Ghusl ki Dua | ग़ुस्ल की दुआ हिंदी में

Ghusl ki Dua sikhe

अगर आप Ghusl ki Dua सिखने के लिए आये है तो बिलकुल सही जगह पर आये है क्युकी यहाँ पर जो जानकारी आज दिया जायेगा तो हदस से साबित होगा।

बहुत सारे लोग इमाम से या गूगल youtube वगैरह में सर्च करते है की Ghusl karne ki Dua क्या है? इसके अलावा Gusal karne ka Tarika भी सर्च करते रहते है तो आज इन्शाल्ल्लाह यहाँ पर पूरी जानकारी मिल जाएगी।

जो सख्स नापाक हो जाता है तो पाकी हासिल करने के लिए गुसल करता है क्युकी नापाकी की हालत में इबादत करना से इबादत कुबूल नहीं होती है।

कुरान और हदीस में Ghusl ki Dua नहीं है चाहे किसी भी तरह का नापाकी से पाक होने के लिए गुसल करे। कुछ लोग गुसल की दुआ बता रहे है लेकिन इस्लामिक शरियत से इस तरह का कोई भी दुआ नहीं है।

Ghusl ki Dua

गुसल की दुआ सिखने में चाहे हमबिस्तरी के बाद की गुसल हो या हैज़ से पाकी के बाद की गुसल हो या बच्चा पैदा होने के बाद यानि निफास के बाद की गुसल हो या सेक्स करने के बाद की गुसल हो सभी में यही एक दुआ पढ़ा जाता है।

इन सभी की गुसल के पहले या बाद में दुआ का हदीसो में क्या हुक्म है अल्लाह के नबी सल्लल्लाहु अलिहे वसल्लम फरमाते है की दीन के मामले में अगर कोई बात कहता है या कोई बताता है और सरियात में उसकी कोई बुनियाद नहीं है कोई सबूत नहीं है तो फिर उसकी बात रद खारिज कर दिया जायेगा ये हदीस बुखारी में है।

अब इसका खुलासा क्या है मै आपको बताना चाहता हूँ की अल्लाह के रसूल सल्लल्लाहु अलैहे वसल्लम ने हमें अज़ान के बाद की दुआ बताई, नमाज़ की दुआ बताई है, Wazu ki Dua बताई है और खाने की दुआ बताई है इसी तरह बहुत सारे दुआ बताई है।

लेकिन अल्लाह के रसूल सल्लल्लाहु अलिहे वसल्लम ने कभी भी Ghusl Karne ki Dua या Gusal ke Baad ki Dua नहीं सिखाया है इससे क्या पता चलता है यानि इससे ये पता चला की नहाने से पहले चाहे वह किसी भी तरह का नहाना हो या किसी भी तरह का गुसल हो उससे पहले या बाद की दुआ साबित नहीं है।

मगर अफ़सोस आज के दौर में बहुत सारे लोग youtube पर कई तरह के दुआ बता रहे है कोई कहता है दूसरा कलमा पढ़े या कोई कहता है तीसरा कलमा पढ़े वगैरह ये सब मनघरत है। इस्लाम से इसका कोई ताल्लुक नहीं है।

आज कल अपनी मर्जी से कोई बात दिल में आ गयी तो बस उसी को बयान करने लगते है और शरियत का हुक्म बताने लगते है की ये दुआ पढो वरना आपका गुसल सही नहीं होगा लेकिन ये सब बिदत है गलत है।

लेकिन अगर किसी को Ghusl ki Dua पढ़ना ही है तो वह सिर्फ घुसल की नियत करने के बाद दुआ की शकल में बिस्मिल्लाहिर रहमानिर रहीम पढ़े और गुसल की दरमियान वजू कर रहे है तो Wazu ke Baad ki Dua पढ़े।

इसके अलावा कोई ऐसी दुआ ही नहीं है जो गुस्ल के वक़्त पढ़ सकते है क्युकी अगर इस तरह का कोई भी दुआ होता तो मुहम्मद मुस्तफा सल्लल्लाहु अलैहे वसल्लम ने हम सब को जरुर बताते।

दोस्तों यहाँ पर आखिरी बात बता रहा हूँ की अगर कोई आपसे कहे की गुसल की दुआ होता है तो उससे हदीस की रोशिनी में पूछे की ये कहाँ पर लिखा हुआ है।

इसी तरह का इस्लामिक जानकारी सीखना चाहते है तो इस पोस्ट को अपने दोस्तों और फॅमिली के साथ सोशल मीडिया पर जरुर शेयर करे।


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