क्या आपलोग नमाज़ के आखिरी रकात तशाहुद में दरुदे इब्राहीम के बाद Dua e Masura यानि Allahumma Inni Zalamtu Nafsi Dua सिखने के लिए आये हो तो बिलकुल सही जगह पर आये हो।
नमाज़ में Dua Masura पढ़ने का हुक्म खुद अल्लाह के नबी मुहम्मद मुस्तफा सल्लल्लाहु अलैहे वसल्लम ने दिया इस लिए हम सभी मुसलमानों को चाहिए की हर नमाज़ में पढ़े।
क्या आपको मालूम है जिस तरह से नमाज़ के लिए Attahiyat और Durood e Ibrahim की दुआ एक ही होता है लेकिन Dua e Masura के लिए कोई खास दुआ नहीं बताया गया है।
क्युकी Durood Masura के नाम से तिन से भी ज्यादा दुरूद शरीफ है इंशाल्लाह इस पोस्ट में तीनो दुआ के बारे में बताया जायेगा जो आपको असान लगेगा उसे याद कर लेना।
यह पोस्ट पढ़ने से आप सभी को क्या फायदा होगा सबसे पहले ये मालूम हो जायेगा की दुआ ऐ मसुरा क्या है फिर इस दुआ को आसानी से याद कर सकते है क्युकी Dua e Masoora in Hindi, Arabic और English भाषा में बताया गया है।
Dua e Masura Kya Hai
जब हमलोग किसी भी नमाज़ के सबसे आखिरी रकात यानि सलाम फेरने से पहले और दरुदे इब्राहीम के बाद जो दुआ पढ़ते है उसे Dua e Masura कहते है।
इससे एक सवाल उठेगा की क्या जिस नमाज़ में दुआ ए मसुरा याद नहीं या नहीं पढ़ी तो क्या नमाज़ मुकम्मल हो जाएगी तो इसका जवाब हाँ बिलकुल हो जाएगी लेकिन लेकिन दुआ ए मसुरह याद करने की कोशिश करनी चाहिए।
दुआए मसुरा पढ़ना क्यों जरुरी है?
दुआए मसुरह पढ़ना इसलिए जरुरी है की एक बार हजरत अबू बक्र रजि अल्लाहो तआला अन्हु आप सल्लल्लाहु तआला अलैहि वस्सल्लम के खिदमत में हाजिर हुए और इरसाद फ़रमाया या रसूल अल्लाह मुझे ऐसी दुआ सीखा दीजिये जो मै नमाज़ में पढ़ा करूँ तो नबी करीम आप सल्लल्लाहु तआला अलैहि वस्सल्लम ने उन्हें Dua e Masura सिखाई।
इसीलिए हम सब मुसलमान को चाहिए की हर नमाज़ के अन्दर दुआए मसुरा को इत्मिनान और सुकून के साथ पढ़ा करे।
Dua e Masura in Arabic, Hindi aur English
यहाँ से दुआ सिखने की आगाज़ हो चुकी क्युकी इससे पहले जितने भी चीजों के बारे सिखा वो बहुत जरुरी था क्युकी जाहिर सी बात कोई भी चीज़े पढ़ रहे है तो इसके पीछे का इतिहास क्या है सबको जानना चाहिए।
इसीलिए यहाँ पर तिन भाषा में Dua a Masura को लिखा गया है जिससे आप सभी को याद करने में आसानी हो इसमें में तो कोई सक नहीं है की आप सभी को हिंदी नहीं है क्युकी अगर हिंदी नहीं आता तो इस पोस्ट को नहीं पढ़ रहे होते।
हिंदी के अलावा अरबिक और इंग्लिश में लिखा गया है तीनो भाषा में जिसमे अच्छे से समझ आ जाए उसे ही याद कर ले या याद करने में कोई प्रॉब्लम आ रहा है तो निचे कमेंट करे।
Dua e Masura in Arabic

Allahumma Inni Zalamtu Nafsi Zulman in Hindi
अल्लाहुम्मा इन्नी ज़लमतू नफ़्सी ज़ुलमन कसीरा, वला यग़फिरुज़-ज़ुनूबा इल्ला अनता, फग़फिरली मग़ फि-र-तम्मिन ‘इनदिका, वर ‘हमनी इन्नका अनतल ग़फ़ूरूर्र रहीम।
Dua e Masura in English
Allahumma Inni Zalamtu Nafsi, Zulman Kaseeraan, Wala Yaghfiruz-Zunooba Illa Anta Faghfirlee Maghfiratan-mMin ‘Indika War Hamnee Innakaa Antal Ghafoorur Raheem.
