क्या Fajar ki Namaz पढ़ने का तरीका आपको मालूम है अगर नहीं तो ये आर्टिकल आपके लिए ही लिखा गया है.
फजर की नमाज़ को ही सुबह की नमाज़ कहते है जो बहुत ही अजमत वाली बरकत वाला होता है.
Fajr ki Namaz 4 रकात होती है जो पांचो वक्तो की नमाज़ में सबसे कम रकात होती है लेकिन इसके बहुत ज्यादा फ़ज़ीलत जो हम आगे पढेंगे.
आपको यह ब्लॉग क्यों पढ़ना चाहिए अगर आपको आसान भाषा में फज़र की नमाज़ का तरीका सीखना चाहते है जिसमे नियत, वक़्त, अज़ान सजदा, रुकू और इस नमाज़ से रिलेटेड बहुत सारे ऐसे प्रश्न जो आपके दिमाग में आता होगा.
जानते है step by step सुबह की नमाज़ कैसे पढ़ते है.
Fajar ki Namaz ka Time kya hai
फजर की नमाज़ का अज़ान एक वक़्त पर नहीं होता है बल्कि 12 महीने के अनुसार इसका वक़्त बदलता रहता है. अगर आप जानना चाहते है की आज का Fajr ki Namaz ka Azan ka Time क्या है तो इसके लिए आपके पास बहुत सारे आप्शन है.
पहला आप्शन: अगर आप मुस्लिम इलाका, मोहल्ला, गाँव में रहते है तो मस्जिद से 5 वक़्त का अज़ान होता ही है.
दूसरा आप्शन: आप सिंपल गूगल पर सर्च करे “Fajar Azan Time”, “Fajar Azan Time Today” तो आपको गूगल पर ही सामने देखने को मिल जायेगा.
तीसरा आप्शन: आज के तारीख में गूगल प्ले स्टोर पर बहुत सारे Muslim App आ गया है जिसको डाउनलोड करने पर आपको पांचो वक़्त का अज़ान का टाइम मालूम होता रहेगा. जैसे:- Muslim Pro, Athan Pro, Athan: Prayer Times & Al Quran ऐसे बहुत सारे एप्लीकेशन है.
Fajar ki Namaz ka Time अज़ान हो जाने के बाद से शुरू हो जाता है जिसमे अगर आप मस्जिद में जमात के साथ पढ़ना चाहते है तो अज़ान के 30 मिनट बाद फ़र्ज़ नमाज़ के लिए जमात खड़ीं होती है.
Fajar ki Namaz Padhne ka Tarika
फजर की नमाज़ का टाइम तो आपको मालूम चल गया लेकिन अभी तक आपको Fajar ki Namaz Padhne ka Tarika मालूम नहीं हुआ तो आपको चिंता करने की जरुरत नहीं अब जानते है की इसका तरीका क्या है.
सबसे पहले आपको इरादा करना है की मै फजर की नमाज़ पढ़ने जा रहा हूँ, फिर आप घर में या मस्जिद में जाने के बाद अच्छी तरह से वजू कर ले.
अगर आपको वजू करने का तरीका मालूम नहीं है तो इसे सीखना बहुत जरुरी है क्युकी बिना वजू के आपके कोई भी नमाज़ नहीं होती है.
मस्जिद जाने के बाद सबसे पहले 2 रकात सुन्नत नमाज़ अदा करना होता है आप चाहे तो घर पर भी इसे अदा कर सकते है.
इस नमाज़ को अदा करने के लिए सबसे पहले आपको नियत करना होगा.
फजर कि नमाज कि नियत कैसे करें
मैंने आपको ऊपर ही बताया हूँ की 2 रकात सुन्नत, और 2 रकात फ़र्ज़ होता है इसी लिए आपको 2 बार ही नियत करना होगा. अगर आपको Fajar ki Namaz ki Niyat अच्छी तरह से समझा चाहते है तो ये वाला लिंक पर क्लिक करके पढ़े.
Fajar ki Namaz ka tarika
Fajr ki Namaz ka Tarika में आपको फजर की टाइम, नियत मालूम हो गया है तो अब जानते है की पहले घर या मस्जिद पर सुन्नत की नमाज़ को अदा कैसे करे.
Fajar ki 2 Rakat Sunnat Namaz ka Tarika
फजर की 2 रकात सुन्नत पढ़ने का तरीका एक ही होता है जो बाकि नमाजो की होती है लेकिन इसमें नियत में थोडा अलग करना होगा है.
अगर आपको Fajar ki 2 Rakat Sunnat Namaz ka Tarika अच्छी तरह से समझना चाहते है तो मेरे इस ब्लॉग पर इसको अच्छी तरह से बताया हूँ आप उस ब्लॉग को पढ़े.
Fajar ki 2 Rakat Farz Namaz ka Tarika
हमेशा फ़र्ज़ नमाज़ दो तरीके से पढ़ा जाता है पहला घर पर या मस्जिद में लेकिन अकेला पढ़ा जाता है जैसे सुन्नत और नफिल नमाज़ अकेले पढ़ा जाता है.
