब मिलता है।

इस पोस्ट में 13 गुस्ल की सुन्नत बताया गया है जो हदीसो से साबित है इसमें कही भी किसी किस्म की गलती है या कुछ और जानकारी होना चाहिए तो निचे कमेंट जरुर करे।

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