क्या 10वी मुहर्रम के दिन Ashura ki Namaz पढ़ना जायज़ है?

Ashura ki Namaz ka Tarika

क्या 10वी मुहर्रम के दिन Youm e Ashura ki Namaz पढ़ना जायज़ है और क्या हमारे नबी सल्लल्लाहु अलैहे वसल्लम ने खुद पढ़ा है या किसी सहाबा को पढ़ने का हुक्म दिया है अगर ये सभी बाते को समझना चाहते है तो आप सही जगह आए है.

आप सभी को एक इम्पोर्टेन्ट बात बताने जा रहा हूँ दोस्तों इस्लाम में 3 तरह का सुन्नत होता है जिसे हम लोग मानते है और करते भी है.

पहला सुन्नत जो नबी (S.A.W) खुद करते रहे और अपने सहाबे कराम को भी सख्ती से बोलते की ये जो मै कर रहा हूँ ये तुम्हे भी करना है.

दूसरा सुन्नत जो नबी (S.A.W) अमल करते रहे लेकिन किसी भी सहाबी पर इसके मुलात्लिक सख्ती नहीं किया की ये अमल तुमको करना होगा.

दूसरा सुन्नत जो नबी (S.A.W) तो खुद नहीं किया करते थे लेकिन उनके सामने बहुत से अमल और इबादत होते रहते थे तो आप उन्हें कुछ नहीं बोलते थे तो इसका मतलब ये हुआ के वह अमल इस्लाम में जायज़ है.

दोस्तों दुःख की बात ये है की हमारे नौजवान असल दिन को छोड़ दिए और बे फ़िज़ूल अमल करने लगे जो अमल सुन्नत और हदीस साबित भी नहीं है.

अभी आपने तिन सुन्नत के बारे में जाना और Ashura ki Namaz तीनो सुन्नत से साबित नहीं है तो इस लिहाज से 10 मुहर्रम के दिन कोई भी खास नमाज़ नहीं है जिसको नबी (S.A.W) पढ़ा करते थे या ये नमाज़ पढ़ने को बोला भी है.

दोस्तों इस्लाम में कोई भी एक्स्ट्रा अमल जोड़ना जायज़ नहीं और ये एक बिद्दत है और हर एक बिद्दत गुमराही की तरफ के कर जाती है.

इसीलिए हम लोगो को चाहिए की जो दिन प्यारे नबी मुहम्मद सल्लल्लाहु अलैहे वसल्लम ने बताया है सिर्फ उसी पर अमल करना चाहिए.

हमने इस वेबसाइट पर पांच वक्तो के अलावा जितने भी नफिल नमाज़े होती है जो सुन्नत और हदीस से साबित है उसका तरीका बताया हूँ जैसे:- Tahajjud ki Namaz, Salatul Hajat, Salatul Tasbeeh, Chasht ki Namaz आदि इसके अलावा और भी नफिल नमाज़े है तो सुन्नत से साबित है.

दोस्तों आप सब से गुजारिश है की ये पोस्ट ज्यादा से ज्यादा अपने दोस्त और फॅमिली में शेयर करे ताकि उनको भी Ashura ki Namaz का सच्चाई मालूम हो जाए.

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