और दूसरा इमाम के पीछे यानि जमात के साथ पढ़ना और जमात के साथ पढ़ने 70 गुना ज्यादा सवाब मिलता है.
इन दोनों तरीको से नमाज़ तो पढ़ा जा सकता है लेकिन तरीका थोडा अलग अलग होगा इसको पूरी डिटेल्स के साथ पढ़ना चाहते है तो निचे लिंक पर क्लिक करे:
इस्लामिक तरीके से 2 Rakat Farz Namaz Padhne ka Tarika सीखे.
Fajar ki Namaz ki Fazilat
- फजर की नमाज का वक्त बहुत खुबसूरत और इत्मिनान का होता है, जिसकी वजह से हम हमारे अल्लाह की रजा के लिए अच्छे से इबादत कर सकते हैं।
- फजर की नमाज के लिए मस्जिद पैदल जाओ – आप की बहुत सी खतरनाक बिमारीयों से महफूज रहेंगें.
- इस वक्त आपका दिमाग तेज काम करता है, जिसकी वजह से आप अपना काम और अच्छे से करते हैं।
- फजर के वक्त नमाज़ पढने से आपके घर में अल्लाह की रहमत और बरकत की बारीश होती है।
- Fajar ki Namaz ki Fazilat तो इतना है आपको बताने लगे तो यह पोस्ट बहुत ज्यदा बड़ा हो जायेगा।
Fajar ki Namaz Chorne ka Gunah
हदीस पाक में लिखा है की जो फज़र की नमाज़ जान बुझ कर छोड़ता है तो सैतान उसके मुंह में पेशाब करता है. ऐसा न हो की अल्लाह ता’अला में दिलो से ही इमाम को छीन ले इसिलए फजर की नमाज़ को हरगिज न छोड़े.
Fajar ki Namaz ke Baad Khwab Dekhna
यह वक़्त नोरानी फरिस्तो का वक़्त है यानि अल्लाह ताला इस वक़्त रहमत और बरकत की बारिश करना है, इसीलिए कहा गया है की रात की आखिरी हिस्से में देखा गया ख्वाब ज्यादा सच्चे होते है यानि आप इसको Fajar ki Namaz ke Baad Ya Pahle ki Khwab कह सकते है.
लेकिन इसका ये हरगिज मतलब नहीं है की वह ख्वाब वाकिये सच ही है मगर हाँ इसका वक़्त का ख्वाब सच होने के ज्यादा करीब है.
Fajar ki Namaz Related Questions (FAQs)

सुबह की नमाज कितनी रकात होती है?
सुबह की नमाज़ यानि फजर की नमाज़ 4 रकात की होती है सबसे पहले 2 रकात सुन्नत पढ़ी जाती है फिर 2 रकात फ़र्ज़ पढ़ा जाता है जो अकेले या इमाम के पीछे पढ़ सकते है.
फजर की नमाज पढ़ने से क्या होता है?
फजर की नमाज़ पढ़ने के से आपके इमान में इजाफा होता है आपके दुआ जल्दी कबूल होती है और आप बहुत खतरनाक बीमारियों से बच सकते है. और हाँ ये नमाज़ बहुत ही बरकत वाली होती है.
फजर की नमाज में क्या क्या पढ़ा जाता है?
फजर की नमाज़ में नियत, सना, बिस्मिलाहिर रहमानिर रहीम, सुरह फातिहा इसके साथ साथ कुरान की छोटी या बड़ी सुरह फिर रुकू, सजदा, राफैदैन, ताशुद, दरुदे इब्राहीम, दुआए मशुरा और इसके साथ बहुत कुछ पढ़ा जाता है तो हमने ऊपर डिटेल्स के साथ बताया हूँ.
फजर की नमाज़ जमाअत के खड़े हो गया तो क्या करे?
फजर की नमाज़ की जमात खड़े हो जाए तो आपको सबसे पहले मालूम करना होगा की क्या हम इतने समय में सुन्नत अदा कर सकते है की जितने वक़्त में फ़र्ज़ की जमात में सामिल हो सकते है. अगर हाँ तो पहले सुन्नत पढ़े फिर जमात में सामिल हो जाए.
फजर की नमाज कैसे पढ़ते हैं औरतें?
इस नमाज़ का तरीका मर्द और औरत दोनों के लिए एक ही होता है बस थोडा तरीका में फर्क होता है जो आप इसी वेबसाइट पर पढ़ सकते है. लेकिन इस नमाज़ में जो नियत से लेकर सलाम फेरने तक पढ़ा जाता है वह मर्द और औरत के लिए एक ही होता है.
क्या फजर की नमाज़ के बाद कोई नमाज़ पढ़ सकते हैं?