Dua e Masura Tarjuma in Hindi
ऐ अल्लाह सुबान व ता’अला हमने अपनी जान पर बहुत अधिक जुल्म किया है, और हमारे गुनाहों को तेरे सिवा कोई माफ नहीं कर सकता, हमारी यह ख्वाहिश है, की तू हमे माफ कर दे। हम पर तु अपना रहम फरमा, तू बड़ा माफ करने वाला और सब पर रहम करने वाला है। अपना रहमो करम हम पर भी अदा कर।
Dua e Masura Meaning in English
O Allah, I have greatly wronged myself, and no one forgives sins but you. So, grant me forgiveness and have mercy on me. Surely, You are Forgiving, Merciful.
दुआ ए मसुरा के फायदे
दोस्तों मुसलमानों को मुहम्मद मुस्तफा सल्लल्लाहु अलैहे वसल्लम ने बहुत अलग अलग दुआ बताई है जिसका फायदा और फ़ज़ीलत अलग अलग होती है लेकिन आज Benefits of Dua e Masura यानि दुआ ए मसुरा की फायदे की बारे में बात करते है।
- दुआ ए मासुरा अपनी गलतियों को अल्लाह ताला से माफी मांगने के लिए पढ़ा जाता है। अगर इस दुआ को सिद्के दिल से पढ़ते है तो खुदा आपके सारे गुनाहो को माफ़ कर देता है।
- बहुत सारे मुसलमानो का मानना है की दुआ ए मसुरा पढ़ने से एक नई ताजगी महसूस होती है इसलिए आप भी इस दुआ की आदत बना लीजिए।
- माना जाता है की इस दुआ को पढ़ने से घर में बरकत आती है और सारे बिगड़े हुए काम बनने शुरू हो जाते हैं।
- यदि आपका भी कोई ऐसा काम है जो नहीं बन पा रहा है तो आप इस दुआ को रोजाना नमाज़ खत्म होने से पहले जरूर पढा करें।
- ऐसा भी कहा जाता है की अगर आपको अच्छा स्वाथ्य पाना चाहते है तो नमाज़ से पहले दुआ इ मासुरा पढ़ा करे।
क्या दुआए मसुरा याद नहीं है तो नमाज़ हो जाएगी?
हाँ बिलकुल, अगर किसी शख्स को दुआए मसुरा याद नहीं है तो इसके स्थान पर कोई दूसरा दुआ भी पढ़ सकते है जो हदीस से साबित हो. लेकिन कोई भी दुआ याद नहीं है तो रब्बना अतिना वाला दुआ पढ़ ले।
dua e masura kab padhi jati hai
नमाज़ के आखिरी रकात में तशाहुद में बैठने के बाद दुरूद इब्राहीम के बाद और सलाम फेरने से पहले दुआ मसुरा पढ़ते है।
दुआ ए मसुरा कैसे पढ़ा जाता है?
जिस तरह से किसी भी नमाज़ में चाहे फ़र्ज़ की नमाज़ हो या सुन्नत की नमाज़ या कोई और नमाज़ जिसमे अत्ताहियत या दुरूद इब्राहीम पढ़ते है उसी तरह Duae Masura पढ़ते है।
Dua e Masura की कब शुरुआत हुआ?
अब्दुल्लाह बिन अमर से रिवायत है की एक बार हजरत अबू बक्र रजि अल्लाहो तआला अन्हु आप सल्लल्लाहु तआला अलैहि वस्सल्लम के खिदमत में हाजिर हुए और इरसाद फ़रमाया या रसूल अल्लाह मुझे ऐसी दुआ सीखा दीजिये जो मै नमाज़ में पढ़ा करूँ तो नबी करीम आप सल्लल्लाहु तआला अलैहि वस्सल्लम ने उन्हें दुआ ए मासुरा सिखाई।
Durood e Ibrahim ke Baad ki Dua
हम सब को मालूम है की नमाज़ में अत्ताहियत के बाद दुरूदे इब्राहीम पढ़ते है फिर इसके बाद दुआ पढ़ते है जिसको दुआ ए मसुरा कहते है।
आज क्या सीखा
आखिरी बात में आपने पूछना चाहता हूँ की आज की पोस्ट Allahumma Inni Zalamtu Nafsi Dua से क्या सीखा निचे कमेंट में जरुर लिखे।
अगर कोई इस पोस्ट को शुरू और आखिर तक पढ़ेगा तो उसको दुआ ए मसुरा के मुताल्लिक जितने भी सवाल थे सभी का जवाब मिल गया होगा।
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Beshaq me duaa ae masura padhta hoon