बिलकुल नमाज़ पढ़ा जा सकता है बल्कि बेहतर ये होता है की फजर की नमाज़ के बाद इशराक की नमाज़ पढ़ सकते है. इसके अलावा और भी नफिली इबादत कर सकते है.
अगर फज्र की नमाज़ छूट जाये तो क्या करें?
अगर फ़र्ज़ की नमाज़ जमात के साथ पढ़ना छुट गया यानि इमाम के पीछे नहीं पढ़ सका लेकिन अभी फ़र्ज़ पढ़ने की वक़्त है तो आप अकेले पढ़ सकते है. लेकिन फ़र्ज़ की नमाज़ का वक़्त खत्म हो जाए तो इसकी क़ज़ा लाजिम जरुर करे.
फजर की नमाज़ क़ज़ा हो जाए तो क्या करे?
फजर की नमाज़ क़ज़ा हो जाए तो आप नींद से जब उठते है तो मालूम करे की वक़्त है या खत्म हो गया और ये भी मालूम करे की सूरज कब उगा है. अगर फ़र्ज़ के नमाज़ के 1:30 से 2 तक का वक़्त ख़त्म हो गया है तो इसकी क़ज़ा पढ़ ले जो इसी वेबसाइट पर आपको इसका तरीका मिल जायेगा.
फजर की नमाज का टाइम कितने बजे तक रहता है
फजर का वक़्त सुबह का सूरज निकलने से पहले तक होता है जब आप आसमान में देखेंगे तो एक लाली की तरह रौसनी दिखेगी तो समझ लेना की फजर की नमाज़ टाइम खत्म हो गया.
फजर की नमाज़ कब तक पढ़ सकते है?
फज़र की सूरज निकलने से पहले तक पढ़ सकते है क्युकी सूरज निकलने के बाद नमाज़ पढ़ना मन फ़रमाया गया है.
फजर की अज़ान कितने बजे होती है?
फज़र की अज़ान का वक़्त एक टाइम पर मुक़र्रर नहीं होता है बल्कि 365 दिनों में कभी पहले होता है तो कभी बाद में होता है. मसलन गर्मी के दिनों में बहुत पहले की होता है यानि 4 बजे के आसपास. और सर्दी के दिनों में बहुत देर से होता है यानि 5 बजे के आसपास.
फजर की नमाज़ का वक्त कब खत्म होता है?
फजर की नमाज़ का वक़्त जब असमान में सूरज की थोड़ी बहुत लाली दिखने लगे तो समझ लेना की नमाज़ का वक़्त खत्म हो गया. अगर टाइम का बात करे तो फ़र्ज़ नमाज़ के बाद 40 से 50 मिनट तक समय रहता है.
फजर की नमाज में कौन कौन सी सूरत पढ़ी जाती है?
इस नमाज़ में कोई अलग से स्पेशल सूरत नहीं तो फज़र में पढ़ा ही जाता है क्युकी कुरान की हर सुरह अपने आप में बहुत खास है और हर सूरत का अलग अलग मकसद इसी लिए आपको कुरान शरीफ की जो सूरत याद वह पढ़ सकते है.
आखरी बात जाने
मेरा मकसद यही है की जो मुस्लिम भाई बहेन को नमाज़ पढ़ने का सही तरीका मालूम नहीं तो उनको अपनी आसान भाषा में समझाने की कोशिश करता हूँ.
मुझे उम्मीद है की Fajar ki Namaz Padhne ka Tarika हमारे भाई और बहन को समझ में आ गया है अगर किसी किस्म का सवाल है तो इस पोस्ट में नहीं बताया गया है तो निचे कमेंट जरुर करे.
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फजर की नमाज़ क़ज़ा हो जाए तो क्या करे?
फजर की नमाज़ क़ज़ा हो जाए तो आप नींद से जब उठते है तो मालूम करे की वक़्त है या खत्म हो गया और ये भी मालूम करे की सूरज कब उगा है. अगर फ़र्ज़ के नमाज़ के 1:30 से 2 तक का वक़्त ख़त्म हो गया है तो इसकी क़ज़ा पढ़ ले जो इसी वेबसाइट पर आपको इसका तरीका मिल जायेगा.
1:30 se 2 tak matlab?
1:30 pm ?
Samjh nhi aya kb padhe?
सलाम वालेकुम भाई .बिल्कुल भी पढ़े-लिखे नहीं है हम. उर्दू अरबी बस हमें यह जानना है इमाम साहब नमाज पढ़ा रहे हैं तो जो इमाम के पीछे खड़े लोग भी इमाम के साथ में पढ़ते रहेंगे क्या सूरह. जोहर की नमाज में कितनी सूरहा पढ़ी जाती हैं .और ईशा की नमाज में कितनी सूरह पढ़ी जाती है और कितनी सूरह एक जैसी होती है जोहर की नमाज में और ईशा की नमाज में और अगर मस्जिद में नमाज ना पढ़े घर में ही पढ़ें तो क्या सही है और खान बिरादरी का नाम किसने दिया खान होना कैसा है